PM मोदी के ‘मिशन शक्ति’ पर अमेरिका ने भारत को कराया फील गुड, गाढ़ी हुई दोस्‍ती

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राष्ट्रीय न्यूज़:-

1.भारत-अमेरिका के बीच हुआ अहम समझौता, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए लिया बड़ा फैसला:-

भारत-अमेरिका के बीच बुधवार को एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। ये समझौता भारत और अमेरिका के बीच अंतर-सरकारी एग्रीमेंट )Inter-Governmental Agreement) है। इसके बाद दोनों देशों के बीच कंट्री-बाइ-कंट्री (CbC) रिपोर्टों का आदान-प्रदान सुगम हो सकेगा। इसका सीधा लाभ देनों देशों में मौजूद बहुराष्ट्रीय कंपनियों को मिलेगा।

इस समझौते के साथ द्विपक्षीय सक्षम प्राधिकरण की व्यवस्था भी भारत-अमेरिका के बीच लागू हो जाएगी। इसके बाद भारत और अमेरिका के बीच ऑटोमैटिक तरीके से सीबीसी रिपोर्ट का आदान-प्रदान आसान हो जाएगा। ये सीबीसी रिपोर्ट संबंधित कर क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मूल संस्थाओं द्वारा दायर की जाती हैं। ये समझौता एक जनवरी 2016 को या उसके बाद संबंधित न्यायालयों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अंतिम मूल संस्थाओं द्वारा दायर सीबीसी रिपोर्टों पर लागू होगा।

क्या होती है सीबीसी रिपोर्ट:
ट्रांसफर प्राइसिंग डॉक्यूमेंटेशन और कंट्री-बाइ-कंट्री रिपोर्टिंग, बहुराष्ट्रीय उद्यमों (MNEs) को सालाना रिपोर्ट करने के लिए और प्रत्येक कर क्षेत्र के लिए एक खाका प्रदान करती है। इसमें वे व्यापार की जानकारी साझा करते हैं। इसी रिपोर्ट को Country-by-Country (CbC) रिपोर्ट कहा जाता है।

भारत-अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग भी बढ़ रहा
ट्रंप प्रशासन ने इससे पहले मंगलवार को कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा और सहयोग भी तेजी से बढ़ा रहा है। दोनों देशों के बीच अधिकारियों की यात्राएं बढ़ी हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उपप्रवक्ता राबर्ट पलाडिनो ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि हमारी मजबूत सामरिक भागीदारी से दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग तेजी से बढ़ रहा है। भारत, हिंद प्रशांत क्षेत्र में हमारे (अमेरिका के) प्रमुख सुरक्षा भागीदारों में से एक है।

2.’मिशन शक्तिके दम पर स्पेस वार का योद्धा बना भारत, सहमा पड़ोस; जानिए- क्या होगा असर:-

दुनिया के सभी युद्ध विश्लेषक और रणनीतिकार इस मसले पर एक मत हैं कि भविष्य में वही विश्व पर हुकूमत करेगा जिसके जखीरे में स्पेस वार जीतने के ब्रह्मास्त्र होंगे। आने वाले दिनों के युद्ध तोप और बंदूकों के बल पर न तो लड़े जाएंगे और न ही जीते जा सकेंगे। इसमें विजयश्री हासिल करने के लिए अंतरिक्ष युद्ध की साम‌र्थ्य विकसित करनी होगी। भारत ने इस दिशा में पहला लेकिन प्रभावी कदम बढ़ा दिया है और दुनिया में ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले चार देशों के क्लब में शामिल हो चुका है।

एंटी सेटेलाइट वीपन
धरती की निचली कक्षा में गतिमान किसी सेटेलाइट को पृथ्वी से निशाना बनाना असाध्य काम है, लेकिन भारतीय रक्षा और अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने दिन रात एक करके इसे कर दिखाया।

बड़ी उपलब्धि
अभी तक भारत ने चंद्रमा और मंगल मिशनों के अलावा लंबी दूरी की मिसाइलें विकसित कर परचम लहराया है। दुनिया इसके किफायती और सटीक अंतरिक्ष कार्यक्रमों से हतप्रभ है। मिशन शक्ति के तहत कक्षा में घूम रहे सेटेलाइट को धरती से निशाना बनाना इसलिए भी बड़ी उपलब्धि है क्योंकि दुनिया भर के देश अपनी समस्त गतिविधि सेटेलाइट केंद्रित कर चुके हैं।

संचार, जीपीएस, नेवीगेशन, सैन्य, मौसम, वित्त सहित आम जीवन से जुड़ी मनोरंजन के टेलीविजन चैनल्स, बिजली आदि तमाम चीजें कहीं न कहीं सेटेलाइट से नियंत्रित होने लगी हैं। ऐसे में अगर दुश्मन देश के सेटेलाइट को नेस्तनाबूद कर दिया जाए तो एक तरह से उस पर संपूर्ण काबू हो जाएगा। वह बेबस हो जाएगा। उसके सारे गुप्त कोड लॉक हो जाएंगे। आपातकाल में मिसाइल जैसी चीज का भी इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। लड़ाकू विमान और युद्ध पोत जहां के तहां खड़े रह जाएंगे।

एक तीर से दो निशाने
भारत ने मिशन शक्ति से न केवल सेटेलाइट को मार गिराने की विधा विकसित की बल्कि बैलिस्टिक मिसाइलों को पकड़ने (इंटरसेप्ट) वाली तकनीक का इससे आधार भी तैयार किया है।

ऐसे भेदा लक्ष्य
1.धरती की निचली कक्षा में मौजूद गतिमान सेटेलाइट बना लक्ष्य
2.तीन स्टेज वाली बीएमडी इंटरसेप्टर मिसाइल हुई तैनात
3.धरती पर मौजूद रडार ने सेटेलाइट की पहचान की
4.सेटेलाइट के हर हरकत पर रडार की रहीं निगाहें
5.लांचर से मिसाइल हुई लांच
6.रास्ते में मिसाइल के विभिन्न स्टेज स्वत: चालू होते गए
7.मिसाइल को रडार दिशा देता रहा
8.और सेटेलाइट हुआ तबाह

कब-कहां-कैसे परीक्षण
बुधवार सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर ओडिशा के बालासोर से ए-सैट मिसाइल दागी गई।
इसने 300 किलोमीटर ऊपर जाकर पृथ्वी की निचली कक्षा (लियो) में एक पुराने सैटेलाइट को मार गिराया। 
मिशन शक्तिनाम के इस अभियान मात्र तीन मिनट में पूरा कर लिया गया।

यह होगा असर
1.अंतरिक्ष से मिसाइल दागने (स्टार वॉर) की दिशा में बढ़ सकेगा भारत।
2.दुश्मन देश के किसी भी संचार व सैन्य उपग्रह को नष्ट किया जा सकेगा।
3.संचार व्यवस्था ठप होने से शत्रु राष्ट्र की समूची सैन्य संचार प्रणाली ठप हो जाएगी।
4.देश की सुरक्षा के लिए एयर डिफेंस नेटवर्क को मजबूत कर सकेगा।

चार का दम
भारत से पहले दुनिया के तीन देशों के पास कक्षा में चक्कर लगा रहे सेटेलाइट को मार गिराने की क्षमता थी। भारत इस क्लब का सबसे नया सदस्य बना।

 

अन्तराष्ट्रीय न्यूज़:-

3.PM मोदी के मिशन शक्तिपर अमेरिका ने भारत को कराया फील गुड, गाढ़ी हुई दोस्‍ती:-

भारत के मिशन शक्तिपर अमेरिका की दो प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। अमेरिका ने कहा है कि वह भारत के साथ मजबूत रणनीतिक साझेदारी को आगे भी कायम रखेगा। अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने एक बयान में कहा है कि वह अंतरिक्ष के क्षेत्र में दोनों देशों के साझा हितों एवं अंतरिक्ष में सुरक्षा पर सहयोग सहित वैज्ञानिक और तकनीकी मदद को आगे भी जारी रखेगा। हालांकि, उसने यह भी कहा है कि अंतरिक्ष मलबे का मुद्दा संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के लिए एक महत्‍वपूर्ण चिंता का विषय है।
अमेरिका की इस प्रतिक्रिया को भारत एक सकारात्‍मक रूख के रूप में देख रहा है। उसके इस बयान से यह तय हो गया है कि अमेरिका दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारत की सुरक्षा एवं सामरिक चिंताओं से पूरी तरह से वाकिफ है। खास बात यह है कि अमेरिका का यह बयान ऐसे समय आया है, जब पुलवामा आतंकी हमले के बाद चीन ने अपना पाकिस्‍तानी प्रेम जाहिर किया था। चीन ने पाकिस्‍तान में सक्रिय आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्‍मद के सरगना मसूद अज़हर को विश्‍व आंतकी घोषित करने में अड़ंगा लगाया। संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में चीन ने चौथी बार मसूद को लेकर वीटो पावर का इस्‍तेमाल किया। ऐसे में भारत के प्रति उदार अमेरिकी रूख निश्चित रूप से चीन के लिए भी सबक होगा। गौरतलब है कि जैश को भारत, अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों ने एक मुख्य आतंकवादी संगठन बताया है और अपने यहां जारी आतंकी संगठनों की सूची में इसे शामिल किया है।

बता दें कि भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को करीब 12.30 बजे देश को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने कुछ देर पहले अंतरिक्ष में एक सैटेलाइट को मार गिराया है। ऐसा करके भारत दुनिया का चौथा मुल्‍क बन गया है, जिसके पास यह उच्‍च तकनीक हासिल है। अभी तक यह तकनीक अमेरिका, रूस और चीन के पास ही थी। अंतरिक्ष में होने वाला ये मिशन पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षण जैसा ही था। इस परीक्षण के बाद भारत ने एक बार फरि दुनिया में अपना लोहा मनवाया है।
ऑपरेशन शक्ति के बाद मिशन शक्ति 
11 मई 1998 को राजस्‍थान के पोखरण में तीन परमाणु बमों का सफल परीक्षण करके भारत एक परमाणु संपन्‍न राष्‍ट्र बन गया था। इस परीक्षण का भी दुनिया को भनक नहीं लगी थी। यहां तक अमेरिकी खुफिया सैटेलाइट्स को भी इसकी जानकारी नहीं थी। उस वक्‍त देश में भाजपा के नेतृत्‍व में एनडीए की सरकार थी। अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। इस मिशन में अहम भूमिका निभाने वालों में तत्‍का‍लीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और रक्षा मंत्रालय में सलाहकार वैज्ञानिक एपीजे अब्‍दूल कलाम भी शामिल थे। इस लिहाज से 11 वर्ष बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी एक इतिहास रचा गया। इस बार भी दुनिया को भनक नहीं लगी और भारत ने इतिहास रच दिया।  लेकिन तब के और आज के हालात में काफी फर्क है। खासकर अमेरिकी रूख को लेकर। ऑपरेशन शक्ति के परीक्षण के बाद अमेरिका ने अपनी सख्‍त नाराजगी जताई थी। अमेरिका समेत कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाया था। इसके बावजूद वाजपेयी सरकार अपने फैसले पर कायम रही।
क्‍यों है मलबे का मलाल
धरती की कक्षा में मौजूद मलबा भविष्य में किसी भी अंतरिक्ष अनहोनी के लिहाज से बड़ी चिंता का विषय है। इस मलबे को साफ करने के लिए तमाम शोध कार्य चल रहे हैं। ऐसे में किसी भी सेटेलाइट को मार गिराने के साथ ही उसके मलबे को लेकर विश्व समुदाय चिंतित हो जाता है। एंटी सेटेलाइट परीक्षण से तैयार हुआ मलबा दूसरे सेटेलाइटों या यानों के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। हालांकि ये आकार में बहुत छोटे होते हैं लेकिन राइफल से दागी गई गोली के मुकाबले कई गुना तेज रफ्तार से कक्षा में घूम रहे हैं। किसी भी सेटेलाइट से टक्कर होने पर उसे तबाह होने में देर नहीं लगेगी।
इसीलिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र नियमित रूप से तेजी के साथ अपनी कक्षा बदलता रहता है। 2007 में चीन के परीक्षण के बाद भारी मात्रा में मलबा पैदा हुआ। चूंकि ये मलबा 800 किमी ऊंची धरती की कक्षा में पैदा हुआ इसलिए उसके तमाम छोटे-छोटे हिस्से कक्षा में ही मौजूद रहे। धरती का गुरुत्वाकर्षण उन्हें अपनी ओर खींचने में विफल साबित हुआ। 2008 के अमेरिकी परीक्षण में भी बड़े पैमाने पर मलबा पैदा हुआ। चूंकि ये विस्फोट निचली कक्षा में हुआ इसलिए पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से ज्यादातर टुकड़े उसकी तरह आकर रास्ते में ही नष्ट हो गए। इसीलिए भारत के इस परीक्षण को मलबा मुक्त होने की बात कही जा रही है।   

बाज़ार न्यूज़:-

4.भारत और अमरीका ने कर संबंधी सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए बुधवार को अंतर सरकारी समझौते पर हस्‍ताक्षर किए:-

भारत और अमरीका ने कर संबंधी सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए आज नई दिल्‍ली में अंतर सरकारी समझौते पर हस्‍ताक्षर किए। दोनों देशों के बीच इस समझौते और द्विपक्षीय सक्षम अधिकारी समझौते से बहुराष्‍ट्रीय उद्यमो की मूल कम्‍पनियों द्वारा अपने कार्यक्षेत्र में दायर कर सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान हो जाएगा।

खेल न्यूज़:-

5.इंडिया ओपन बैडमिंटन प्रतियोगिता में भारत के शुभांकर-डे ने चौथी वरीयता प्राप्त इंडोनेशिया के टॉमी सुगियार्तो को हराया:-

इंडिया ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप में भारत के शुभांकर डे ने बुधवार को नई दिल्ली में चौथी वरीयता प्राप्त इंडोनेशिया के टॉमी सुगियार्तो को हराकर क्वार्टर फाइनल में पहुंचे। भारत के किदाम्बी श्रीकांतएच.एस. प्रणॉय और बी.साईप्रणीत पहले ही क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुके हैं।

6.ताइपेई में एशियन एयरगन शूटिंग प्रतियोगिता: भारत के मनु भाकर और सौरभ चौधरी ने 10 मीटर एयर पिस्‍टल मिक्‍सड टीम का स्‍वर्ण पदक जीता:-

ताइपेई में 12वी एशियन एयरगन शूटिंग प्रतियोगिता में भारत के मनु भाकर और सौरभ चौधरी ने विश्‍व क्‍वालीफाईंग रिकॉर्ड तोड़ दिया है। प्रतियोगिता में उन्‍होंने 10 मीटर एयर पिस्‍टल मिक्‍सड टीम गोल्‍ड प्राप्‍त किया है।