भारत में राष्ट्रीयता की उत्पत्ति के कारण (भारतीय राष्ट्रवाद के उत्थान के सहायता तत्व)

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-: भारत में राष्ट्रीयता की उत्पत्ति के कारण (भारतीय राष्ट्रवाद के उत्थान के सहायता तत्व) :-

 

इतिहास की शोध का प्रभाव :-

1.सर विलियम जोंस ,मोनियर विलियम्ज, मेक्समूलर ,रॉथ और सस्सन जैसे मुख्य विदेशी विद्वानों के प्राचीन भारतीय इतिहास में शोध करने के कारण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराका ज्ञान होने लगा

2.इस क्षेत्र में विशेष रुप से कनिंघम जैसे पुरातत्वविदों की खुदाई ने भारत की महानता और गौरवका वह चित्र प्रस्तुत किया

3.जो रोम और यूनान की प्राचीन सभ्यताओं से किसी भी पक्ष में कम गौरवशालीनहीं था

4.इन यूरोपीय विद्वानों ने वेदों और उपनिषदों की साहित्यिक श्रेष्ठता और मानव मन के सुंदर विश्लेषण के लिए इसका गुणगान किया

5.बहुत से यूरोपीय विद्वानों ने यह सिद्धांत प्रस्तुत किया कि भारतीय आर्य उसी मानव शाखाके लोग है जिससे यूरोपिय जातियांउपजी हैं

6.इससे शिक्षित भारतीयो के आत्म सम्मान में एक मनोवैज्ञानिक वृद्धि हुई

7.इन सभी तत्वों ने इनमें एक नया आत्मविश्वास जगाया और उनकी देशभक्ति और राष्ट्रवादको प्रोत्साहित किया

 

आधुनिक समाचार पत्रों का उदय :-

1.भारत में अंग्रेजी राज्य का एक अन्य प्रभाव आधुनिक समाचार पत्रों का उदयहोना था

2.आधुनिक समाचार पत्रों और प्रेस का राष्ट्रीयता के उदयमें महत्वपूर्ण योगदान थे

3.यह यूरोपीय लोग ही थे जिन्होंने भारत में मुद्रणालय स्थापितकिए और समाचार पत्र और सस्ते साहित्य प्रकाशितकरना प्रारंभ किए

4.धीरे-धीरे भारतीय भाषा समाचार पत्र स्थापितहोने लगे थे

5.यह समाचार पत्र पाश्चात नमुने पर विकसित हुए थे

6.यद्यपि इन पर बहुत से साम्राज्यवादी शासकों ने प्रतिबंध लगाएं

7.फिर भी भारतीय समाचारपत्र बहुत विकसितहुए

8.19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारतीय मालिकों द्वारा चलाए गए अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं में समाचार पत्रों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धिहुई

9.1877 तक भारतीय समाचार पत्रों की संख्या 169 तक पहुंच गई थी और उनकी प्रचलन संख्या 1 लाख तक पहुंच गई थी

10.भारतीय समाचार पत्रों ने जनमत के बनाने और राष्ट्रीयता के प्रसार में मुख्य भूमिकानिभाई थी

11.इंडियन मिरर ,द बंगाली,द अमृत बाजार पत्रिका ,द बॉन्बे क्रॉनिकल, द हिंदू पेट्रिअट ,द महरट्टा ,द केसरी द आन्घ्र प्रकाशिका, द हिंदू ,द इंदु प्रकाश, द कोहिनूर इत्यादि को अंग्रेजी और भारतीय भाषा समाचार पत्रों ने इस क्षेत्र में बहुत कार्यकिया तथा अंग्रेज शासकों द्वारा किए गए अतिरेंको को प्रकाशितकिया गया

12.इसके अतिरिक्त इन्होंने प्रतिनिधि सरकार ,स्वतंत्रता संस्थाओं को जनता में लोकप्रिय बनाया

13.यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हम कहें कि भारतीय समाचारपत्र भारतीय राष्ट्रवाद का दर्पण गए और जनता को शिक्षित करने का माध्यम बना

14.भारत में राजा राममोहन राय ने राष्ट्रीय प्रेसकी न्यूज़ डाली

15.इन्होंने संवाद कौमुदी (बंगाल) और मिरात-उल-अखबार (फारसी) जेसे समाचार पत्रों का संपादन कर भारत में राजनीतिक जागरण की दिशा में पहला प्रयास किया था

16.1859 में  राष्ट्रवादी भावना से ओतप्रोत साप्ताहिक पत्र “”सोम प्रकाश””का संपादन ईश्वर चंद्र विद्यासागरने किया था

17.इन सभी समाचार पत्रों में ब्रिटिश हुकूमत की गलत नीतियों  की आलोचना की गई और भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना विकसित की गई

 

मध्यम वर्गीय बुद्धिजीवियों का उत्थान :-

1.अंग्रेजों के प्रशासनिक और आर्थिक क्षेत्र की नवीन प्रक्रिया से नगरों में एक नवीन मध्यम वर्गीय नागरिकों की एक श्रेणी उत्पन्न हुई

2.इस नवीन श्रैणी ने तत्परता से अंग्रेजी भाषा सीख ली क्योंकि इससे नियुक्तिया प्राप्त करने में सुविधा हो जाती थी और दूसरों से सम्मान मिलता था

3.यह नवीन श्रेणी अपनी शिक्षा ,समाज में उचित स्थान और प्रशासक वर्ग के समीप होने के कारण आगे आ गई

4.पी.स्पीयर महोदय लिखते हैं कि यह नवीन मध्यम वर्ग एक संगठित अखिल भारतीय वर्ग था

5.जिस की प्रष्ठभूमि तो अलग अलग थी

6.लेकिन जिसकी ज्ञान ,विचार और मूल्य की अग्रभूमि समान थी

7.यह भारतीय समाज का एक छोटा सा अंग था लेकिन गतिशील अंग था

8.इसमें उद्देश्य की एकता और आशा की भावना थी

9.यह मध्यम वर्ग आधुनिक भारत की नवीन आत्माबन गया और इसनें समस्त भारत में अपनी शक्ति का संचारकिया 🎍इसी वर्ग ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसको इसके विकास के सभी चरणों में नेतृत्व प्रदान किया था

 

आधुनिक शिक्षा का प्रचलन :-

1.आधुनिक शिक्षा प्रणाली के प्रचलन से आधुनिक पाश्चात विचारों को अपनानेमें सहायता मिली

2.भारतीय राजनीतिक सोचको एक नई दिशा मिली

3.सर चार्ल्स ई.ट्रेविलियन, टी.बी.मैकॉले  और लार्ड विलियम बेंटिक ने जब 1835 में देश में अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत की तो वह एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय था

4.ट्रेविलियन महोदय से जब यह पूछा गया की अंग्रेजी शिक्षा के प्रसार से भारत में अंग्रेजी राजके बने रहने की संभावना है 🎍तो उन्होंने लार्डज सभा की भारतीय समिति के सम्मुख 1835 में यह कहा था कि भारत में अंग्रेजी राज सदैव नहींबना रह सकता

5.इसका अंत एक ना एक दिन होना आवश्यक है या तो उन भारतीय लोगों के हाथों से जो राजनीतिक परिवर्तन के आदर्शको मानते हैं अथवा उन लोगों के हाथों से जो अंग्रेजी पढ़ लिख जाएंगे और राजनीतिक परिवर्तन के अंग्रेजी आदर्शको मानने लगेंगे

6.अगर अंग्रेजी शासन का अंतउपरिकथित तत्वो के आधार पर होगा तो इस में बहुत समय लगेगा और भारत तथा अंग्रेजों के संबंध को तोड़ना ना तो इतना हिंसात्मक होगा और नहीं अंग्रेजों के लिए इतना हानिकारक

7.क्योकी सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधबने रहेंगे

8.मेकाले ने 1835 में कॉमन्स सभा में एक भाषण दिया था

9.इसमें उन्होंने कहा था कि यह संभव है कि भारतीय सर्वसाधारण मत हमारी प्रणाली के अधीन विकसितहो जाए और हमारी प्रणाली से भी आगे निकल जाए

10.अथार्थ हम अपने उत्तम प्रशासन के फलस्वरुप अपनी प्रजा को अधिक अच्छा प्रशासन करने के योग्य बना दें

11.अथार्थ वे लोग यूरोपीय भाषा में शिक्षित होकर किसी भविष्य काल में यूरोपीय संस्थाओंकी मांग करें

12.पाश्चात्य शिक्षा का प्रचार यद्यपि प्रशासनिक आवश्यक्ताओं के लिए किया गया था

13.लेकिन इस से नव शिक्षित वर्ग के लिए पाश्चात्य उदारवादी विचारधाराके द्वार खुल गए थे

14.मिल्टन ,शैली ,बेंथम, मील, स्पेन्सर रूसो और वाल्टेयर ने भारतीय बुद्धिजीवियों में स्वतंत्रता ,राष्ट्रीयता और स्वशासनकी भावनाएं जगा दी थी

15.नए बुद्धिजीवी लोग प्राय: कनिष्ठ प्रशासक ,वकील, डॉक्टर अध्यापक इत्यादि ही थे

16.इनमें से कुछ लोग तो इंग्लैंड में भी विद्या ग्रहण कर चुके थे

17.वहां पर इन्होंने राजनीतिक संस्थाओं का प्रचलन प्रत्यक्षरुप से देखा था

18.जब यह लोग भारत लौटे तो इन्होंने अनुभव किया कि इनके मौलिक अधिकार यहां शून्यके बराबर है और चारों ओर के वातावरण में दासता ही दासताहै

19.यह विलायत पास लोग जिनमें पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त दिन प्रतिदिन बढ़ती हुई संख्या सम्मिलित हो रही थी यही भारत का मध्यम वर्गीय बुद्धिजीवी वर्गथा

20.इसमें बुद्धिजीवी वर्ग में जो अपने राजनीतिक अधिकारों से परिचित था

21.उसने यह अनुभव किया कि 1833 के चार्टर एक्टऔर सम्राज्ञी विक्टोरिया की 1858 में की गई घोषणा में दिए गए वचनों के बावजूद ऊंचे ऊंचे पदों के द्वारा भारतीयों के लिए आज भी बंद ही थे

22.इन बातों का अनुभव करने से बुद्धिजीवी वर्ग में असंतोष बड़ा और यह असंतोष संक्रामक था

23.सुरेंद्रनाथ बनर्जी ,मनमोहन घोष, लालमोहन घोष और अरविंद घोष जैसे लोग राष्ट्र आंदोलन की ओर आगे बढ़ने लगे

24.इन सभी ने देखा कि ऊंचे ऊंचे पदों के द्वार भारतीयों के लिए बंदथे

25.यह प्रज्ञावान और विद्वतापूर्ण लोग, नवोदित राजनीतिक असंतोष का केंद्र बिंदुबने

26.समाज का यही वर्ग था जिसने भारतीय राजनीतिक संस्थाओं को नेतृत्व प्रदान किया

27.भारत के सभी भागों में अंग्रेजी भाषा के प्रसार और लोकप्रियताके कारण शिक्षित भारतीयों को संपर्क भाषा के रूप में यह भाषा मिल गई थी

28.जिसके माध्यम से वह एक दूसरे को अपने विचारों से अवगत करा सकते थे और सम्मेलनों में भाग ले सकते थे

29.प्राचीन समय में संस्कृत एक संपर्क भाषा की भूमिकानिभाती थी

30.लेकिन 19वीं शताब्दी तक इसका ज्ञान तथा प्रयोगबहुत ही सीमित हो गया था

31.इस समय पंजाबी के लिए तमिल और  बंगाली के लिए मराठी भाषा से विचार विमर्श करना असंभव सा हो गया था

32.लेकिन अंग्रेजी भाषा ने इन सब को एक ही मंचपर लाकर खड़ा कर दिया

33.ऐसी भाषा की अनुपस्थिति में इस आंदोलन को अखिल भारतीय स्वरूप नहींमिल सकता था

34.अंग्रेजो ने पाश्चात्य शिक्षा का प्रचलन ब्रिटिश प्रशासन के लिए क्लर्क पैदाकरने हेतु किया था

35.लेकिन इसके विपरीत अंग्रेजी भाषा ने भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना विकसितकरने की भूमिका निभाई

 

समकालीन यूरोपीय आंदोलनो का प्रभाव :-

1.राष्ट्रवाद की उन तेज लहरों ने जो समकालीन समस्त यूरोपीय देशों और दक्षिण अफ्रीका को प्रभावित कर रही थी

2.भारतीय राष्ट्रवाद को भी स्फूर्ति प्रदानकी थी

3.स्पेन और पुर्तगाल के दक्षिणी अमेरिका के साम्राज्य के खंडहरो पर अनेक राष्ट्रीय राज्य स्थापित हो रहे थे

4.यूरोप में भी यूनान और इटली के राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम ने साधारणतया: और आयरलैंड के स्वतंत्रता संग्राम ने विशेषता:भारतीयों के मनोभावों को अत्यधिक प्रभावित किया

5.सुरेंद्रनाथ बनर्जी और लाला लाजपत राय ने मेंजिनी और उसके द्वारा आरंभ किए गए तरुण इटली आंदोलन पर और

6.गैरीबाल्डी और कार्बोनारी आंदोलनों पर व्याख्यान दिए और लेख लिखे थे

7.इस यूरोपीय राष्ट्रवाद ने उभरते हुए  भारतीय राष्ट्रवादको प्रभावित किया

 

जातिवाद ,भेदभाव पूर्ण नीति और राजनीतिक कारण :-

1.1857 के विद्रोहका एक दुर्भाग्यपूर्ण रिक्थ यह था की शासको और शासित लोगों के बीच एक जातीय कटुता आ गई थी

2.इंग्लैंड की सुप्रसिद्ध व्यंग पत्रिका “पंच” अपने वयंग चित्रों में भारतीयों को उपमानव जीवके रुप में प्रदर्शित करती थी

3.जो आधा गोरिल्ला और आधा हब्शीथा,जो वरिष्ठ पाशविक शक्ति द्वारा ही नियंत्रण में रह सकता है

4.एग्लो इंडियन नौकरशाही ने भारतीयों के प्रति एक दर्प और घृणापूर्ण रुख अपनाना आरंभ कर दिया था

5.किसी न किसी प्रकार उनके मन में यह धारणाबन गई थी,कि भारतीयों के साथ केवल अधिक बल की युक्तिही कार्य करती है

6.इसी प्रकार यूरोपीय लोगों ने एक अपनी आचार संहिता बना ली और वरिष्ठ जाति का सिद्धांत बना लिया था

7.भारतीयों को वे एक निकृष्ट जातिमानने लगे थे

8.जो किसी विश्वास के पात्र नहीं थे

9.इस संकीर्ण दृष्टिकोण के फल स्वरुप भारतीय मन में प्रतिक्रियाउत्पन हुई

10.जिससे शिक्षित भारतीय प्रतिरक्षात्मक स्थिति में हो गए

11.अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के प्रति प्रत्येक जगह जैसे सेना ,उद्योग, सरकारी नौकरियां और आर्थिक क्षेत्र में अपनाई जाने वाली भेदभावपूर्ण नीति भी राष्ट्रीयता के उदय में सहायक हुई

12.अंग्रेजो के भारत में आने से पहले ही यहां राजनीतिक एकीकरण का अभावथा

13.मुगल सम्राट औरंगजेब की मृत्यु के बाद भारतीय राज्य की सीमाएं छिन्न भिन्नहो गई थी

14.लेकिन अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना पर भारत का पुनः राजनीतिक एकीकरणहुआ

15.इसके परिणाम स्वरुप राष्ट्रीयता के उदय मे सहायता मिली