प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जालंधर में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 106वें अधिवेशन का उद्घाटन किया

0
216

राष्टीय न्यूज़

1.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जालंधर में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 106वें अधिवेशन का उद्घाटन किया:-

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की मदद के लिए कम लागत वाली नई टैक्नोलॉजी के अविष्कार का आह्वान किया है। जालंधर में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 106 वें अधिवेशन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के जीवन को आसान बनाने के लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए। जो सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां हैं उनसे निपटने के लिए नेशनल रिसर्च लैबोरेट्रीज एंड साइंटिफिक आर्गेनाइजेशन को सुलभ, सुगम और सस्ते समाधान तैयार करने होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस नारे में जय विज्ञान जोड़ा था। उन्होंने कहा कि वे इसमें जय अनुसंधान भी जोड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अटल नवसृजन मिशन की शुरूआत की है। विज्ञान कांग्रेस को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री पंजाब में गुरदासपुर रवाना हो जाएंगे। वे वहां एक जनसभा को संबोधित करेंगे।

2.श्री नितिन गडकरी राजस्थान में 6 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में से कुछ की आधारशिला और कुछ का उद्घाटन करेंगे :- 

केन्द्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग, शिपिंग, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री श्री नितिन गडकरी इस शनिवार को जोधपुर, राजस्थान में 5379 करोड़ रुपये लागत की 6 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में से कुछ की आधारशिला रखेंगे और कुछ राष्ट्र को समर्पित करेंगे।जिन परियोजनाओं की श्री गडकरी आधारशिला रखेंगे उनमें जोधपुर रिंगरोड के दनगियावास-केरू-नागौर खंड का पक्के ढलानों के साथ चार लेन तक चौड़ीकरण, राष्ट्रीय राजमार्ग 925 के गगरिया-बावड़ीकला-सेवड़ा-बखासर खंड का पक्के ढलानों के साथ 2/4 लेनों तक चौड़ीकरण, राष्ट्रीय राजमार्ग 925ए के सता-गांधव खंड का भी 2 से 4 लेन तक चौड़ीकरण, राष्ट्रीय राजमार्ग 70 के मुनाबव-सुंद्रा-म्याजलर-धनाना-असुतार-घोटारू-टनोट खंड का पक्के ढलानों के साथ दो लेन तक चौड़ीकरण शामिल है। इन परियोजनाओं की कुल लंबाई 545.456 किलोमीटर और लागत 3631.20 करोड़ रुपये है।राष्ट्र को समर्पित परियोजनाओं में राष्ट्रीय राजमार्ग 68 के जैसलमेर-बाड़मेर खंड का पक्के ढलानों के साथ दो से चार लेनों का चौड़ीकरण, राष्ट्रीय राजमार्ग 68 के बाड़मेर-संचोर-गुजरात बॉर्डर (गांधव पुल तक) खंड का पक्के ढलानों के साथ 2/4 लेन तक चौड़ीकरण, राष्ट्रीय राजमार्ग 15 (नया राष्ट्रीय राजमार्ग-11) के फलौदी-जैसलमेर खंड का पक्के ढलानों के साथ 2/4 लेनों तक चौड़ीकरण शामिल है। इन परियोजनाओं की कुल लंबाई 398.71 किलोमीटर और लागत 1747.54 करोड़ रुपये है। इन परियोजनाओं से पश्चिमी राजस्थान के आर्थिक उत्थान के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ बेहतर जुड़ाव से सुरक्षा स्थिति में सुधार और जिलों, तहसीलों और गांवों के बीच जुड़ाव सुधारने में मदद मिलेगी।

3.नये भारत का नारा ‘’जय जवानजय किसानजय विज्ञानजय अनुसंधान’’ है: प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी :-

भारतीय वैज्ञानिक विश्‍व के श्रेष्‍ठ वैज्ञानिकों के तुलना योग्‍य : डॉ. हर्ष वर्धन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने भारतीय विज्ञान कांग्रेस (आईएससी) 2019 का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में आचार्य जे सी बोस, सीवी रमण, मेघनाद साहा तथा एस एन बोस जैसे महान भारतीय वैज्ञानिकों को याद करते हुए कहा कि इन भारतीय वैज्ञानिकों ने ‘’कम से कम साधन’’ तथा ‘’अधिक से अधिक संघर्ष’’ के जरिए लोगों की सेवा की। चार दिवसीय 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस-2019 तीन से सात जनवरी तक जालंधर के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में चल रही है।

अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री और श्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ नारा दिया, जबकि अटल जी ने इस नारे में ‘जय विज्ञान’ को जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम एक कदम आगे बढ़ें और इसमें ‘जय अनुसंधान’ को संलग्न करें।

प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से सस्ती स्वास्थ्य सेवा, आवास, स्वच्छ पानी, जल एवं ऊर्जा, कृषि उत्पादकता और खाद्य प्रसंस्करण की समस्याओं को हल करने के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध करने का आग्रह किया। उन्‍होंने कहा कि विज्ञान सार्वभौमिक है, इसलिए प्रौद्योगिकी को स्थानीय आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप हल प्रदान करने के लिए स्थानीय नज़रिया रखना होगा।

प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से अपील की वे लोगों का जीवन सुगम बनाने के लिए काम करें। इस संदर्भ में उन्होंने कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सूखा प्रबंधन, आपदा की पूर्व-चेतावनी प्रणाली, कुपोषण दूर करने, बच्चों में दिमागी बुखार जैसी बिमारियों से निपटने, स्वच्छ ऊर्जा, स्वच्छ पेयजल और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में अनुसंधान के जरिए समयबद्ध तरीके से समाधान निकाला जाना चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि अनुसंधान कला, मानवीकी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का मेल है। उन्‍होंने कहा कि अनुसंधान और विकास की रीढ़ हमारी राष्‍ट्रीय प्रयोगशालाएं, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्वालय, आईआईटी, आईआईएससी, टीआईएफआर तथा आईआईएसईआर हैं। उन्‍होंने कहा कि राज्य विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में भी मजबूत अनुसंधान ई-प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।

इस अवसर पर केन्‍द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने विज्ञान और टेक्‍नॉलाजी के क्षेत्र में भारत को विश्‍व के शीर्ष दस देशों की श्रेणी में ले जाने के लिए भारत के वैज्ञानिक समुदाय को धन्‍यवाद दिया। उन्‍होंने देश और विश्‍व में नेतृत्‍व के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी को धन्‍यवाद दिया और कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्‍व को संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव द्वारा स्‍वीकार किया गया, जब वह सर्वोंच्‍च अंतरराष्‍ट्रीय पर्यावरण पुरस्‍कार ‘’ चैम्पियन्‍स ऑफ द अर्थ’’ से प्रधानमंत्री को सम्‍मानित करने के लिए भारत आये थे।

उन्‍होंने वैज्ञानिक समुदाय से गरीब से गरीब व्‍यक्ति के जीवन को बदलने के लिए वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग करने, ग्रामीण क्षेत्र के सस्‍ती टेक्‍नॉलोजी बनाने, जल प्रदूषण समस्‍या का समाधान करने, नए टीके और दवाएं निकालने और स्‍वच्‍छ ऊर्जा के क्षेत्र में नवाचार का आग्रह किया।

भारतीय विज्ञान कांग्रेस 2019 के जनरल प्रेसीडेंट भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन डॉ. मनोज कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि छोटी, स्‍मार्ट और सस्‍ती टेक्‍नॉलोजी लाने के लिए नवाचार और लीक से अलग हटकर कदम उठाना जरूरी है।चार दिन के विज्ञान कांग्रेस में विज्ञान के क्षेत्र में क्‍या किया जा रहा है, क्‍या किया जा सकता है और भारत में विज्ञान और टेक्‍नॉलोजी के भविष्‍य को क्‍या परिभाषा मिलेगी इन विषयों पर चर्चा होगी। आयोजनों में महिला विज्ञान कांग्रेस, बाल विज्ञान कांग्रेस और विज्ञान प्रदर्शनी शामिल हैं। विज्ञान कांग्रेस में 60 देशों के 20,000 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

4.भारतीय पैनोरमा फिल्म उत्सव 4 जनवरी से नई दिल्ली में:- 

भारतीय पैनोरमा फिल्म उत्सव का आयोजन 4 से 13 जनवरी 2019 तक किया जाएगा। 10 दिन चलने वाले इस उत्सव को नई दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम-II में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का फिल्म उत्सव निदेशालय आयोजित कर रहा है।फिल्म उत्सव का उद्घाटन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री अमित खरे 4 जनवरी 2019 को सायं साढ़े 5 बजे करेंगे। उत्सव की शुरूआत में फीचर फिल्म ‘ओलू’ और गैर-फीचर फिल्म ‘खरवास’ दिखाई जाएगी। इस अवसर पर दोनों फिल्मों के निर्देशक श्री शाजी एन. करुण और श्री आदित्य सुहास जंभाले उपस्थित रहेंगे।उत्सव में लिजो जोस पेल्लीसेरी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘ई मा योवे’ भी दिखाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव-2018 में श्री पेल्लीसेरी को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार प्रदान किया गया था।

49वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भारतीय पैनोरमा वर्ग में चुनी जाने वाली सभी फिल्मों को इस उत्सव के दौरान प्रदर्शित किया जाएगा।

5.चांद पर फरवरी मध्य तक भेजा जा सकता है चंद्रयान-2:-

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रमा पर अपना दूसरा अभियान चंद्रयान-2 अगले महीने भेज सकता है। स्वदेशी अंतरिक्ष एजेंसी ने सबसे जटिल चंद्रयान-2 समेत इस साल 32 अभियानों को लांच करने की तैयारी की है।

इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत का पहले मानव अंतरिक्ष अभियान ‘गगनयान’ की तैयारी इस वर्ष अपने चरम पर होगी। इसके जरिए पहली बार तीन भारतीयों को इसरो अंतरिक्ष में भेजेगा। इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने अपने नववर्ष संदेश में कहा कि वर्ष 2019 इसरो के लोगों के सबसे चुनौती भरा होगा। इस साल 14 लांच वेहिकल, 17 उपग्रहों और एक टेक डेमो मिशन समेत कुल 32 अंतरिक्ष अभियानों को लांच करने की योजना है। इसमें सबसे अहम और जटिल चंद्रयान-2 होगा। यह एसएलपी (सेकेंड लांच पैड) से भेजा जाने वाला 25वां अभियान होगा।

इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसे जल्द लांच करने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। फरवरी के मध्य में इस अभियान को लांच करना संभव हो सकता है। हालांकि अभी तक इसके लिए कोई तारीख सुनिश्चित नहीं की गई है। इस अभियान में कोई बाधा नहीं है। सब कुछ ट्रैक पर है। इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए अंतरिक्ष में विंडो जनवरी से फरवरी के मध्य तक ही खुली है।

उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-2 पूर्णत: स्वदेशी अभियान है। इसमें एक आर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर यान शामिल है। इसरो के मुताबिक चंद्रमा पर नियंत्रित लैंडिंग के बाद चंद्रयान का लैंडर चंद्रमा की नरम सतह पर उतरेगा। और निर्दिष्ट स्थान पर एक रोवर को तैनात करेगा। छह पहियों का रोवर चंद्रमा की सतह पर अ‌र्द्ध-स्वायत्त मोड में घूमेगा। यह मोड भी धरती पर निर्धारित कमांड से ही काम करेगा।

3,290 किलो का चंद्रयान-2 चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जाएगा और चंद्रमा की सतह व उसके माहौल को हर स्तर पर परखा जाएगा। चंद्रमा की सतह से भेजे गए पेलोड वैज्ञानिक सूचनाएं एकत्र करेंगे। यह पेलोड खनिज, चंद्रमा के मूल तत्वों का अध्ययन, चंद्रमा के बर्हिमंडल, हाइड्राक्सिल की संरचना और बर्फीले जल आदि के नमूनों को भेजेंगे और उनका अध्ययन करेंगे।

उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-1 भारत का चंद्रमा पर भेजा जाने वाला पहला अभियान था। इसे इसरो ने अक्टूबर, 2008 में लांच किया था और इसका संचालन अगस्त, 2009 तक किया गया था। इसी अभियान के जरिए पहली बार चंद्रमा पर अथाह जलराशि होने का पता चला था। इसके बाद नासा ने भी चंद्रमा पर अपना अभियान भेजकर वहां पानी होने की पुष्टि की थी।

6.कभी सोचा भी न था कि 5 हजार में मिलेगा एसी का मजा, एचबीटीयू छात्र ने ऐसे किया सपना पूरा:-

कभी आपने सोचा है कि पांच हजार रुपये में एयर कंडीशनर (एसी) का मजा मिल सकता है। लेकिन ये सच है। हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) के बीटेक छात्र ने एक ऐसे एयर कंडीशनर (एसी) का मॉडल (प्रोटोटाइप) बनाया है जो कि आम आदमी के बजट में है। इस आइडिया को नीति आयोग ने ‘मोबाइल बस आइडिया पिचिंग’ के तहत स्टार्टअप के लिए चुना है। देशभर से करीब एक हजार आइडिया में मैकेनिकल इंजीनियरिंग तृतीय वर्ष के छात्र पूर्णम कुशवाहा का आइडिया अव्वल रहा, जिसे आम आदमी तक पहुंचाने के लिए एचबीटीयू इंक्यूबेशन सेंटर काम कर रहा है।

12 वोल्ट की बिजली से चलेगा एसी
पूर्णम के आइडिया से न केवल एसी खरीदना आम आदमी के बजट में होगा बल्कि यह बिजली भी बचाएगा। महज 12 वोल्ट बिजली से इसे चलाया जा सकता है। छोटे कमरे को ठंडा रखने में सक्षम यह एसी कार की बैटरी व सौर ऊर्जा से चलने में सक्षम है। सालभर के शोध के बाद एचबीटीयू के इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन डीन प्रो. कृष्णराज की गाइडेंस में छात्र ने आधुनिक व सस्ता एसी तैयार किया है।

आवाज पर नियंत्रित करेगा तापमान व आ‌र्द्रता
पूर्णम ने बताया कि इस एसी में वॉयस रिकग्निशन मॉड्यूल का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह आवाज पर चलता है। आवाज से इसका तापमान व आ‌र्द्रता घटाई व बढ़ाई जा सकती है। यह मॉड्यूल निर्देश देने वाली आवाज को इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदल देता है, जिसे यह फॉलो करता है। अभी जो एसी बनते हैं, उनमें मैकेनिकल मशीनरी का इस्तेमाल किया जाता है। नतीजतन, उनकी कीमत बढ़ जाती है।

मैकेनिकल मशीनरी की जगह सेंसर का प्रयोग
लेकिन पूर्णम ने मैकेनिकल मशीनरी का इस्तेमाल न करके सेंसर का प्रयोग किया है, जिससे एसी का वजन व कीमत कम हो गई। उक्त एसी थर्मोकपल प्रिंसिपल पर आधारित है, जिसमें सिरेमिक थर्मोकपल सेंसर लगाए गए हैं। यह सेंसर अपने आपमें पूरी मशीनरी का काम करते हैं। इसके अलावा यह इतना छोटा है कि इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर बड़ी आसानी से ले जाया जा सकता है।

7.भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों के लिए खोले थे शिक्षा के दरवाजे:-

भारत में महिलाओं की शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर मोदी सरकार कई योजनाएं चला रही है, जिसकी वजह से महिलाएं जागरूक हुई हैं। लेकिन महिलाओं को शिक्षित और अपने पैरों पर खड़ा करने की मुहिम सावित्रीबाई फुले ने 19वीं सदी में ही शुरू कर दी थी। सावित्रीबाई फुले एक समाजसेवी और शिक्षिका थी, जिन्होंने शिक्षा ग्रहण कर ना सिर्फ समाज की कुरीतियों को हराया, बल्कि भारत में लड़कियों के लिए शिक्षा के दरवाजे खोलने का काम किया।

सावित्रीबाई फुले ने कई बाधाओं को पार करते हुए स्त्रियों को शिक्षा दिलाने के अपने संघर्ष में बिना धैर्य खोये और आत्मविश्वास के साथ डटी रहीं और सफलता प्राप्त की। सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा के साथ मिलकर उन्नीसवीं सदी में स्त्रियों के अधिकारों, शिक्षा छुआछूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह तथा विधवा-विवाह जैसी कुरीतियां और समाज में फैले अंधविश्वास के खिलाफ संघर्ष किया। सावित्रीबाई फुले का जन्म तीन जनवरी 1831 को महाराष्ट्र में हुआ था। सावित्रीबाई फुले और उनके पति ज्योतिराव फुले ने भारत में महिला शिक्षा की नींव रखी थी। दोनों ने पहली बार 1848 में पुणे में देश का पहला आधुनिक महिला स्कूल खोला था। सावित्रीबाई फुले और ज्योतिराव फुले ने जातिवाद, छुआछूत और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी थी।

सावित्रीबाई का जन्म एक धनी किसान परिवार में हुआ था। 1940 में नौ साल की उम्र में उनका विवाह 12 वर्षीय ज्योतिराव फुले से हुआ। सावित्रीबाई और ज्योतिराव की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने यशवंतराव को गोद लिया था। सावित्रीबाई को पढ़ना-लिखना उनके पति ज्योतिराव ने सिखाया था। सावित्रीबाई फुले ने पति के साथ मिलकर पुणे में महिला स्कूल खोला और उसमें टीचर के रूप में काम करने लगीं। बाद में सावित्रीबाई ने अछूतों के लिए भी स्कूल खोला।

शिक्षा ग्रहण करने के बाद सावित्री बाई ने अन्य महिलाओं को भी शिक्षित करने का जिम्मा उठाया और ज्योतिबा के साथ मिलकर 1848 में पुणे में बालिका विद्यालय की स्थापना की, जिसमें कुल नौ लड़कियों ने दाखिला लिया और सावित्रीबाई फुले इस स्कूल की प्रधानाध्यापिका बनीं। इसके बाद रास्ते आसान होते चले गए और उन्होंने भारत में लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा के अधिकार के साथ अन्य मूलभूत अधिकार दिलाने की भी लड़ाई लड़ी।

आजादी के पहले पुणे बॉम्बे प्रेसिडेंसी में स्थित था। ब्रिटिश शासकों ने फुले दंपति की समाज सुधार के कार्यक्रम चलाने में मदद की। उन्नीसवीं सदी में हिंदुओं में बाल विवाह काफी प्रचलित था। मृत्यु दर अधिक होने के कारण कई लड़कियां बाल विधवा हो जाती थीं। सामाजिक रूढ़ियों और परंपराओं के कारण विधवा लड़कियों का विवाह नहीं हो पाता था। फुले दंपति ने बाल विवाह के खिलाफ भी सुधार आंदोलन चलाया। कहा जाता है कि फुले दंपति ने जिस यशवंतराव को गोद लिया था। वो एक ब्राह्मण विधवा के बेटे थे।

सावित्रीबाई ने 1897 में अपने बेटे यशवंतराव के संग मिलकर प्लेग के मरीजों के इलाज के लिए अस्पातल भी खोला था। पुणे स्थित इस अस्पताल में यशवंतराव मरीजों का इलाज करते और सावित्रीबाई मरीजों की देखभाल करती थीं। मरीजों की देखभाल करते हुए वो खुद भी इस बीमारी की शिकार हो गईं और 10 मार्च 1897 को उनका देहांत हो गया।

8.भारतीय सेना का वो शेर जिसने इंदिरा के आदेश को भी मानने से किया था इन्‍कार:-

फील्‍ड मार्शल सैम मानेकशॉ का नाम भला कौन नहीं जानता है। सैम  भारतीय सेना के उस शेर का नाम है जो कभी किसी के सामने नहीं झुका। भारतीय सेना का वो सबसे चहेता जनरल था। ऐसा इसलिए क्‍योंकि वह हमेशा ही अपने जवानों के बीच अपनों की ही तरह रहते थे। उनसे हाल-चाल लेते समय किसी सिपाही को इस बात का अहसास भी नहीं होता था कि उनके सामने सेना का प्रमुख खड़ा है। उनकी इस खूबी के तो पाकिस्‍तान के लाखों बंदी सैनिक भी कायल थे। बांग्‍लादेश को पाकिस्‍तान के चंगुल से मुक्‍त कराने के लिए जब 1971 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैन्‍य कार्रवाई करने का मन बनाया तो तत्‍काल ऐसा करने से सैम ने साफ इंकार कर दिया था। अब सैम पर बॉलीवुड में एक फिल्‍म भी बनने वाली है, जिसमें रणवीर सिंह मुख्‍य किरदार में होंगे और इसको डायरेक्‍ट मेघना गुलजार करेंगी।  इंदिरा गांधी खुद भी बेहद तेज-तर्रार महिला प्रधानमंंत्री थीं जिन्‍हें कोई न करने की हिम्‍मत नहीं जुटा पाता था। लेकिन मानेकशॉ ने इंदिरा गांधी के सामने बैठकर उन्‍हें इन्‍‍कार कर दिया था। इस पूरे किस्‍से को उन्‍होंने एक बार इंटरव्‍यू में बताया था। जून 1972 में वह सेना से रिटायर हो गए थे। 3 जनवरी 1973 को सैम मानेकशॉ को भारतीय सेना का फील्‍ड मार्शल बनाया गया था। उनका पूरा नाम सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेद जी मानेकशॉ था।

 

बाजार न्यूज़

9.राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी का पुनर्गठन करके बनेगा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण:-

 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी का पुनर्गठन करके राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण बनाने की मंजूरी दे दी है। नई दिल्ली में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण के गठन से प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना को कुशल, कारगर और पारदर्शी तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी।