चम्बल नदी पर स्थित बांध
उत्तर से दक्षिण क्रम में :-
- कोटा बैराज बांध :- कोटा में स्थित, यह अवरोधक बांध हैं। कोटा बैराज बांध से सिंचाई के लिए नहरे निकली गई हैं। इसका निर्माण 1960 में पहले चरण में किया गया था
इस बांध के पास कोटा ताप विद्युत घर स्थापित किया गया है इस बांध से दो नहरें निकाली गई है,जिसमें से दाई नहर राजस्थान( कोटा बारा) व मध्य प्रदेश दोनों ने सिंचाई करती है
यह 124 किलोमीटर राजस्थान में तथा 248 किलोमीटर मध्य प्रदेश में है इस परियोजना से पूर्वी जिलों को सर्वाधिक लाभ प्राप्त होता है दाई मुख्य नहर पर कुल 8 लिफ्ट नहरे बनी हुई है
बाई नहर राजस्थान में सिंचाई के काम आती है जिसकी लंबाई 178 किलोमीटर है कनाडा की अंतराष्ट्रीय विकास एजेंसी के सहयोग से चंबल कमांड क्षेत्र में राजस्थान कृषि ड्रेनेज अनुसंधान परियोजना चलाई गई है इस परियोजना से कोटा बूंदी जिले में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है
2.जवाहर सागर बांध :- इस बांध का निर्माण 1972 में तृतीय चरण में हुआ था
यह बाधं राणा प्रताप सागर बांध से 33 किलोमीटर दूर कोटा में बोरावास में पिक अप बांध के रूप में स्थित है
यह बांध 45 मीटर ऊंचा तथा 440 मीटर लंबा है इसकी विद्युत क्षमता 99 मेगावाट है यह चंबल नदी पर बना नया बांध है
कोटा में स्थित, इससे जल-विद्युत उत्पादित होता हैं। इससे सिंचाई नहीं होती हैं।
इस परियोजना का राजस्थान भाग से चंबल नदी के विकास की क्षमता में तीसरा हिस्सा है इस के व्यय व लाभ में राजस्थान तथा मध्य प्रदेश विद्युत बोर्ड का समान रूप से हिस्सा है
यह योजना योजना आयोग द्वारा 1962 में अनुमोदित कर दी गई थी तथा 60% फैक्टर की दर से 60.00की.वा. की सीमा तक कुल विद्युत उत्पादन करने का प्रावधान है
3.राणाप्रताप सागर बांध :- इस बांध का निर्माण चुलिया जलप्रपात के समीप चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित भैंसरोड़गढ़ के पास चौरासीगढ़ के उत्तर में रावतभाटा में किया गया है
इस बांध का निर्माण 1970 में द्वितीय चरण में किया गया था यह चंबल नदी पर बना राज्य का सबसे बड़ा बांध है
यह गांधी सागर बांध से 48 किलोमीटर दूर स्थित है राणा प्रताप सागर बांध पर ही परमाणु बिजली घर की स्थापना कनाडा के सहयोग से की गई है
यह यह बांध 1100 मीटर लंबा वह 36 मीटर ऊंचा है इस बांध को फरवरी 1970 में राष्ट्र को समर्पित किया गया इस बांध की विद्युत क्षमता 172 मेगा वाट है इस परियोजना का राजस्थान में चंबल नदी विकास की श्रंखला में दूसरा स्थान है
भराव क्षमता की दृष्टि से राणा प्रताप सागर बांध राज्य में सबसे बड़ा बांध है
4.गांधी सागर बांध :- यह बांध राजस्थान से बाहर मध्यप्रदेश 84 गढ़ स्थान के पास (मंदसौर जिले) वर्तमान में (नीमच जिला) रामपुरा भानपुरा के पठारों के बीच 1959 में इस बांध का निर्माण किया गया
यह बाधं 510 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा तथा 64 मीटर ऊंचा है इसकी विद्युत क्षमता 115 मेगा वाट है
इसका निर्माण चंबल परियोजना के तहत प्रथम चरण में हुआ था यह बांध चंबल नदी पर बना सबसे बड़ा और सबसे पुराना बांध है गांधी सागर बांध पर 23 मेगा वाट का एक जनरेटर लगाया गया है जिससे पन विद्युत उत्पन्न की जाती है
उपर्युक्त सभी बांधों को चम्बल नदी घाटी परियोजना कहते हैं, जो राजस्थान की पहली परियोजना थी
यह परियोजना राजस्थान व मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना हैं। जिसमें 50-50 % की भागीदारी हैं। चम्बल व माही नदी दक्षिण से प्रवेश करती हैं।
दूसरी पंचवर्षीय योजना में उत्पादन शुरू व पहली में स्थापना* इस परियोजना से 4.5 लाखहेक्टेयर भूमि में सिंचाई की जाती है इससे राजस्थान के कोटा बूंदी व बॉरा जिलों व मध्यप्रदेश में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई
इस परियोजना की कुल विद्युत क्षमता 386 मेगा वाट है इस परियोजना से राज्य को 193 मेगा वाट विद्युत प्राप्त होती है
5.चम्बल नदी पर कुल 8 लिफ्ट नहर हैं :-
जिसमें से 6 लिफ्ट नहर बांरा के लिए (बांरा – वराहनगरी), 2 कोटा के लिए।
- जालूपुरा लिफ्ट स्कीम – कोटा
- दीगोद लिफ्ट स्कीम – कोटा
- अंता लिफ्ट स्कीम – बॉरा
- अंता लिफ्ट माइनर – चक्षानाबाद बॉरा
- पचेल लिफ्ट स्कीम – बॉरा
- गणेशगंज लिफ्ट स्कीम – बॉरा
- सोरखंड लिफ्ट स्कीम – बॉरा
- कचारी लिफ्ट स्कीम – बॉरा
6.इंदिरा लिफ्ट नहर :- सवांईमाधोपुर में स्थित, इससे करौली जिले को पेयजल व सिंचाई के लिए पानी मिलता हैं।
7.कुल विद्युत उत्पादन :-
जवाहर सागर बांध – 99 मेगावाट
राणाप्रताप सागर बांध – 115 मेगावाट
गांधी सागर बांध – 172
मेगावाट कुल उत्पादन – 386 मेगावाट
इसमें राजस्थान को 386 / 2 – 193 मेगावाट प्राप्त होता हैं।
8.दांयी ओर से चम्बल में मिलने वाली नदिया :-
कालीसिंध, पार्वती (प्रत्यक्ष रूप से), आहु परवान, निवाज (तीनों अप्रत्यक्ष रूप से)।
कालीसिंध और आहु का संगम झालावाड़ में होता हैं, *जहां गागरोन का किला स्थित हैं, जो जलदुर्ग* हैं।
भैसरोड़गढ़ विशुद्ध रूप से जलदुर्ग* हैं, जो बामनी व चम्बल नदी के संगम पर स्थित हैं।
कालीसिन्ध, पार्वती व निवाज का उद्गम स्थल मध्यप्रदेश हैं।
परवान का उद्गम झालावाड़ से होता हैं।
नदी जोड़ो परियोजना के अंतर्गत सर्वप्रथम कालीसिन्ध व बेतवा को जोड़ा जाएगा
9.चम्बल नदी में बांई ओर से मिलने वाली नदियां :-
बनास, बेड़च, कोठारी, खारी, मानसी, मोरेल, कुराल बामनी आदि हैं।