राजस्थान में रीति-रिवाज,परम्पराये और वेशभूषा

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1.नया मकान बनाने पा उसके उद्घाटन की रस्म कहलाती है-

(अ) नांगल

(ब) कुआ पुजन

(स) सामेला

(द) आरन्या

उत्तर-नांगल

 

2.वह जाति कौनसी है जिसके लोग पालकी उठाने का कार्य करते है-

(अ) सिरवी

(ब) कहार

(स) बंधारा

(द) मीरासी

उत्तर-कहार

 

3.कौनसा नाक से संबंधित आभूषण है-

(अ) बीछूड़ी

(ब) चोप

(स) नोगरी

(द) बींटीं

उत्तर-चोप

 

4.मुरकिया शरीर के कौनसे भाग का आभूषण है-

(अ) गरदन

(ब) कान

(स) मस्तक

(द) पांव

उत्तर-कान

 

  1. निम्न में से हाथ के अगुठे में पहने जाने वाली अगूठी को कहते है-

(अ) मादलिया

(ब) अरसी

(स) रखन

(द) चैक

उत्तर-अरसी

 

6.राजस्थान में सुरलिया आभुषण कहां पहना जाता है-

(अ) कान में

(ब) गले में

(स) सिर पर

(द) बाजू पर

उत्तर-कान में

 

7.शारदा एक्ट 1929 के द्वारा विवाह के लिए कन्या एंव युवक की न्यूनतम कितनी आयु तय की गई-

(अ) 18 व 21

(ब) 14 व 18

(स) 12 व 16

(द) 14 व 16

उत्तर-18 व 21

 

8.1832 मे कानून बनाकर दास प्रथा को समाप्त करनें वाला गवर्नर जनरल निम्न में सें कौन था-

(अ) लॉर्ड आकलैण्ड

(ब) लार्ड हार्डिग

(स) लार्ड विलियम बैंटिक

(द) लॉर्ड एलनबरों

उत्तर-लार्ड विलियम बैंटिक

 

9.किस संस्कार के पश्चात् ब्रह्मर्चाश्रम की शुरूआत होती है-

(अ) समावर्तन

(ब) उपनयन

(स) चूड़ाकर्म

(द) विद्यारम्भ

उत्तर-उपनयन

 

10.आतमसुख से आशय है-

(अ) अविवाहित आदिवासी युवतियों व बालिकाओं की ओढ़नी है

(ब) मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहना जानें वाला वस्त्र

(स) भील पुरूषों द्वारा पगड़ी के स्थान पा पहने जाने वाला वस्त्र

(द) तेज सर्दी में पुरूषों द्वारा ओढा जाने वाला वस्त्र

उत्तर-तेज सर्दी में पुरूषों द्वारा ओढा जाने वाला वस्त्र

 

11.मेमंद क्या है-

(अ) सिर का आभूषण

(ब) भीलों की चूनड़

(स) नाक का आभूषण

(द) पुरूषों का अंगवस्त्र

उत्तर-सिर का आभूषण

 

12.गोरबन्द आभूषण क्या है-

(अ) राजस्थानी महिलाओं द्वारा हाथ में पहनने का

(ब) राजस्थानी महिलाओं के सिर पर पहननें का

(स) पश्चिमी राजस्थानी महिलाओं द्वारा गले में पहनने का

(द) ऊँट के गले का

उत्तर-ऊँट के गले का

 

13.अमरशाही है-

(अ) चप्पलों का प्रकार

(ब) जूतों का प्रकार

(स) गहनों का प्रकार

(द) पगड़ी का प्रकार

उत्तर-पगड़ी का प्रकार

 

14.कौनसा वस्त्र औढ़नी का प्रकार नहीं है-

(ब) धनक

(स) मोठड़ा

(द) पोमचा

उत्तर-ठमड़ा

 

15.हाली प्रथा से आशय है-

(अ) युद्ध के ढोल नगाड़े बजाने वाले एवं समान ढोने वाले स्थायी मजदुर से

(ब) घरों पर काम करने वाले बधुआ मजदुर से

(स) खेतों व घरों पर काम करने वाले बधुआ मजदुर से

(द) विवाह पर दिए जाने वाले दास दासी से

उत्तर-खेतों व घरों पर काम करने वाले बधुआ मजदुर से