आजकल की बिज़ी लाइफ में नैनो टेक्नोलॉजी हर जगह पाई जाती है और यह लाइफ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है. देखा जाए तो यह तकनीक पहले भी हमारे बीच ही थी परन्तु इसपर ज्यादा शोध नही हुआ था और उतने साधन भी नहीं थे जो आज हैं. अब विज्ञान इतना उन्नत हो गया है कि नए प्रकार के शोध हो रहे है और इस तकनीक यानी नैनो टेक्नोलॉजी को एक नई दिशा मिली है. ऐसा कहा जा रहा है कि भविष्य में हर तकनीक का आधार नैनो होगा. वर्तमान में भी हमारी रोजमर्रा की जरुरत की चीजों से लेकर मेडिसिन और बड़ी-बड़ी मशीनरी में नैनो टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है. आइये इस लेख के माध्यम से नैनो टेक्नोलॉजी के बारे में अध्ययन करते है.
नैनो टेक्नोलॉजी क्या है ?:-
नैनो एक ग्रीक शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है सूक्ष्म, छोटा या बौना और नैनो ऐसे पदार्थ है जो अति सूक्ष्म आकार वाले तत्वों से बने होते है. अर्थार्त यह टेक्नोलॉजी वह अप्लाइड साइंस है, जिसमें 100 नैनोमीटर से छोटे पार्टिकल्स पर भी काम किया जाता है. नैनो टेक्नोलॉजी अणुओं व परमाणुओं की इंजीनियरिंग है, जो भौतिकी, रसायन, बायो इन्फॉर्मेटिक्स व बायो टेक्नोलॉजी जैसे विषयों को आपस में जोड़ती है.
क्या आप जानते है कि इस टेक्नोलॉजी की मदद से बायो साइंस, मेडिकल साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है क्योंकि इससे किसी भी वास्तु को हल्का, मजबूत और भरोसेमंद बनाया जा सकता है. यही कारण है की यह तकनीक तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं. इंजन में इस टेक्नोलॉजी की मदद से घर्षण होता है, जिसकी वजह से मशीनों की लाइफ बढ़ जाती है और ईंधन की खपत कम होती है.
ऐसा कहना गलत नही होगा की नैनो टेक्नोलॉजी साइंस का वो रूप है जिसके कारण मोबाइल नाखून जितना छोटा या ऐसी मशीनें जो शारीर के अंदर छोटे-छोटे कणों में जाकर ऑपरेशन कर सकें. हिना हैरान करने वाली बात परन्तु इस टेक्नोलॉजी से यह सब संभव हैं.
नैनो टेक्नोलॉजी की शुरुआत कैसे हुई थी
नैनोसाइंस और नैनोटेक्नोलॉजी के पीछे विचार और अवधारणाएं, 29 दिसंबर 1959 को कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (CalTech) में एक अमेरिकी भौतिक सोसाइटी की बैठक में भौतिकशास्त्री रिचर्ड फेनमैन ने अपने एक व्याख्यान में कहा था “There’s Plenty of Room at the Bottom” और यही वाक्य आगे चलकर नैनोटेक्नोलॉजी का आधारस्तम्भ बना. अपने भाषण में, फेनमैन ने एक प्रक्रिया का वर्णन भी किया जिसमें वैज्ञानिक अलग-अलग परमाणुओं और अणुओं को हेरफेर करने और नियंत्रित करने में सक्षम होंगे. रिचर्ड ने अपनी कल्पना में आने वाले कल का सपना देखा था। लेकिन तब उनके पास न तो इतने आधुनिक और सक्षम उपकण थे और न ही इतनी उन्नत सुविधाएँ। उनके लिए अणु-परमाणुओं से खेलना उतना आसान नहीं था, जितना आज हमारे लिए है. एक दशक बाद, अत्याधुनिक मशीनिंग के अपने अन्वेषण में, प्रोफेसर नोरियो तनिगुची ने नैनोटेक्नोलॉजी शब्द का प्रयोग किया था.
नैनोसाइंस और नैनो टेक्नोलॉजी के मौलिक सिद्धांत :-
यह कल्पना करना भी कठिन है कि कितनी छोटी नैनो टेक्नोलॉजी होती है. एक नैनोमीटर एक बिलियन मीटर होता है, या 1 नैनो मीटर = 10-9 मीटर. उदाहरण हैं:
– एक इंच में 25,400,000 नैनोमीटर होते हैं.
– अखबार की एक शीट लगभग 100,000 नैनोमीटर मोटी होती है.
– एक तुलनात्मक पैमाने पर, यदि एक संगमरमर एक नैनोमीटर का है, तो एक मीटर पृथ्वी का आकार होगा. सोचिये!
नैनोसाइंस और नैनोटेक्नोलॉजी में परमाणुओं और अणुओं को देखने और नियंत्रित करने की क्षमता होती है. पृथ्वी पर सब कुछ परमाणुओं से ही तो बना होता है- चाहे वो खाना हो जो हम खाते हैं, जो कपड़े पहनते हैं, इमारतें और घर हमारा शरीर आदि. लेकिन आंखों की मदद से परमाणु को देखना असंभव है. यहाँ तक की माइक्रोस्कोप से भी नहीं देखा जा सकता हैं.
नैनोस्केल में चीजों को देखने के लिए आवश्यक सूक्ष्मदर्शी माइक्रोस्कोप का लगभग 30 साल पहले ही आविष्कार हुआ था. स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप (एसटीएम) और परमाणु बल माइक्रोस्कोप (एएफएम) के साथ ही नैनो टेक्नोलॉजी का भी जन्म हुआ था.
नैनो टेक्नोलॉजी के लाभ:-
नैनो टेक्नोलॉजी की मदद से नैनो आकर में पदार्थ को नियंत्रित करके कई ऐसे अनुप्रयोग किये जा सकते है जो सामान्य दशा में संभव नहीं होते हैं. नैनोटेक्नोलॉजी में काम आने वाले पदार्थों को नैनोमटैरियल्स कहा जाता है.
इस टेक्नोलॉजी के कुछ उपयोग इस प्रकार हैं:-
1. नैनो टेक्नोलॉजी से खाद बनाई जा सकती है जिससे फसल के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है.
2. नैनो तकनीक का उपयोग हमारे कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक devices में बहुत पहले से ही हो रहा है उदाहरण के लिए कंप्यूटर के सर्किट और प्रोसेसर को बनाने के लिए सिलिकॉन का इस्तेमाल किया जाता है जो कि एक अर्धचालक है.
3. आने वाले समय में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बल्ब में भी होगा किसके कारण बिजली की खपत भी कम होगी और रौशनी भी अधिक होगी.
4. इससे ऐसी सूक्ष्म दवा बनाई जा सकेगी, जो कैंसर की करोड़ों कोशिकाओं में से किसी एक को पहचान कर उसका अलग से इलाज कर सकेगी.
5. नैनो तकनीक में किसी भी पदार्थ की मॉलीक्यूलर असेंबलिंग को समझ कर उसके आकार को आपके बाल के आकार जितना छोटा बनाया जा सकता है और इसकी प्रोसेसिंग क्षमता भी आज की तुलना में कई गुना बेहतर होगी.
भविष्य में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं होगा, जो नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करेगा. तकनीकी जानकारों का मानना है कि आने वाला समय नैनो टेक्नोलॉजी का होगा.