(A) -: बुद्ध धर्म से सम्बन्धित जानकारी :-
1.बौद्ध धर्म (Buddhism) महत्वपूर्ण एशियाई आध्यात्मिक परंपराओं में से एक है।
2.बौद्ध धर्म (Buddhism) को आध्यात्मिक विकास का पथ माना गया है।
3.बौद्ध धर्म की उत्पत्ति ईसा पूर्व 5वींशताब्दी के दौरान लुम्बिनी (आज के नेपाल में) में जन्मे सिद्धार्थ गौतम द्वारा हुई थी।
4.सिद्धार्थ गौतम का जन्म शाक्य गणराज्य में क्षत्रिय योद्धा राजकुमार के रूप में हुआ था।
5.सिद्धार्थ गौतम ने बोधगया में एक पीपल के पेड़, जिसे कि बोधिवृक्षकहा जाता है, के नीचे बैठे आत्मज्ञान प्राप्त किया था।
6.ज्ञान प्राप्ति के पश्चात सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के नाम से विख्यात हुए।
7.बुद्ध के शिष्यों को भिक्षुक के नाम से जाना जाता था।
8.बुद्ध ने पाँच भिक्षुको को अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था।
9.बुद्ध के प्रथम उपदेश को “धर्म चक्र प्रवर्तन” कहा जाता है।
10.पाँचों भिक्षुखों ने बुद्ध के साथ मिलकर पहले संघ का निर्माण किया।
11.बुद्ध की विधवा विमाता महाप्रजापति गौतमी पहली भिक्षुणी बनीं।
12.कहा जाता है कि बुद्ध ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने अनेक वर्षों तक गंगा के मैदान, पूर्वोत्तर भारत और अन्य क्षेत्रों में यात्रा किया।
13.मगध के शासक सम्राट बिम्बिसार ने बुद्ध से प्रभावित होकर बौद्ध धर्म अंगीकार किया और बुद्ध को संरक्षण भी प्रदान किया।
14.सम्राट बिम्बिसार ने अनेक बौद्ध विहारों का निर्माण भी करवाया।
15.बुद्ध के जीवनकाल में ही बौद्ध धर्म का प्रचार बहुत अधिक हो गया था।
16.बुद्ध का परिनिर्वाण अर्थात् शरीरत्याग कुशीनगर के समीप एक वन में शाल वृक्ष के नीचे हुआ।
17.बुद्ध के मरणोपरान्त अगली पाँच शताब्दियों में बौद्ध धर्म का विस्तार सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में हो गया।
18.बाद के दो हज़ार वर्षों में बौद्ध धर्म मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीपमें भी फैल गया।
19.बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या पैंतीस करोड़ से भी अधिक है तथा यह विश्व का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।
20.वर्तमान में बौद्ध धर्म ले तीन मुख्य सम्प्रदाय हैं: वज्रयान, महायान और हीनयान।
21.बुद्ध के अन्य नाम हैं – विनायक, सुगत, धर्मराज, तथागत, समन्तभद्र, मारजित्, भगवत्, मुनि, लोकजित्, जिन, षडभिज्ञ, दशबल, अद्वयवादिन्, सर्वज्ञ, श्रीघन, शास्तृ और मुनी
(B) -: मौर्य वंश से सम्बन्धित जानकारी :-
1.चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म ई.पू. 340 में पाटलिपुत्र में हुआ था।
2.चन्द्रगुप्त मौर्य की माता का नाम मुरा था।
3.चन्द्रगुप्त मौर्य की शिक्षा तक्षशिला में सम्पन्न हुई थी।
4.चन्द्रगुप्त मौर्य का सिकंदर से परिचय तक्षशिलामें हुआ था।
5.चन्द्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सहायता से मौर्य वंश की स्थापना की।
6.चन्द्रगुप्त मौर्य का शासनकाल ई.पू. 323 से 298 था।
7.चन्द्रगुप्त मौर्य की प्रथम पत्नी का नाम दुर्धरा था जिससे बिन्दुसार नामक पुत्र का जन्म हुआ।
8.ई.पू. 304-5 में चन्द्रगुप्त मौर्य ने बैक्ट्रिया के शासक सेल्युकस को परास्त कर उनकी पुत्री हेलेना से विवाह किया।
9.इस विवाह के फलस्वरूप उन्हें हेरात, मकरान और काबुल दहेज के रूप में मिला।
- ‘सेंड्रोकोट्स’ की पहचान ‘चन्द्रगुप्त से स्थापित करने वाले पहले विद्वान विलियम जोन्स थे।
11.सेल्युकस मेगस्थनीज को अपना राजदूत बनाकर चन्द्रगुप्त के दरबार मे भेजा था।
12.यूनानी लेखकों ने चन्द्रगुप्त मौर्य को पोलिबोथ्रा के नाम से समबोधित किया है।
13.चन्द्रगुप्त ने श्रवणवेलगोला में अपने प्राण त्यागे थे।
14.चन्द्रगुप्त मौर्य के पश्चात उनके पुत्र बिन्दुसार राजसिंहासनपर बैठे।
15.बिंदुसार आजीवक सम्प्रदाय के अनुयायी थे।
16.बिंदुसार के काल में भी चाणक्य ही प्रधानमंत्री थे।
17.स्ट्रेबो ने लिखा है कि यूनानी शासक एण्टियोकस ने डाइमेकस नामक दूत को बिंदुसार के दरबार मे भेजा था।
18.बिन्दुसार को ‘अमित्रघात’ के नाम से भी जाना जाता है।
19.यूनानी इतिहासकारों ने बिन्दुसार का नाम ‘अमित्रोचेट्स’ लिखा है।
20.बिन्दुसार ने अपने पिता चन्द्रगुप्त मौर्य के द्वारा जीते गए क्षेत्रों को पूरी तरह से बरकरार रखा था।
21.बिंदुसार ने कर्नाटक के आसपास तक के क्षेत्रों तक अपने राज्य का विस्तार किया।
22.बिन्दुसार ने ई.पू. 297-98 से लेकर ई.पू. 272 तक राज्य किया।
23.ई.पू. 272 में बिन्दुसार का निधन हो गया।
24.बिन्दुसार के निधन होने के बाद उसके पुत्र अशोक ने राजगद्दी संभाली।
25.अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी था।
26.महादेवी एवं करूवाकी अशोक की पत्नियाँ थीं।
27.अशोक भी अपने पिता बिन्दुसार एवं पितामह चन्द्रगुप्त मौर्यके जैसे ही अपने साम्राज्य विस्तार करता गया।
28.कश्मीर, कलिंग और अन्य प्रदेशों पर विजय प्राप्त कर अशोक ने पूरे भारत में अपने साम्राज्य का विस्तार कर लिया।
29.अशोक के साम्राज्य की पश्चिमी सीमा ईरान तक फैली हुई थी।
30.राजतरंगिणी के रचयिता कल्हण के अनुसार अशोक ने कश्मीर में ‘श्रीनगर’ की स्थापना की थी।
31.अपने शासन के सातवें वर्ष में अशोक ने कश्मीर व खोतान पर विजय प्राप्त की।
32.आठवें वर्ष अर्थात ई.पू. 261 में अशोक ने कलिंग का युद्ध लड़ा।
33.कलिंग युद्ध में हुए भीषण नर संहार ने अशोक का हृदय परिवर्तन कर दिया
34.जिसके परिणामस्वरूप उसे बौद्ध धर्मको अपना लिया।
35.अशोक भारत का प्रथम सम्राट था जिसने अभिलेखों के माध्यम से प्रजा को सम्बोधित किया