History of Rajasthan
रणथम्भौर के चौहान
- रणथम्भौर के चौहान वंश की स्थापना पृथ्वीराज चौहान के पुत्र गोविन्द राज ने की थी।
- यहाँ के प्रतिभा सम्पन्न शासकों में हम्मीर का नाम सर्वोपरि है।
- दिल्ली के सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी ने हम्मीर के समय रणथम्भौर पर असफल आक्रमण किया था।
- अलाउद्दीन खिलजी ने 1301 में रणथम्भौर पर आक्रमण कर दिया।
- इसका मुख्य कारण हम्मीर द्वारा अलाउद्दीन खिलजी के विरुद्ध मंगोल शरणार्थियों को आश्रय देना था।
- किला न जीत पाने के कारण अलाउद्दीन ने हम्मीर के सेनानायक रणमल और रतिपाल को लालच देकर अपनी ओर मिला लिया।
- हम्मीर ने आगे बढ़कर शत्रु सेना का सामना किया पर वह वीरोचित गति को प्राप्त हुआ।
- हम्मीर की रानी रंगादेवी और पुत्री ने जौहर व्रत द्वारा अपने धर्म की रक्षा की।
- यह राजस्थान का प्रथम जौहर माना जाता है। हम्मीर के साथ ही रणथम्भौर के चौहानो का राज्य समाप्त हो गया।
- हम्मीर के बारे में प्रसिद्ध है ‘‘तिरिया-तेल हम्मीर हठ चढे़ न दूजी बार।
जालौर के चौहान
- जालौर की चौहान शाखा का संस्थापक कीर्तिपाल था।
- प्राचीन शिलालेखों में जालौर का नाम जाबालिपुर और किले का सुवर्णगिरि मिलता है, जिसको अपभ्रंश में सोनगढ़ कहते हैं।
- इसी पर्वत के नाम से चैहानों की यह शाखा ‘सोनगरा’ कहलायी।
- इस शाखा का प्रसिद्ध शासक कान्हड़दे चौहान था।
- दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर को जीतने से पूर्व 1308 में सिवाना पर आक्रमण किया। उस समय चौहानो के एक सरदार, जिसका नाम सातलदेव था, दुर्ग का रक्षक था।
- उसने अनेक स्थानों पर तुर्कों को छकाया था। इसलिए उसके शौर्य की धाक राजस्थान में जम चुकी थी।
- परन्तु एक राजद्रोही भावले नामक सैनिक द्वारा विश्वासघात करने के कारण सिवाना का पतन हो गया और अलाउद्दीन ने सिवाना जीतकर उसका नाम खैराबाद रख दिया।
- इस विजय के पश्चात् 1311 में जालौर का भी पतन हो गया और वहाँ का शासक कान्हड़देव वीर गति को प्राप्त हुआ।
- वह शूरवीर योद्धा, देशाभिमानी तथा चरित्रवान व्यक्ति था। उसने अपने अदम्य साहस तथा सूझबूझ से किले निवासियों, सामन्तों तथा राजपूत जाति का नेतृत्व कर एक अपूर्व ख्याति अर्जित की थी।
Geography
- राजस्थान की आकृति विषमकोणीय चतुर्भुजाकार की है. राजस्थान करे सबसे पहले टी.एच. हेण्डले ने विषमकोणीय चतुर्भुजाकार बताया था.
- क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है, इसका कुल क्षेत्रफल 4 लाख वर्ग किलोमीटर है जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.43 प्रतिशत है.
- क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान जर्मनी के बराबर, जापान से थोड़ा बड़ा और ग्रेट ब्रिटेन से डेढ़ गुना, श्रीलंका से पांच गुना और इजरायल से 17 गुना से भी ज्यादा बड़ा है.
- कर्क रेखा इसके दक्षिणी छोर पर बांसवाड़ा के पास से गुजरती है.
- इसके उत्तर में पंजाब, उत्तर-पूर्व में हरियाणा, पूर्व में उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में मध्य प्रदेश और दक्षिण-पश्चिम में गुजरात स्थित है.
- राजस्थान और पाकिस्तान के बीच 1070 किलोमीटर अंतराष्ट्रीय सीमा लगती है जो रेडक्लिफ रेखा के नाम से जानी जाती है.
- राजस्थान में गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर सीमावर्ती जिले हैं.
- राजस्थान का अधिकांश पश्चिमी एवं उत्तरी-पश्चिमी हिस्सा टेथीज महासागर का भाग है.
- खारे टेथीज महासागर का प्रमाण राजस्थान में सांभर, डीडवाना, पचपदरा और लूणकरणसर जैसी खारी झीलों के माध्यम से मिलता है.
- इसी तरह राजस्थान दुनिया की प्राचीनतम पर्वतमाला अरावली और इसका दक्षिणी भू-भाग पठारी भाग गौंडवानालैण्ड का हिस्सा है.
- अरावली पर्वतमाला राजस्थान को दो भागों में विभाजित करती है.
- राजस्थान के भौगोलिक स्वरूप को ध्यान में रखने हुए इसे चार मुख्य भागों और इन मुख्य भागों को 11 उप मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- राजस्थान का पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश अरावली पर्वतमाला के उत्तर-पश्चिम से लेकर पश्चित राजस्थान तक फैला हुआं है.
- यह प्रदेश रेगिस्तानी है और रेत से ढका हुआ है. इस क्षेत्र में राजस्थान के गंगानगर, हनुमानगढ़, झुन्झुनूं, सीकर, चूरू, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर और सिरोही जिले आते हैं.
- राजस्थान के मरूस्थल को थार का रेगिस्तान कहते हैं और इस रेगिस्तान में भौगोलिक आधार पर तीन तरह के बालू के टीले पाए जाते हैं. इन्हें स्थानीय भाषा में रेत के धोरे कहते हैं.
- हवा की वजह से समानान्तर बनने वाले टीले अनुदैध्र्य टीले कहलाते हैं.
- हवा से लम्बवत बनने वाले टीलों को अनुप्रस्थ टीले कहते हैं.
- हवा की वजह से बनने वाले अर्द्ध चंद्राकार टीले बरखान कहलाते हैं