Dandi March: नमक सत्याग्रह के बारे में सिर्फ 5 प्वाइंट में जानें वो सबकुछ जो आपके लिए जरूरी है

0
265

राष्ट्रीय न्यूज़:-

1.Dandi March: नमक सत्याग्रह के बारे में सिर्फ 5 प्वाइंट में जानें वो सबकुछ जो आपके लिए जरूरी है:-

Dandi March- महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ने के लिए इस दांडी मार्च का आयोजन किया था। साल 1930 में आज ही के दिन यानि 12 मार्च को महात्मा गांधी के नेतृत्व में इस दांडी यात्रा की शुरुआत हुई थी। यह एक ऐसा वक्त था, जब देश आजादी के लिए अंगड़ाई ले रहा था। एक तरफ भगतसिंह जैसे युवा नेताओं ने अंग्रेजों की नाक में दम किया हुआ था और दूसरी तरफ महात्मा गांधी अंहिसात्मक आंदोलन के जरिए अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ने निकल पड़े।

12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी ने नमक पर टैक्स लगाने के अंग्रेजों के फैसले के खिलाफ अहमदाबाद में साबरमती आश्रम से नमक सत्याग्रह की शुरुआत की। इसके तहत समुद्र के किनारे बसे एक गांव दांडी तक 24 दिन की लंबी यात्रा की गई। यहां पहुंचकर गांधीजी के नेतृत्व में हजारों लोगों ने अंग्रेजों ने नमक कानून को तोड़ा। यह एक अहिंसात्मक आंदोलन और पद यात्रा थी। देश के आजादी के इतिहास में दांडी यात्रा को खासा महत्व दिया जाता है।

दांड़ी यात्रा के बारे में जो बातें आपके लिए जानना जरूरी हैं…

1.दांडी यात्रा यानि नमक सत्याग्रह की शुरुआत 12 मार्च 1930 को हुई थी। महात्मा गांधी के नेतृत्व में 24 दिन का यह अहिंसा मार्च 6 अप्रैल को दांडी पहुंचा और अंग्रेजों का बनाया नमक कानून तोड़ा।

  1. उस वक्त देश पर अंग्रेजों का राज था और किसी भी भारतीय के नमक इकट्ठा करने या बेचने पर रोक थी। यही नहीं भारतीयों को नमक अंग्रेजों से ही खरीदना पड़ता था। नमक बनाने के मामले में अंग्रेजों की मोनोपॉली चलती थी और वह नमक पर भारी टैक्स भी वसूलते थे। नमक सत्याग्रह अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ एक बड़ी रैली थी।
  2. दांडी में समुद्र किनारे पहुंचकर महात्मा गांधी ने गैर-कानूनी तरीके से नमक बनाया और अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ा। आगे चलकर यह एक बड़ा नमक सत्याग्रह बन गया और हजारों लोगों ने न सिर्फ नमक बनाया, बल्कि अंग्रेजी कानून तो धता बताते हुए गैर-कानूनी नमक खरीदा भी।
  3. नमक सत्याग्रह की शुरुआत करीब 80 लोगों के साथ हुई थी। जैसे-जैसे यह यात्रा अहमदाबाद से दांडी की तरफ बढ़ी, वैसे-वैसे इस 390 किमी लंबी यात्रा में लोग जुड़ते चले गए। दांड़ी पहुंचने तक इस अहिंसक नमक सत्याग्रह में 50 हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके थे।
  4. नमक सत्याग्रह जिस तरह से बिना किसी हिंसा के आगे बढ़ा और बड़ी ही शालीनता से अंग्रेजों के एकतरफा कानून को तोड़ा गया, उसकी दुनियाभर में चर्चा होने लगी। इस दांडी मार्च ने अंग्रेजी हुकूमत को भी हिलाकर रख दिया था। नमक सत्याग्रह को अखबारों ने खूब जगह दी और इससे भारत के स्वाधीनता आंदोलन को नई दिशा भी मिली।

2.तिब्बत की आजादी की मांग को मिला चीनी लोगों का समर्थन, धर्मशाला में की प्रेस कॉन्फ्रेंस:-

भारत आए चीनी लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल ने धर्मशाला में तिब्बती लोगों की मांग के समर्थन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। चीन के खिलाफ तिब्बती लोगों द्वारा उस वक्त आवाज उठाने की 60वीं सालगिरह के मौके पर यह प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। बता दें कि प्रतिनिधिमंडल में आए यह लोग मूल रूप से चीन के निवासी हैं और यूरोप के कई अन्य देशों में रहते हैं। धर्मशाला और दुनिया के अन्य हिस्सों में रह रहे तिब्बती लोगों की मांग है कि उन्हें चीन से आजादी मिले।

दशकों पहले तिब्बत क्षेत्र पर चीन ने जबरन कब्जा कर लिया था। साल 1959 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। इसी दौरान दलाई लामा को वहां से भारत आना पड़ा और तभी से वह भारत में रह रहे हैं। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा के साथ और उनके बाद भी तिब्बत की आजादी की मांग करने वाले हजारों लोग भारत आ गए। अपनी ही जमीन से बेदखल हुए तिब्बत के इन लोगों ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला को अपना ठिकाना बनाया।

इतिहास की बात करें तो, किंग राजशाही के खिलाफ 1912 में हुई जिन्हाई क्रांति के बाद तिब्बत क्षेत्र (यू-सैंग) 1913 में आजाद घोषित हो गया। यहां के लोगों ने तो खुद को आजाद देश घोषित कर दिया, लेकिन इस आजादी को चीन ने मान्यता नहीं दी। बाद में ल्हासा ने चीन के पश्चिमी क्षेत्र जिकांग को अपने कब्जे में ले लिया। साल 1951 तक यह पूरा क्षेत्र स्वायत्त क्षेत्र रहा और फिर चामडो की लड़ाई हुई, जिसमें चीनी सेना ने ल्हासा पर कब्जा कर लिया और तिब्बत को चीन में मिला लिया। 1959 में तिब्बत ने चीन के दमन के खिलाफ एक बार फिर आवाज उठाई और आजादी की मांग की। आजादी के लिए उठी उस मांग को 60 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी तिब्बत चीन के कब्जे में है और तिब्बती लोग धर्मशाला, दिल्ली और दुनियाभर के कई शहरों में रहकर अपने देश वापस लौटने की उम्मीद पाले हुए हैं।

7वीं सदी से ही तिब्बत साम्राज्य का इतिहास मिलता है, लेकिन साम्राज्य के अंत के साथ ही पूरा तिब्बत क्षेत्र कई छोटी-छोटी इकाइयों में बंट गया। हालांकि, इस दौरान भी पश्चिमी और सेंट्रल तिब्बत (यू-सैंग) का एक बड़ा हिस्सा एक साथ रहा। यहां पर तिब्बत सरकार ल्हासा, शिंगात्से और आसपास के इलाकों से राज करती रही। यह पूरा इलाका मंगोलों और चीनी शासकों के अंतर्गत भी रहा।

अन्तराष्ट्रीय न्यूज़:-

3.ब्रिटेन ने कहा- यूरोपीय संघ के साथ ब्रेग्जिट समझौते में कानूनी रूप से बाध्‍यकारी परिवर्तनों पर सहमति हुई

ब्रिटिश सरकार ब्रेग्जिट समझौते में कानूनी रूप से बाध्‍यकारी परिवर्तन करने पर सहमत हो गई है। फ्रांस के स्‍ट्रॉसबर्ग में ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे और यूरोपीय संघ के अधिकारियों के बीच बातचीत में यह सहमति हुई थी। सुश्री मे ने यूरोपीय संघ से अलग होने के समझौते और राजनीतिक घोषणा के दस्‍तावेज में संशोधन करवा लिए हैं। अब सांसदों को समझौते के पक्ष में मतदान करने में समस्‍या नहीं होनी चाहिए। समझौते पर आज फिर से ब्रिटिश संसद में मतदान होना है।

बाज़ार न्यूज़:-

4.चुनाव से पहले RBI ब्याज दरों में देगा राहत!, इन दो आर्थिक आंकड़ों से होगा तय:-

जनवरी के आईआईपी और फरवरी के महंगाई के आंकड़े यह तय करेंगे कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी अगली बैठक में ब्याज दरों में कटौती करेगा या नहीं।

11 अप्रैल को शुरू होने जा रहे चुनावों से पहले 5 अप्रैल को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक तय है, जिसमें ब्याज दरों को लेकर फैसला किया जाना है।

पिछली बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की थी, जिसके बाद रॉयटर्स के पोल में अर्थशास्त्रियों ने अगली बैठक में भी ब्याज दरों में कटौती किए जाने का अनुमान लगाया था। रॉयटर्स के पोल में अधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना था कि आम चुनाव से पहले होने वाली आरबीआई की बैठक में ब्याज दरों में फिर से कटौती की जा सकती है।

पिछली बैठक में अप्रत्याशित रूप से आरबीआई ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की घोषणा करते हुए इसे 6.50 फीसदी से घटाकर 6.25 फीसद कर दिया था।

इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने अपने मौद्रिक रुख को सख्तसे बदलकर सामान्य/न्यूट्रलकर दिया है। नीतिगत रुख में बदलाव किए जाने के बाद ही माना जा रहा था कि आरबीआई आगे भी ब्याज दरों में कटौती की राहत दे सकता है।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से जारी डेटा के मुताबिक जनवरी में खुदरा महंगाई दर कम होकर 2.05 फीसद रही है, जो दिसंबर में 2.11 फीसद थी। वहीं दिसंबर में आईआईपी ग्रोथ रेट 2.4 फीसद रही, जो नवंबर में 0.3 फीसद थी।

दिसंबर महीने में आईआईपी में शानदार सुधार देखने को मिला था।

आरबीआई ने महंगाई के लिए 4 फीसद (+- दो फीसद) का लक्ष्य रखा है। ईंधन की कीमतों में गिरावट से देश की खुदरा महंगाई दर दिसंबर में घटकर 2.19 फीसद हो गई। नवंबर में यह 2.33 फीसद थी। पिछले कुछ महीनों में महंगाई दर आरबीई के तय लक्ष्य से काफी नीचे रही है। ब्याज दरों को तय करने वक्त आरबीआई खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है।

अगर दोनों ही आंकड़े उम्मीद के मुताबिक रहते हैं, तो चुनाव के पहले आरबीआई एक बार फिर से ब्याज दरों में कटौती की राहत दे सकता है, जिसका फायदा ग्राहकों को मिलेगा। हाल ही में एसबीआई ने कर्ज की दरों को आरबीआई के रेपो रेट से जोड़ दिया है।

एसबीआई की यह पहल एक लाख रुपये से अधिक की कर्ज के लिए है और इसका फायदा यह होगा कि जैसे ही आरबीआई दरों में कटौती करेगा, बैंक की तरफ से दी जाने ब्याज दर तत्काल प्रभाव से कम हो जाएंगी।

दिसंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बड़ा झटका लगा है। दिसंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़े आने के बाद सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी अनुमान को घटाकर 7 फीसद कर दिया है। इससे पहले यह अनुमान 7.2 फीसद का था।

भारत ने यह अनुमान वैसे समय में घटाया है, जब लगातार दूसरी तिमाही में जीडीपी में गिरावट आई है। हालांकि, इस कटौती के बाद भी भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा।

जीडीपी में आई गिरावट के बाद माना जा रहा है कि अगली समीक्षा बैठक में आरबीआई का पूरा फोकस महंगाई की बजाए ग्रोथ पर होगा।

खेल न्यूज़:-

5.भारत को शहीद सैनिकों की याद में विशेष टोपी पहनने की अनुमति दी गयी थी- आईसीसी:-

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने सोमवार को कहा कि भारत को आस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे एकदिवसीय मैच में देश के सैन्य बलों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिये सैनिकों जैसी टोपी पहनने की अनुमति दी गयी थी। पाकिस्तान ने इस पर आपत्ति जतायी थी। रांची में आठ मार्च को खेले गये तीसरे वनडे में भारतीय टीम ने पुलवामा आतंकी हमले में शहीद सीआरपीएफ जवानों के सम्मान में सैन्य टोपियां पहनी थी तथा अपनी मैच फीस राष्ट्रीय रक्षा कोष में दान कर दी थी।
आईसीसी के महाप्रबंधक (रणनीतिक संचार) क्लेरी फुर्लोग ने बयान में कहा, ‘‘बीसीसीआई ने धन जुटाने और शहीद सैनिकों की याद में टोपी पहनने की अनुमति मांगी थी और उसे इसकी अनुमति दे दी गयी थी।’’
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने आईसीसी को इस संबंध में कड़ा पत्र भेजा था और इस तरह की टोपी पहनने के लिये भारत के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी।
पीसीबी प्रमुख एहसान मनि ने रविवार को कराची में कहा, ‘‘उन्होंने किसी अन्य उद्देश्य के लिये आईसीसी से अनुमति ली थी और उसका उपयोग दूसरे उद्देश्य के लिये किया जो कि स्वीकार्य नहीं है।’’
बीसीसीआई ने पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद आईसीसी से उन देशों के साथ संबंध तोड़ने के लिये कहा था जो आतंकवाद को पनाह देते हैं।

6.भारतीय पुरूष टीम ने कजाखस्तान को हराया:-

भारतीय पुरूष टीम ने सभी बोर्ड पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कजाखस्तान को 3.5-0.5 से हराया जिससे उसने विश्व टीम शतरंज चैंपियनशिप के छठे दौर के बाद नौ अंक के साथ अपना संयुक्त दूसरा स्थान बरकरार रखा।

बी अधिबान को शीर्ष बोर्ड पर रिनाट जुमाबायेव ने ड्रा पर रोका लेकिन कृष्णन शशिकिरणसूर्यशेखर गांगुली और एसपी सेतुरमण ने अंतिम तीन बोर्ड पर जीत दर्ज की। शशिकिरण ने अनवर इस्मागामबेतोव कोगांगुली ने मुर्तास काजगालेयेव और सेतुरणम ने डेनिस माखनेव को हराया। इस बीच रूस को अजरबेजान ने बराबरी पर रोका लेकिन वह अब भी दस अंकों के साथ शीर्ष पर बना हुआ है। भारत और इंग्लैंड संयुक्त दूसरे स्थान पर हैं।