-: राष्ट्रीय मरू उद्यान जैसलमेर :-
1.भारत में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सर्वप्रथम लिखित कानून बनाने वाला शासक मौर्य सम्राट अशोक था जिसने ईसा पूर्व तीसरी सदी में यह प्रयास किया था
2.आधुनिक भारत में वन्यजीव संरक्षण हेतु बनाया गया प्रथम अधिनियम- भारतीय पशु पक्षी संरक्षण अधिनियम – 1887
3.मूल संविधान में वन्यजीव विषय राज्य सूची का विषय था 42वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा वन्यजीव विषय को राज्य सूची से हटाकर समवर्ती सूची में शामिल किया गया
4.राजस्थान सरकार द्वारा वन्य जीव संरक्षण हेतु किए गए प्रयास :-
कतिपय वन्य जीव सरंक्षण अधिनियम 1950 – इस अधिनियम के द्वारा राष्ट्रीय पक्षी मोर व कबूतर को संरक्षण प्रदान किया गया
5.राजस्थान वन्यजीव संरक्षण अधिनियम – 1951 – इस अधिनियम के द्वारा समस्त वन्यजीवों को संरक्षण प्रदान किया गया
6.इस अधिनियम में राजस्थान वन्यजीव बोर्ड के गठन का प्रावधान किया गया
-: राजस्थान वन्यजीव बोर्ड का गठन – 1955 :-
1.राजस्थान वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1951 के तहत राजस्थान वन्य जीव बोर्ड का गठन 1955 में किया गया
2.वन्यजीव बोर्ड नें नवंबर 1955 में राजस्थान के प्रमुख पांच रियासती शिकारगाहों को वन्य जीव अभ्यारण घोषित करने की सिफारिश राज्य सरकार से की
3.राज्य सरकार नें वन्यजीव बोर्ड की सिफारिश के बाद 1 से 7 नवंबर 1955 के बाद पांच वन्यजीव अभयारण्य घोषित किए
-: स्टॉकहोम सम्मेलन :-
1.यह सम्मेलन स्वीडन के शहर स्टॉकहोम में 5 जून से 21 जून 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित किया गया था, इस सम्मेलन में पर्यावरण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे जैसे – प्रत्येक वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस के रुप में मनाने का निर्णय लिया गया
2.संयुक्त राष्ट्र संघ के एक नये अभिकरण UNEP (यूनियन नेशन एनवायरमेंटल प्रोग्राम) के गठन का प्रावधान किया गया , जिस पर 21 jun. 1972 को सदस्य देशो ने इस पर हस्ताक्षर किए
3.अभिकरण का मुख्यालय केन्या के नैरोबी शहर में स्थापित किया गया है
4.भारत सरकार ने स्टॉकहोम सम्मेलन के अनुपालना में महत्वपूर्ण कदम उठाये –
(I)भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम – 1972
(II)यह अधिनियम संपूर्ण राजस्थान में 1 सितंबर 1973 को लागू हुआ
(III)जिसके साथ ही राजस्थान में शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध लग गया
(IV)राष्ट्रीय बाघ संरक्षण परियोजना (टाइगर प्रोजेक्ट) 1973
- केंद्र सरकार ने राजस्थान के 2 वन्य जीव क्षेत्रों को बायो रिजर्व घोषित करने के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण कार्य करवाया है ,जिसमें इन दोनों स्थानों को बायो स्फीयर रिजर्व घोषित करने के लिए उपयुक्त माना गया है –
(I)माउंट आबू पर्वतीय क्षेत्र
(II)राष्ट्रीय मरू उद्यान
-: राष्ट्रीय उद्यान :-
1.किसी वन्य जीव अभ्यारण क्षेत्र को केंद्र सरकार राज्य सरकार के प्रस्ताव पर राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर सकती है
2.राष्ट्रीय अभ्यारण की घोषणा किसी विशेष जीव को संरक्षण प्रदान करने या किसी विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति के लिए की जाती है
-: राष्ट्रीय मरू उद्यान :-
1.वर्तमान में राज्य का सबसे बड़ा अभयारण्य क्षेत्र हैं
(I)क्षेत्रफल – 3162.50 वर्ग किलोमीटर
(II)जैसलमेर में 1962.50 वर्ग किलोमीटर
(III)बाड़मेर में 1200 वर्ग किलोमीटर
(IV)स्थापना – 4 अगस्त 1980
2.इस अभ्यारण क्षेत्र में जैसलमेर बाड़मेर मार्ग पर आकल गांव से लगभग 18 करोड़ वर्ष पुराने 25 काष्ट जिवाश्म मिले हैं
3.इन काष्ठ जिवाश्मो के संरक्षण के लिए यहां राज्य सरकार ने “वुड फासिल पार्क”(काष्ठ जिवाश्म उद्यान) की स्थापना की है
4.राजस्थान में सर्वाधिक संख्या में राज्य पक्षी गोडावण इसी अभयारण्य में पाया जाता है इसलिए इस अभयारण्य क्षेत्र को गोडावण की शरणस्थली कहा जाता है
-: ऑपरेशन बस्टर्ड/प्रोजेक्ट बस्टर्ड :-
1.यह कार्यक्रम इस अभयारण्य क्षेत्र में स्थित घास के मैदानों की पारिस्थितिकी को बचाने के लिए चलाया गया
-: गजलर :-
1.राष्ट्रीय मरू उद्यान क्षेत्र में जगह-जगह पानी को एकत्रित करने में व विशिष्ट स्थानो पर पहुंचाने के लिए भूमिगत पाइप लाइनों के माध्यम से विभिन्न टैंकों को जोड़कर एक नेटवर्क या जाल बनाया गया है जिसे गजलर कहा जाता है!