बर्फ पानी पर क्यों तैरती है

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क्या आपने कभी सोचा है कि कोई भी ठोस पदार्थ किसी भी तरल पदार्थ पर क्यों तैरता है, डूबता क्यों नही है, परन्तु सभी ठोस पदार्थ नही तैरते है जैसे कि पत्थर. एक सवाल और उठता है कि कोई भी वस्तु कैसे तैरती है. चलिए देखते हैं कि बर्फ पानी के ऊपर क्यों रहती है, डूबती क्यों नहीं.
सबसे पहले देखते है कि कोई भी वस्तु तैरती क्यों है  –
जब कोई भी वस्तु तैरती है, ये निर्भर करता है उसके घनत्व पर. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है और वह है आर्किमिडीज का सिद्धांत.
आर्किमिडीज के सिद्धांत में कहा गया है कि किसी भी वस्तु को पानी पर तैरने के लिए, वस्तु के वजन के बराबर पानी की मात्रा को विस्थापित करना होता है. ये हम सब जानते है कि ठोस वस्तु में तरल पदार्थ की तुलना में अधिक घनत्व होता हैं. ठोस वस्तु में अणु एक-दूसरे के साथ अधिक निकटतापूर्वक बंधे होते हैं, जिसकी वजह से ये कठोर होते है और उनमें वजन भी अधिक होता है.
पानी पर बर्फ क्यों तैरती हैं ? –

अकसर जब कोई भी तरल पदार्थ ठोस पदार्थ में बदलता है तो उसका आयतन घट जाता है और वह भारी हो जाता है. बर्फ पानी पर इसलिए तैरती है क्योंकि बर्फ का घनत्व पानी से कम होता है. आम भाषा में हम यह कह सकते हैं कि बर्फ पानी पर तैरती है क्योंकि यह पानी की तुलना में हलकी होती है या फिर जमने के बाद बर्फ ज्याैदा जगह घेरती है, जिस कारण बर्फ का घनत्वल पानी के घनत्वय से कम हो जाता है और इसी वजह है बर्फ पानी पर तैरने लगती है.
पानी में हाइड्रोजन बोन्डिंग के कारण बाकी पदार्थों से यह अलग होता है. पानी के अणु दो हाइड्रोजन जो कि पॉजिटिवली चार्ज होता है और एक ऑक्सीजन जो कि नेगेटिवली चार्ज होता है के साथ हाइड्रोजन बांड के द्वारा जुड़े हुए होते है. पानी 4C से नीचे ठंडा होता है और यह एक क्रिस्टल जाली का उत्पादन करता है, जिसे आमतौर पर ‘बर्फ’ कहा जाता है.

बर्फ तैरती है क्योंकि इसमें 9% कम घनत्व होता है तरल पानी से. दूसरे शब्दों में, बर्फ पानी से 9% अधिक जगह लेती है, इसलिए एक लीटर बर्फ का वजन एक लीटर पानी से कम होता  है. पानी बर्फ से भारी होने के कारण बर्फ को अवस्थित कर देता है, जिसके कारण बर्फ पानी पर तैरने लगती है.

किस गैस को ड्राई आइस कहते हैं और क्यों ? –

ड्राई आइस (Dry Ice)  ठोस रूप से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2 होती है और इसको ड्राई आइस इसीलिए कहा जाता है क्योंकि जब यह गैस ठोस होती हैं (solidify) तो बर्फ की तरह दिखाई देती हैं. यह मुख्य रूप से कुलिंग एजेंट की तरह प्रयोग होती है और हमारे पृथ्वी के वायुमंडल का एक सामान्य हिस्सा है. शुष्क बर्फ या ड्राई आइस को पहली बार 1835 में फ्रांसीसी आविष्कारक एड्रियन-जीन-पियर थिलोरियर (Adrien-Jean-Pierre Thilorier) ने अनुसरण किया था.यह वो गैस है जिसे हम श्वास लेने के दौरान निकालते है और पौधे प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) में उपयोग करते हैं. सोडा पानी बनाने के लिए यह सामान्यतः पानी में जोड़ा जाने वाला गैस है. यह गैस अक्सर औद्योगिक प्रक्रियाओं में और सूखी बर्फ बनाने के लिए पुनर्नवीनीकरण के दौरान इस्तेमाल की जाती है.

ड्राई आइस विशेष रूप से ठंड के लिए उपयोगी है, और ठंडे तापमान के कारण चीजों को जमे हुए रखती है: -109.3 डिग्री फारेनहाइट या -78.5 डिग्री सेल्सियस पर. ड्राई आइस का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है क्योंकि यह जल्दी शुष्क हो जाती है और विद्युत-रोधित दस्ताने का उपयोग भी करने में सहुलियत होती है. ड्राई आइस सामान्य वातावरणीय स्थितियों में गिले तरल पदार्थ में बिना बदले ही ठोस (solid) से गैस में सीधे बदल जाती है. इस प्रक्रिया को ऊध्र्वपातक (sublimation)कहते हैं.

क्या आप जानतें है कि फ्रीजर में ड्राई आइस को स्टोर नहीं किया जाता है क्योंकि इसको रखने से फ्रीजर का थर्मोस्टैट अत्यधिक ठंडा होने के कारण फ्रीजर को बंद करदेगा और इससे फ्रीजर टूट भी सकता है.
ड्राई आइस का उपयोग कहा-कहा होता है ? –
– गैर चक्रीय प्रशीतन ( non-cyclic refrigeration) का उपयोग करके, ड्राई आइस खाद्य पदार्थों को संरक्षित करता है.
– यह अक्सर वस्तुओं को पैक करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है क्योंकि  इन वस्तुओं को यांत्रिक कूलिंग (mechanical cooling) के उपयोग के बिना ठंडा या जमे हुए रहना चाहिए, जैसे कि आइसक्रीम या बायोलॉजिकल सैमपल्स आदि.