भारत में बहुद्देशीय सिंचाई, बाँध, नदी परियोजनाएँ

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भारत में बहुद्देशीय सिंचाई, बाँध, नदी परियोजनाएँ

 

भारत में सिंचाई के प्रमुख साधनों के अंतर्गत नहरें, कुएँ, नलकूप डीजल, तालाब आदि आते हैं. 1951 में भारत का कुल सिंचित क्षेत 226 लाख हेक्टेयर था, वहीं मार्च 2010 तक बढ़कर 10.82 करोड़ हेक्टेयर तक पहुँच गया. सिंचाई परियोजनाओं की क्षमता के आधार पर प्रकृति निर्धारित की जाती है.

 

परियोजनाएँ क्षमता
लघु सिंचाई परियोजनाएँ  2000 हेक्टेयर से कम क्षेत्र. इसके अंतर्गत कुआँ, नलकूप, डीजल पम्पसेट इत्यादि आते हैं. 2010 में राष्ट्रीय लघु सिंचाई मिशन शुरू की गई.
मध्यम सिंचाई परियोजनाएँ  2000 हेक्टेयर से 10,000 हेक्टेयर के बीच. नहरें आदि.
वृहत सिंचाई परियोजनाएँ   10000 हेक्टयर से अधिक. बाँध इसके उदाहरण हैं. देश की 38% सिंचाई आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं.

भारत में बहुद्देशीय सिंचाई परियोजनाएँ – Multi-purpose Irrigation Projects in India

 

दामोदर घाटी परियोजना (Damodar Valley Project)

स्वतंत्र भारत की प्रथम बहुद्देशीय परियोजना है.

इसका विस्तार झारखण्ड और प.बंगाल में है.

संयुक्त राज्य अमेरिका की टेनेसी घाटी परियोजना, (1933) के आधार पर 1948 में इसका विकास किया गया.

1948 से “DVC” दामोदर वैली कोपेरेशन की शुरुआत हुई.

दामोदर नदी छोटानागपुर की पहाड़ियों से निकलकर प.बंगाल में हुगली नदी से मिल जाती है.

इस परियोजना पर तिलैया, कोनार, मैथन, पंचेत बाँध बनाए गए.

बोकारो, दुर्गापुर, चंद्र्पुआ, पतरातू में ताप बिजली गृहों का निर्माण किया गया.

 

भाखड़ा नांगल परियोजना (Bhakra Nangal Project)

यह परियोजना पंजाब तथा हिमाचल में सतलज नदी पर बनाई गयी है.

यह देश की सबसे बड़ी बहुद्देशीय परियोजना है.

यह संसार का सबसे ऊँचा गुरुत्वीय बाँध (226 मी.) है.

गोविन्द सागर बाँध (हिमाचल प्रदेश) इसी पर है.

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश इससे लाभान्वित हैं.

 

रिहंद बाँध परियोजना (Rihand Dam Project)

सोन नदी की सहायक नदी पर रिहंद बाँध पर बनाया  गया.

बाँध के पीछे “गोविन्द वल्लभ पन्त सागर” नामक कृत्रिम झील बनाई गई.

“गोविन्द वल्लभ पन्त सागर” भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है.

यह मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है.

 

हीराकुड बाँध परियोजना (Hirakud Dam Project)

उड़ीसा संभलपुर के निकट महानदी पर बनाया गया है तथा संसार का सबसे लम्बा बाँध है.

 

गंडक परियोजना (Gandak Project)

यह भी नेपाल के सहयोग से पूरी की गई है.

इसमें मुख्य नाहर गंडक पर बने वाल्मिकी नगर बैराज से निकाली गई है.

 

कोसी परियोजना (Kosi Project)

यह बिहार राज्य में नेपाल के सहयोग से पूरी की गई है.

विनाशकारी बाढ़ों के कारण कोसी को “उत्तरी बिहार का शोक” कहा जाता है.

मुख्य नहर कोसी पर बने हनुमान नगर बैराज (नेपाल) से निकाली गई है.

भविष्य में इस योजना के शक्ति गृहों को दामोदर घाटी परियोजना के शक्तिगृहों से मिलाकर नेटवर्क बनाने की भी योजना है.

 

इंदिरा गाँधी (राजस्थान नहर) परियोजना (Indira Gandhi Project)

इस परियोजना में रावी और व्यास नदियों का जल सतलज नदी में लाया जाता है.

व्यास नदी पर पोंग नामक बाँध बनाया गया है.

इसका मुख उद्देश्य नए क्षेत्रों को सिंचित करके कृषि योग्य बनाना है.

यह संसार की सबसे लम्बी नहर है. जिससे उत्तर प्रदेश, राजस्थान के गंग नहर – बीकानेर, जैसलमेर जिलों की सिंचाई की जाती है.

 

चम्बल परियोजना (Chambal Project)

यमुना की सहायक चम्बल नदी के जल का उपयोग करने के लिए मध्य प्रदेश व राजस्थान ने यह परियोजना संयुक्त रूप से बनायी गई है.

इस परियोजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश से गांधी सागर बाँध तथा राजस्थान में राणा प्रताप सागर बाँध, जवाहर सागर बाँध तथा कोटा बैराज बनाए गए हैं.

इस परियोजना का मुख्य उद्देश चम्बल नदी की द्रोणी में मृदा का संरक्षण करना है.

 

नागार्जुन परियोजना (Nagarjun Project)

यह आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी पर बनायी गई है.

बौध विद्वान् नागार्जुन के नाम पर इसका नाम “नागार्जुन सागर” रखा गया.

 

तुंगभद्रा परियोजना (Tungabhadra Dam Project)

यह आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक राज्यों के सहयोग से कृष्णा की सहायक तुंगभद्र नदी पर मल्लपुरम के निकट बनाया गया है.

 

मयूराक्षी परियोजना (Mayurakshi Dam Project)

छोटा नागपुर  पठार के उत्तर-पूर्वी भाग की एक छोटी नदी मयूराक्षी के मसानजोर नामक स्थान पर बांधकर झारखण्ड को बिजली से और प. बंगाल को सिंचाई की नहरों से लाभान्वित किया जा रहा है.

इसे “कनाडा बाँध” भी कहते हैं.

 

शरावती परियोजना (Sharavathi Dam Project)

यह कर्णाटक में भारत के सबसे ऊँचे जोग या महात्मा गांधी जलप्रपात पर बनाया गया है.

यहाँ से बंगलौर के औद्योगिक क्षेत्र तथा गोवा और तमिलनाडु राज्यों को भी बिजली भेजी जाती है.

 

कोयना परियोजना (Koyna Dam Project)

यह परियोजना महाराष्ट्र के कृष्णा की सहायक कोयना नदी पर है.

मुंबई-पुणे औद्योगिक क्षेत्र को यहीं से बिजली भेजी जाती है.

 

बगलिहार परियोजना (Baglihar Dam Project)

यह परियोजना जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर 450 मेगावाट की जलबिजली परियोजना है.

इसके  निर्माण को 1960 की सिन्धु जल संधि का उल्लंघन माना जाता है.

 

किशनगंगा परियोजना (Kishanganga Dam Project)

यह जम्मू-कश्मीर में झेलम नदी पर 330 मेगावाट की जलबिजली परियोजना है.

इस पर भूमिगत सुरंग बनाने की भी बात है.

 

केन-बेतवा लिंक परियोजना (Ken-Betwa Link Project)

इसका शुभारम्भ 2005 को प्रायद्वीपीय नदी विकास योजना के अंतर्गत किया गया.

इस परिजना का नाम “अमृत क्रांति परियोजना” भी है.

इसे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में चलाया जा रहा है.

इसकी क्षमता लगभग 9 लाख हेक्टयेर की सिंचाई की है.

इस पर 72 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है.

“दौधन बाँध” केन-बेतवा लिंक को जोड़ने हेतु बनाया गया है.

बनवा बाँध जलाशय बेतवा नदी पर मिलाया जायेगा.

 

सरदार सरोवर परियोजना (Sardar Sarovar Project)

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात व अजस्थान की संयुक्त परियोजना है.

यह नर्मदा और उसकी सहायक नदियों पर बने जा रही है.

इसमें कुल 6 बहुद्देशीय, 5 जलबिजली, 15 सिंचाई परियोजनाएँ हैं.

पूर्ण होने पर यह भारत की सबसे बड़ी कमान क्षेत्र विकसित परियोजना होगी.

इसका उद्देश्य सिंचाई के अलावा, घरेलू जलापूर्ति, रोजगार, पशुपालन, मत्स्यकी, बाढ़ नियंत्रण व नहरी परिवहन है.

इस परियोजना का सबसे अधिक लाभ मध्य प्रदेश को मिलेगा.

 

टिहरी परियोजना (Tehri Project)

उत्तराखंड में भागीरथी व भिलांगना नदी के संगम पर बनाया गया है.

यह विश्व का सबसे ऊँचा चट्टान आपूरित बाँध होगा.

यह परियोजना तीन स्तरों पर चलाई जा रही है – प्रथम चरण- 1000 मेगावाट, द्वितीय चरण 1400 मेगावाट, तृतीय चरण 2400 मेगावाट.

क्षमता 2.7 लाख हेक्टयर सिंचाई की है.

बाढ़ तथा सूखा को कम करना, मत्स्य पालन, नहरी परिवहन इसका उद्देश्य है. अन्य उद्देश्य रोजगार बढ़ाना तथा विकास कार्य में प्रगति है.

यह भूकम्प क्षेत्र के जोन V में आता है. इसके महान टियर फौल्ट पर स्थित होने के कारण यह आशंका और भी बढ़ जाती है.

 

देवसारी बाँध परियोजना (Devsari Dam Project)

उत्तराखंड की पिंडर घाटी में गढ़वाल के चमोली जिले में पिन्डनू नदी पर यह परियोजना है.

भूकंप जोन 4 और 5 में यह आता है.