स्वामी विवेकानंद का वो भाषण जिसने दुनियाभर में बजाया था भारत के ज्ञान का डंका

0
204

1.स्वामी विवेकानंद का वो भाषण जिसने दुनियाभर में बजाया था भारत के ज्ञान का डंका:-

स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekanand) का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। दुर्गाचरण दत्ता, (नरेंद्र के दादा) संस्कृत और फारसी के विद्वान थे उन्होंने अपने परिवार को 25 की उम्र में छोड़ दिया और एक साधु बन गए। उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं। उनका अधिकांश समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था। नरेंद्र के पिता और उनकी मां के धार्मिक, प्रगतिशील व तर्कसंगत रवैया ने उनकी सोच और व्यक्तित्व को आकार देने में मदद की।स्वामी विवेकानंद से कौन परिचित नहीं है। बहुत कम उम्र में ही उन्होंने अपने ज्ञान का लोहा पूरी दुनिया में मनवा लिया था। अमेरिका के शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म संसद में दुनिया के सभी धर्मों के प्रतिनिधियों के बीच सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वामी विवेकानंद ने जो यादगार भाषण दिया था, उसने दुनियाभर में भारत की अतुल्य विरासत और ज्ञान का डंका बजा दिया था।आज भी अधिकांश लोग यह तो जानते हैं कि उन्होंने अपना भाषण ‘बहनों और भाइयों?” के संबोधन से शुरू कर सबको भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से अवगत करवाया था, लेकिन उन्होंने शेष भाषण में क्या कहा था, इसकी जानकारी कम ही लोगों को है। विश्व धर्म संसद में स्वामीजी के उस भाषण को आज 125 साल पूरे हो चुके हैं। आज स्वामीजी के उसी भाषण से सीख लेने से बेहतर और क्या हो सकता है। प्रस्तुत है उस ऐतिहासिक भाषण के कुछ खास अंश।मेरा धन्यवाद कुछ उन वक्ताओं को भी है, जिन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देश भारत से फैला है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है।

 

 

हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है।

2.ट्रम्प ने एच1 बी वीजा नियमों में बदलाव का वादा किया, कहा-प्रतिभाशाली पेशेवरों को मिलेगा मौका:-

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को एच-1बी वीजा धारकों को आश्वासन दिया कि उनका प्रशासन जल्द ऐसे बदलाव करेगा जिससे उन्हें अमेरिका में रुकने का भरोसा मिलेगा और जिससे उनके लिए ”नागरिकता लेने के लिए संभावित रास्ता बनेगा।” अधिकतर एच-1बी वीजा धारक आईटी पेशेवर हैं। ट्रम्प ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि उनका प्रशासन एच-1बी वीजा में अमेरिकी नीतियों में बदलाव लाने की योजना बना रहा है और वह प्रतिभाशाली और उच्च कौशल लोगों को अमेरिका में करियर बनाने के लिए बढ़ावा देगा। साथ ही इससे यहां की नागरिकता लेने का संभावित रास्ता खुलेगा। हम प्रतिभाशाली और उच्च कौशल लोगों को अमेरिका में कॅरियर बनाने के लिए बढ़ावा देंगे।” राष्ट्रपति शासनकाल के प्रथम दो वर्षों में ट्रम्प प्रशासन ने एच-1बी वीजा धारकों के वहां अधिक समय तक ठहरने, विस्तार और नया वीजा हासिल करना कठिन बना दिया था। भारतीय आईटी पेशेवर एच-1बी वीजा की काफी चाहत रखते हैं। यह गैर आव्रजन वीजा है जिसमें अमेरिकी कंपनियां विशेषज्ञ विदेशी कामगारों को रोजगार पर रखती हैं।

3.ऐतिहासिक धरोहरों का कुंभ है ‘हंपी’, दुनियाभर के बेहतरीन पर्यटन स्थल में दूसरे स्‍थान पर:-

कर्नाटक के बेल्लारी जिले में स्थित ‘हंपी’ को दुनियाभर के सबसे बेहतरीन पर्यटन स्थलों की इस साल की सूची में दूसरा स्थान दिया गया है। यूनेस्को की ‘वैश्विक धरोहर सूची’ में शामिल हंपी 1336 से 1646 के बीच के विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था। तुंगभद्रा नदी के तट पर कई मील तक फैला यह प्राचीन नगर 16वीं शताब्दी के दौरान विश्व के सबसे बड़े और समृद्ध नगरों में से एक था। हंपी के अतिरिक्त सबसे बेहतरीन पर्यटन स्थलों की सूची में कैरेबियाई द्वीप प्यूर्टोरिको को पहला स्थान दिया गया है। सेंटा बारबरा, पनामा, जर्मनी के शहर म्युनिख, इजरायल के इलत, जापान के सेतोची, डेनमार्क के अलबोर्ग, पुर्तगाल के अजोरेस को भी इस सूची में स्थान दिया गया है।

पौराणिक ग्रंथों में भी वर्णन 
हंपी का उल्लेख विजयनगर साम्राज्य से भी पहले के कालों में मिला है। सम्राट अशोक के शासन के दौरान लिखे गए कई शिलालेख हंपी में भी मिले हैं। ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हंपी नगर का जिक्र पौराणिक ग्रंथों में भी है। रामायण के साथ अन्य ग्रंथों में इस शहर को पंपा देवी तीर्थ क्षेत्र बताया गया है। देवी पार्वती को पंपा भी कहा जाता है। माना जाता है कि राम और लक्ष्मण ने यहां पर हनुमान, सुग्रीव समेत पूरी वानर सेना से मुलाकात की थी।

अपनी वास्तुकला के लिए मशहूर है हंपी 
हंपी ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहरों का कुंभ है। यहां 1,600 से भी अधिक हिंदू मंदिर, महल, किले और संरक्षित पत्थरों के स्मारक हैं। वास्तुकला के लिहाज से ये सारे स्मारक अनोखे हैं। यहां हिंदू देवी-देवताओं के कई मंदिर भी हैं जिनमें विरुपक्षा, विजय वित्तला, हेमाकुता मंदिर आदि प्रमुख हैं। यहां भगवान गणेश के साथ नरसिंह देव के भी मंदिर हैं। कई मंदिरों में लोग आज भी पूजा करने जाते है।

मंदिरों में बंटा हंपी 
मूलत: हम्पी का दक्षिणी हिस्सा तीन मुख्य मंदिरों में बंटा माना जा सकता है। विरुपाक्ष मंदिर, अच्युतराया मंदिर और विट्ठल मंदिर। विरुपाक्ष मंदिर अभी भी एक जीवंत देवस्थान है, जहां नियम से पूजा-अर्चना होती है। 165 फीट लंबे और 150 फीट चौड़े शिखर वाला यह मंदिर दूर से ही दिखाई देता है। विरुपाक्ष मंदिर से कुछ दूरी पर एकशिला नंदी की विशाल प्रतिमा है। उस विशालकाय नंदी और मंदिर के बीच लगभग डेढ़ सौ मीटर की दूरी है। ऐसे में हम मंदिर की भव्यता का अंदाजा स्वयं लगा सकते हैं।

4.5 देशों के 150 पतंगबाज इस बार बना रहे अहमदाबाद के अंतरराष्‍ट्रीय पतंग महोत्‍सव को खास :-

वैसे तो उत्तरायण पूरे गुजरात में मनाया जाता है लेकिन अहमदाबाद, वडोदरा, राजकोट में इसकी अलग ही धूम देखने को मिलती है। क्योंकि उस दौरान यहां होता है अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन। जिसमें देश के कोने-कोने से लोग हिस्सा लेते हैं। 6 जनवरी से शुरू हुए इस फेस्टिवल में इस बार 45 देशों के मेहमानों ने हिस्सा लिया। गुजरात में हाल ही बने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के अलावा 11 शहरों के पर्यटन स्थलों पर भी पतंग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, कंबोडिया और नेपाल के साथ ही 150 प्रतिभागी इस महोत्सव का हिस्सा बनने गुजरात पहुंच चुके हैं।

आसमान में पतंग का मेला 

महोत्सव के दौरान आसमान में अलग-अलग आकार और डिज़ाइन वाले पतंगों को उड़ते हुए देखा जा सकता है। बड़ी-बड़ी तितलियों से लेकर डरावने ड्रेगन, घोड़े, बैलून, फ्रूट्स और भी कई तरह की पतंगें आसमान में उड़ती हुई देखने को मिलती हैं। प्रतियोगी एक-दूसरे की पतंगों को बेशक काटते हुए नज़र आते हैं लेकिन फिर भी उनमें उत्साह का माहौल बना रहता है। लोग इस प्रतियोगिता को जीतने के लिए अपने पसंदीदा पतंग वालों से मजबूत पतंगे बनवाते हैं। बांस, मजबूत मंझे से तैयार पतंगों से पेंच लड़ाना आसान नहीं होता। वैसे पुराने शहर में पतंग बाजार के नाम से पूरी एक मार्केट ही है। जो महोत्सव के दौरान पूरे 24 घंटे खुली रहती है।

देश-विदेश में मशहूर गुजरात के पतंग उत्सव से तकरीबन 2 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है। साथ ही इससे हर साल करोड़ों का टर्न ओवर भी मिलता है। फेस्टिवल के दौरान गुजरात की संस्कृति और कला से भी रूबरू होने का मौका मिलता है।

इन देशों से आए हैं पतंगबाज

इंग्लैंड, अर्जेटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, बेलारुस, बेल्जियम, बुल्गारिया, कंबेडिया, कनाडा, फ्रांस, इंडोनेशिया, इजराय, इटली, मकाउ , स्विजरलैंड जैसे देशों के 150 पतंगबाज हिस्सा ले रहे हैं।

इतिहास

पतंग उड़ाने की परंपरा पर्सिया से आए मुस्लिम व्यापारियों और चीन से आए बौद्ध लोगों की देन है। कहते हैं नवाबों के जमाने में पतंग उड़ाना मनोरंजन का एक अच्छा माध्यम हुआ करता था। लेकिन आज हर कोई पतंग महोत्सव का हिस्सा बन रहा है। अगर आज जनवरी महीने में गुजरात यात्रा पर है तो बिना किसी रोक-टोक इसमें शामिल हो सकते हैं।

5.भारत के पहले फॉर्मूला वन ड्राइवर नारायण कार्तिकेयन करेंगे स्पो‌र्ट्स कार रेसिंग:-

भारत के पहले फॉर्मूला वन ड्राइवर नारायण कार्तिकेयन पूरी तरह से स्पो‌र्ट्स कार रेसिंग से जुड़ गए। इसके साथ ही सिंगल सीटर कार के उनके दो दशक लंबे करियर का अंत हो गया। कार्तिकेयन अब जापान की सुपर जीटी सीरीज रेस में हिस्सा लेंगे। भारत के 41 वर्षीय कार्तिकेयन पूर्व फॉर्मूला वन चैंपियन जेसन बटन जैसे ड्राइवरों के साथ रेस लगाएंगे। बटन ने पिछले साल सुपर जीटी में पदार्पण किया था।सुपर फॉर्मूला में पांच सत्र बिताने के बाद कार्तिकेयन ने स्पो‌र्ट्स कार से जुड़ने का फैसला किया है। उन्होंने फॉर्मूला वन की रेस में पिछली बार 2012 में हिस्सा लिया था। पिछले महीने सेपांग में होंडा समर्थित नकाजिमा रेसिंग टीम के साथ सफल परीक्षण के बाद कार्तिकेयन सुपर जीटी कार में अपने स्तर को लेकर आश्वस्त हैं। सुपर जीटी कार सिंगल सीटर कार से अलग होती है। खासतौर से कोने से इसकी चौड़ाई में फर्क होती है। सिंगल सीटर कार का वजन करीब 640 किग्रा होता है, जबकि सुपर जीटी कारों का वजन 1000 किग्रा से ज्यादा होता है।