GENERAL KNOWLEDGE

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भारत और बहरीन ने 3 समझौतों पर हस्ताक्षर किये, प्रधानमंत्री मोदी बहरीन ऑर्डर से सम्मानित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में बहरीन की यात्रा पर गये थे जहां द्विपक्षीय वार्ता के बाद समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये तथा संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रिंस खलीफा बिन सलमान अल खलीफा के निमंत्रण पर अधिकारिक रूप से बहरीन की यात्रा पर गये थे. वे बहरीन के यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने बहरीन के प्रिंस खलीफा बिन सलमान अल खलीफा से विभिन्न मुद्दों पर समग्र वार्ता भी की. इसके अलावा दोनों देशों के नेताओं ने मौजूदा दिविपक्षीय संबंधों के प्रति संतोष जाहिर किया और आने वाले समय में संबंधों को नया आयाम देने के लिए रजामंदी जाहिर की.

दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार की बढ़ती प्रवृत्ति और दो-तरफा निवेशों के लिए मौजूदा क्षमता का उल्लेख किया, व्यापार और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने की के लिए अनुकूल माहौल बनाने पर भी प्रतिबद्धता जाहिर की गई.

प्रधानमंत्री मोदी को बहरीन ऑर्डर
बहरीन के राजा के साथ मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बहरीन के सम्मान ‘द किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां’ से नवाजा गया है. उन्हें यह सम्मान बहरीन भारत और बहरीन के द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए दिया गया है.

भारत और बहरीन के मध्य एमओयू

• भारत और बहरीन ने अंतरिक्ष तकनीक, सौर ऊर्जा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों में सहमति पत्र (एमओयू) पर दस्तखत किये.
• समझौते के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) और बहरीन की नेशनल स्पेस साइंस एजेंसी अब अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में सहयोग करेंगी.
• इसके अतिरिक्त, दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय सौर उर्जा गठबंधन में भी एक-दूसरे को सहयोग प्रदान करेंगे.
• वर्ष 2015 में स्थापित आइएसए पेरिस की यूएन की पर्यावरण परिर्वतन सम्मेलन में किए गए समझौते के तहत स्थापित संस्था है जो सौर ऊर्जा स्थापना के लिए वृहद स्तर पर काम करती है.
• भारत और बहरीन के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए दोनों देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये. इस समझौते पर बहरीन में भारत के राजदूत अलोक कुमार सिन्हा द्वारा तथा नई दिल्ली में बहरीन के राजदूत अब्दुल रहमान ने हस्ताक्षर किये.

पाकिस्तान ने ‘हमेशा के लिए’ समझौता एक्सप्रेस सेवा बंद की

पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद अहमद द्वारा जारी घोषणा में कहा गया है कि समझौता एक्सप्रेस की सेवायें सदैव के लिए बंद कर दी गई हैं.

भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 रद्द करने के बाद पाकिस्तान ने एक और कदम उठाते हुए समझौता एक्सप्रेस रद्द करने की घोषणा की है. पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से जारी इस जानकारी में कहा गया है कि पाकिस्तान ने हमेशा के लिए समझौता एक्सप्रेस ट्रेन की सेना बंद करने की घोषणा की है.

पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद अहमद द्वारा जारी घोषणा में कहा गया है कि समझौता एक्सप्रेस की सेवायें सदैव के लिए बंद कर दी गई हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि जिन लोगों ने टिकटें पहले से खरीद रखी हैं वे लाहौर ऑफिस से पैसे वापिस ले सकते हैं.

गौरतलब है कि इस घोषणा से कुछ समय पूर्व ही पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी व्यापारिक संबंध समाप्त करने का निर्णय लिया था. पाकिस्तान ने पिछली घोषणा में कहा था कि भारत के साथ किसी प्रकार का आयात-निर्यात नहीं किया जायेगा. भारत को पाकिस्तान से होने वाली किसी भी वित्तीय लाभ को रोकने के लिए पाकिस्तान ने यह कदम उठाया है.

समझौता एक्सप्रेस के बारे में
यह भारत और पाकिस्तान के मध्य चलने वाली यात्री रेलगाड़ी है. यह अटारी से वाघा तक चलती है जिससे यह भारत और पाकिस्तान को कनेक्ट करती है. इसकी शुरुआत 22 जुलाई 1976 को अटारी-लाहौर के बीच शुरू हुई थी. भारत-पाक विभाजन से पूर्व मौजूद पटरी (लाहौर से अटारी तक) पर ही इसे चलाया जाता है.

पृष्ठभूमि

पाकिस्तान द्वारा समझौता एक्सप्रेस को रद्द करने एवं व्यापारिक रिश्ते समाप्त करने के पीछे अनुच्छेद 370 को समाप्त किया जाना है. भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 की एक धारा को छोड़कर सभी धाराओं को समाप्त करने की घोषणा की थी. इसके अतिरिक्त भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को तथा लद्दाख को दो पृथक केंद्र-शासित प्रदेशों में बांटने की घोषणा भी की थी.

न्यूज़ीलैंड ने विश्व का पहला ‘वेलबीइंग बजट’ पेश किया

न्यूज़ीलैंड सरकार द्वारा ‘वेलबीइंग बजट’  बजट असमानता की चुनौती से निपटने के लिए प्रस्तुत किया गया है. न्यूजीलैंड विश्व का पहला ऐसा देश बना गया है जिसने बजट में आर्थिक विकास दर को प्राथमिकता न देते हुए लोगों के कल्याण को प्राथमिकता दी है.

न्यूजीलैंड सरकार द्वारा 30 मई 2019 को विश्व में पहली बार ‘वेलबीइंग बजट’  पेश किया गया. न्यूजीलैंड सरकार के वित्तमंत्री ग्रांट रॉबर्टसन ने इस ‘वेलबीइंग बजट’  में एक बड़ा हिस्सा बाल गरीबी, मानसिक स्वास्थ्य और घरेलू हिंसा रोकने के लिए सुरक्षित रखा है. न्यूजीलैंड के वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए संसद में कहा कि न्यूजीलैंड में रह रहे बहुतायत लोगों को बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था का लाभ नहीं मिल पाया है जिसके चलते इस प्रकार का बजट लाया गया है.

न्यूजीलैंड सरकार का कहना है कि ‘वेलबीइंग बजट’  बजट असमानता की चुनौती से निपटने के लिए प्रस्तुत किया गया है. न्यूजीलैंड विश्व का पहला ऐसा देश बना गया है जिसने बजट में आर्थिक विकास दर को प्राथमिकता न देते हुए लोगों के कल्याण को प्राथमिकता दी है, इसलिए इसे वेलबीइंग बजट कहा गया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अनुमान लगाया है कि न्यूज़ीलैंड के इस बजट के बाद देश अर्थव्यवस्था की विकास दर 2019 में 2.5 प्रतिशत और 2020 में 2.9 प्रतिशत रह सकती है.
न्यूज़ीलैंड के ‘वेलबीइंग बजट’ की प्रमुख घोषणाएं
•    न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था के इतिहास में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य के संकट से निपटने के लिए 1.9 बिलियन न्यूजीलैंड डॉलर (एक न्यूजीलैंड डॉलर 45.57 रुपए के बराबर) की राशि आवंटित की गई है.
•    घरेलू हिंसा को रोकने के लिए 320 मिलियन डॉलर का निवेश किया जाएगा. बच्चों के कल्याण के लिए एक बिलियन डॉलर से अधिक बजट निर्धारित किया गया है. प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने बच्चों के कल्याण पर विशेष रूप से ध्यान दिया है.
•    न्यूजीलैंड के कुल बजट 25.6 बिलियन डॉलर में से 1.2 बिलियन डॉलर स्कूलों, 1 बिलियन डॉलर कीवीरेल, 168 मिलियन डॉलर गन लौटाने की योजना के लिए निर्धारित किए गए हैं.
•    इसके अतिरिक्त वनक्षेत्र में बढ़ोतरी करने और पर्यावरण पर न्यूजीलैंड के बजट में विशेष ध्यान दिया गया है. न्यूज़ीलैंड के बजट में पर्यावरण संरक्षण पर 1.13 बिलियन डॉलर खर्च किए जाएंगे.
भूटान का उदहारण
भूटान विश्व का पहला ऐसा देश है जहां विकास मापने के लिए खुशी को आधार (Happiness Index) बनाया गया है. भूटान में सबसे पहले 1970 में इससे जुड़ा आइडिया पेश किया गया और 2008 में नागरिकों की खुशियां मापने के लिए ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस इंडेक्स लाया गया था. कई और देशों ने भी इसी तरह के प्रयोगों की कोशिश की है, हालांकि, न्यूजीलैंड पहला ऐसा देश है जहां सरकार के बजट का बड़ा हिस्सा खुशी के लिए खर्च किया जाता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की

यह आदेश अमेरिका में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा सेवाओं से संबंधित खतरों को देखते हुए राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करता है तथा वाणिज्य मंत्री को राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु खतरा पैदा करने वाले लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 15 मई 2019 को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी है. राष्ट्रपति ने अमेरिका के संचार नेटवर्क को विदेशी दुश्मनों से बचाने के उद्देश्य से यह घोषणा की है.

यह आदेश अमेरिका में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा सेवाओं से संबंधित खतरों को देखते हुए राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करता है तथा वाणिज्य मंत्री को राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु खतरा पैदा करने वाले लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है.

मुख्य बिंदु:

•   हालांकि कार्यकारी आदेश में किसी भी कंपनी का विशेष रूप से नाम नहीं रखा है, विश्लेषकों के अनुसार यह आदेश चीन की प्रमुख टेलीकॉम कंपनी हुआवेई के लिए है.

•   अमेरिका के अनुसार, चीन हुआवेई के उपकरणों का उपयोग सर्विलांस के लिए कर सकता है. अमेरिका द्वारा लगाये गये इन आरोपों को हुआवेई ने बार-बार खारिज किया है.

•   यह आदेश अमेरिका की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी तथा सेवाओं की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत जारी किया गया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह प्रशासन अमेरिका को सुरक्षित एवं समृद्ध बनाए रखने हेतु और अमेरिका में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे में कमजोरी पैदा कर रहे. राष्ट्रपति के अनुसार दुरुपयोग करने वाले विदेशी दुश्मनों से अमेरिका की रक्षा करने के लिए जो कुछ भी जरूरी है वह करेगें.

आपातकाल अमेरिका में पहले भी:

•   साल 1976 में एक कानून पारित किया गया था. इस कानून द्वारा राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने का अधिकार देता है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पहले भी कई राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल लगा चुके हैं.

•   पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साल 2009 में स्वाइन फ्लू के प्रकोप के कारण और पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 9/11 हमले के बाद राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया था.

•   राष्ट्रपति आपातकाल के दौरान उन विशिष्ट शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं, जो अमेरिकी संसद के कानून के दायरे में होंगे. अमेरिका में अभी तक 31 बार राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की जा चुकी है.

कार्यकारी आदेश का उद्देश्य संयुक्त राज्य अमेरिका को विदेशी विरोधियों से बचाना है जो सूचना और संचार प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे और सेवाओं में कमजोरियों का निर्माण तथा शोषण कर रहे हैं