-: भारत की पंचवर्षीय योजनायें :-
1.प्रथम योजना (1951-56)
- सर्वोच्च प्राथमिकता सिंचाई और बिजली परियोजनाओं सहित कृषि को दी गई थी.
- हर्रोड़-डोमार मॉडल पर आधारित
- 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम शुरू किया गया था (CDP)
2.द्वितीय योजना (1956-61)
- महालनोबिस रणनीति पर आधारित
- मुख्य उद्देश्य तेजी से औद्योगिकीकरण था
- भिलाई, दुर्गापुर, राउरकेला में सार्वजनिक क्षेत्र में इस्पात संयंत्रों का निर्माण.
भिलाई संयंत्र सोवियत संघ के सहयोग द्वारा स्थापित किया गया था
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र ब्रिटिश सहयोग से स्थापित किया गया था
राउरकेला इस्पात संयंत्र जर्मन सहयोग के साथ स्थापित किया गया था
3.तीसरी योजना (1961-66)
- जॉन सैंडी और एस चक्रवर्ती मॉडल पर आधारित
- मुख्य उद्देश्य आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था, कृषि का विकास, खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता और कृषि और औद्योगिक क्षेत्र के समग्र विकास था. (कृषि के क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि हासिल की गई).
- इस योजना को कई विद्वानों द्वारा एक असफल योजना के रूप में जाना जाता है. मानसून, सूखा और अकाल विफलता का कारण रहा था .
- 1962 में चीन के साथ और 1965 में पाकिस्तान के साथ किये गए युद्ध को भी इस योजना की विफलता का अन्य कारण माना जाता है.
तीन वार्षिक योजनायें
- हालांकि चौथी योजना तैयार थी लेकिन चीन से हार के बाद, कमजोर वित्तीय स्थिति के कारण. सरकार 3 वार्षिक योजनाओं के साथ ही बहार आई.
- योजना हॉलिडे का अर्थ है, ‘छुट्टी पर नियोजन’. वार्षिक योजनाओं को योजना छुट्टी के रूप में संदर्भित किया जाता है.(1966-67, 1967-68, 1968-69)
4.चौथी योजना(1969-74)
- एस माने और ए रुद्रा के मॉडल पर आधारित
- गाडगिल रणनीति पर आधारित.
- मुख्य उद्देश्य आत्मनिर्भरता और स्थिरता के साथ विकास था.
- यह राष्ट्रीयकरण पर दिशा में पहला कदम था.
- 1971 – पाकिस्तान के साथ युद्ध.
- 1969 में 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था
- इस योजना में एमआरटीपी अधिनियम पेश किया गया था (MRTP – एकाधिकार एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम)
- 1973 में फेरा पेश किया गया था (विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम)
5.पांचवीं योजना (1974-79)
- योजना आयोग का मॉडल
- मुख्य उद्देश्य आत्म निर्भरता और गरीबी उन्मूलन.
- 20 अंक कार्यक्रम इस योजना में पेश किया गया था.
- यह नीति आयात प्रतिस्थापन और निर्यात को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है.
- न्यूनतम जरूरतों पर राष्ट्रीय कार्यक्रम जिसमे प्राथमिक शिक्षा, पेयजल, ग्रामीण सड़कें, आवास आदि शामिल थे.
- काम के कार्यक्रम के लिए खाद्य शुरू किया गया था (1977-1978)
- 1975 में इमरजेंसी को पेश किया गया था (नेशनल इमरजेंसी)
- यह योजना को सरकार में परिवर्तन की वजह से समय से एक वर्ष पहले समाप्त किया गया.
वार्षिक योजना (1979-80) योजना को रोलिंग योजना के रूप में जाना जाता था.
नोट रोलिंग योजना – इस योजना में पिछले वर्ष के उद्देश्य अगले वर्ष पूरे किये जाने थे.रॉलिंग की योजना की पहले गुन्नार म्यर्दल द्वारा वकालत की गई थी.
6.छठी योजना (1980-1985)
- इस योजना में अपनाया गया मॉडल योज आयोग द्वारा निर्मित किया गया था.
- इस योजना में नारा “गरीबी हटाओ” पेश किया गया था.
- NREP – राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम 1980 में शुरू किया गया था.
- ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम 1983 में शुरू किया गया था,
- डेयरी विकास कार्यक्रम TRYSEM (स्व-रोजगार के लिए ग्रामीण युवा प्रशिक्षण ),
- राष्ट्रीय बीज कार्यक्रम और KVIP 1983 में शुरू किया गया. (KVIP – खादी और ग्राम औद्योगिक कार्यक्रम)
7वीं योजना (1985-1990)
मुख्य उद्देश्य आधुनिकीकरण, विकास, आत्मनिर्भरता और सामाजिक न्याय था.
पारिस्थितिकी और पर्यावरण उत्पादन पर जोर देना.
JRY – जवाहर रोजगार योजना को 1989 में शुरू किया गया था.
इस योजना में सूर्योदय उद्योग विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण और इलेक्ट्रॉनिक्स को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित था.
पहली बार, कुल योजना उत्पादन में सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 50% से कम थी.
दो वार्षिक योजनाएं नई औद्योगिक नीति शुरू की गई थी. बड़े पैमाने पर उदारीकरण की शुरुआत.
एलपीजी (उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण) मुख्य एजेंडा में से एक था.
1991 में आर्थिक सुधार
– विदेश व्यापार नीति को उदार बनाया गया था
– लाइसेंसिंग व्यवस्था समाप्त (लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया गया था)
– सीआरआर, एसएलआर कम हो गई थी
– रूपये का अवमूल्यन किया गया
– आयात शुल्क को कम किया गया.
– एमआरटीपी समाप्त कर दिया गया(1969 में शुरू)
– FERA को FEMA में बदल दिया गया(FERA अधिनियम 1973)
8वीं योजना (1992-97)
– बुनियादी ढांचे के विकास पर बल दिया गया.
– इस योजना में डब्लू.मिलर मॉडल को अपनाया गया.
– मानव संसाधन विकास मुख्य उद्देश्य था.
– इस योजना में जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया.
– इस योजना में प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण पर जोर दिया गया था.
– राष्ट्रीय आय एवं औद्योगिक विकास दर लक्षित दर की तुलना में अधिक थे.
– 73वां संशोधन अधिनियम पेश किया गया, जिसमें पंचायती राज को एक संवैधानिक दर्जा दिया गया (पंचायती राज संस्थान)
– 74वां संशोधन अधिनियम पेश किया गया, जिसमें शहरी स्थानीय सरकार को एक संवैधानिक दर्जा दिया गया.
9वीं योजना (1997-2002)
– ‘समान वितरण और समानता के साथ विकास’ मुख्य उद्देश्य था.
– इस योजना की अन्य विशेषताएं थीं:-
– प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता.
– खाद्यान्न अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भरता.
– अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों का समग्र विकास.
10वीं योजना (2002-2007)
– इस योजना का मुख्य उद्देश्य मानव विकास पर जोर देने के साथ ग्रोथ था.
– गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, जेंडर गैप (लिंग अनुपात), जनसंख्या वृद्धि, आईएमआर (शिशु मृत्यु दर), एमएमआर (मातृ मृत्यु दर) और अन्य सामाजिक-आर्थिक पहलुओं की जाँच के लिए निगरानी लक्ष्य शुरू किए गए थे.
– दसवीं योजना में 2007 तक 25% तक वन और पेड़ बढ़ाने पर प्रकाश डाला गया था.
– योजना अवधि के भीतर सभी गांवों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए व्यापक ढाँचे की शुरुआत की गई.
– एनएचएम (2005-06) (राष्ट्रीय बागवानी मिशन)
11वीं योजना (2007-2012)
मुख्य उद्देश्य टिकाऊ और समावेशी विकास भविष्य की ओर था.\
– 11वीं योजना के दृष्टिकोण में गरीब, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाओं की स्थिति को मजबूत करने के लिए और उनके विकास को तेजी से बढ़ावा देने पर ध्यान केन्द्रित किया गया था.
12वीं योजना(2012-17)
इस योजना का विषय था, “तेज, सतत और अधिक समावेशी विकास”.
विभिन्न निगरानी लक्ष्य थे
(i) 8% की वृद्धि दर
(ii) 12 वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक टीएफआर (कुल प्रजनन दर) को 2.1 तक कम किया गया
(iii) सभी गांवों को बिजली उपलब्ध कराना.
(iv) हर मौसम की सड़कों के साथ सभी गांवों को जोड़ना
(v) 90% भारतीय परिवारों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच प्रदान कराना.
(vi)मेजर सब्सिडी और कल्याणकारी लाभ भुगतान प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण (डीसीटी) द्वारा आधार से जुड़े बैंक खातों में सीधे हस्तांतरित की जायेगी.