GENERAL SCIENCE

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1.परमाणु: यह तत्व का वह छोटा से छोटा कण है, जो किसी भी रासायनिक अभिक्रिया मे भाग ले सकता है परंतु स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता है |

 

2.अणु: तत्व तथा यौगिक का वह छोटा से छोटा कण जो स्वतंत्र अवस्था मे रह सकता है, अणु कहालाता है |

 

3.परमाणु भार: यह प्रदर्शित करता है कि तत्व का एक परमाणु कार्बन-12 के परमाणु के 1/12 भाग द्रव्यमान अथवा हाइड्रोजन के 1.008 भाग द्रव्यमान से कितना गुना भारी है |

 

4.परमाणु क्रमांक: किसी तत्व के परमाणु के नाभिक मे उपस्थित प्रोटानों की संख्या को परमाणु क्रमांक कहते हैं |

 

5.द्रव्यमान संख्या: किसी परमाणु के नाभिक मे उपस्थित प्रोटानों एवं न्यूट्रानों की संख्याओं का योग उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या कहती हैं  |

 

6.आधुनिक परमाणु सिद्धांत के अनुसार परमाणु विभाज्य है,यह तीन प्रकार के मूल कणों इलेक्ट्रान, प्रोटाँन तथा न्यूटान से मिलकर बनता है| परमाणु को इन कणों मे विभाजित किया जा सकता है |

 

7.हीलियम एक निष्क्रिय तत्व है |

 

8.इलेक्ट्रान:यह परमाणु का सबसे हल्का अवयवी कण है,जिसका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का लगभग 1/1840 होता है | यह ऋण आवेश वाला होता है | इसका आवेश -1.6×10-19 कूलाम होता है, जो प्रकृति मे उपलब्ध सबसे कम आवेश है |

 

9.प्रोटान: यह धन आवेशित कण होता है, जिसका आवेश +1.6×10-19 कूलाम होता है | प्रोटान का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है |

 

10.न्यूट्रान:इसका द्रव्यमान प्रोटान के द्रव्यमान के लगभग बराबर (कुछ ही अधिक) होता है | यह उदासीन कण है, अर्थात इसका विद्युत आवेश शून्य होता है |

 

11.परमाणु का धन आवेशित भाग उसके केंद्र मे अत्यंत सूक्ष्म स्थान मे होता है, तथा परमाणु का द्रव्यमान भी इसी केंद्रीय भाग मे निहित होता है, जिसे नाभिक कहते हैं |

 

12.नाभिक की संरचना: नाभिक की रचना प्रोटान तथा न्यूट्रान से होती है | नाभिक का द्रव्यमान प्रोटान तथा न्यूट्रान पर निर्भर करता है, जबकि नाभिक का धनावेश केवल प्रोट्रानों के कारण होता है | नाभिक मे उपस्थित सभी मूल कणों को न्यूक्लिआन कहते हैं |   

 

13.किसी तत्व के परमाणु के नाभिक मे उपस्थित प्रोटानों की संख्या को उस तत्व का परमाणु क्रमांक कहते हैं | किसी तत्व के गुण धर्म उसके परमाणु क्रमांक पर ही निर्भर करता है |

 

14.परमाणु क्रमांक (Z)=नाभिक पर धन आवेशित इकाइयों की संख्या

 

=नाभिक मे उपस्थित प्रोटानों की संख्या

 

=कक्षा मे उपस्थित इलेक्ट्रानों की संख्या

 

15.किसी तत्व के नाभिक मे उपस्थित प्रोटानों एवं न्यूट्रानों की कुल संख्या को द्रव्यमान संख्या कहते हैं |

 

16.द्रव्यमान संख्या तत्व का मौलिक गुण नही होता है | एक ही तत्व के भिन्न भिन्न परमाणुओं की द्रव्यमान संख्याएं भिन्न भिन्न हो सकती है जिन्हे समस्थानिक कहते हैं, तथा भिन्न भिन्न तत्वों के परमाणुओं की द्रव्यमान संख्याएं समान हो सकती हैं जिन्हे समभारी कहते हैं |

 

17.परमाणु सामान्य अवस्था मे विद्युत- उदासीन होता है अत: परमाणु मे धनावेश एवं ऋणावेश की मात्राएं समान होती हैं,

 

अर्थात् परमाणु क्रमांक (Z) = प्रोटानों की संख्या = इलेक्ट्रानों की संख्या

 

18.बोर का परमाणु माडल : बोर के परमाणु रचना के अनुसार इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर कुछ निश्चित कक्षाओं में ही परिक्रमा कर सकते हैं; जिन्हे स्थाई कक्षा कहते हैं | नाभिक से प्रारम्भ करके इन कक्षाओं को (ऊर्जा स्तरों) को 1,2,3,4…..आदि अंको अथवा K,L,M,N….. आदि अक्षरों से प्रदर्शित करते हैं | 1,2,3,4…. आदि अंको को कक्षा की मुख्य क्वांटम संख्या कहते है और इसे n से निरूपित करते हैं |पहली कक्षा मे परिक्रमा करने वाले इलेक्ट्रानों की ऊर्जा सबसे कम होती है |  

 

19.परमाणु वितरण की बोर-बरी योजना :

 

(1).किसी कोश मे इलेक्ट्रानों की अधिकतम संख्या 2n2 हो सकती है |

 

(2).परमाणु के बह्यतम कोश मे अधिक से अधिक 8 इलेक्ट्रान रह सकते हैं |

 

(3).बाह्यतम कोश मे 8 इलेक्ट्रान हो जाने के बाद अगला इलेक्ट्रान नये कोश मे प्रवेश करता है

 

(4).बाह्यतम कोश मे 2 से अधिक तथा उसके पहले वाले कोश मे 9 से अधिक इलेक्ट्रान तब तक नहीं हो सकते जब तक कि इससे भी पहले वाले कोश मे नियम 1तथा नियम 2 के अनुसार अधिकतम इलेक्ट्रान पूरे न हो जायें