ऋग्वेद
- ऋग्वेद में उल्लेख मिलता है कि उस समय कुछ स्त्रियाँ ऐसी थीं जो पूरी जिंदगी अविवाहित रहती थीं. ऐसी स्त्रियों/कन्याओं को अमाजू कहते थे.
- ऋग्वेद में अनेक बार पंचजन का उल्लेख हुआ है. निरुक्त (वेदों पर लिखा किताब) में उल्लेख है कि कुछ विद्वान् पंचजन से चार वर्णों और निषाद-समुदाय (नाविक वर्ग) का अर्थ समझते हैं.
- Rigveda में इंद्र को पञ्चजन्य बतलाया गया है.
- ऋग्वैदिक काल में वर्ण कर्म के आधार पर ही संगठित थे.
- इस वेद में दो भाइयों का उल्लेख मिलता है – शांतनु और देवापि, जिसमें शांतनु राजा है और देवापि एक पुरोहित है.
- Rigveda में केवल हिमालय और उसकी चोटी मूजवंत का उल्लेख मिलता है. शतपथ ब्राह्मण में त्रिककुट का भी उल्लेख है जिसको आजकल त्रिकोट कहते हैं.
- इस वेद में सिन्धु नदी को हिरण्ययी कहा गया है क्योंकि इस नदी के द्वारा धन की प्राप्ति होती थी.
- गृहस्थ शब्द के लिए ऋग्वेद में गृहपति शब्द का उल्लेख है.
- ऋग्वेद में ऋजाश्व और भृज्यु की कथाओं से स्पष्ट है कि पिता का पुत्र पर सम्पूर्ण अधिकार होता था.
- जंगल की देवी अरण्यानी का उल्लेख “ऋक् संहिता” में प्राप्त होता है.
- शूद्र शब्द की सूचना ऋग्वेद के 10वें मंडल से प्राप्त होती है.
- Rigveda में फसलों के रूप में – जौ और धान्य का उल्लेख मिलता है.
- ऋग्वेद में मगध के लिए कीकट शब्द का प्रयोग किया गया है.
ऋग्वेद के मंडल का विकास –
- इसमें कुल 10 मंडल हैं.
- सबसे पहले 2 से 7 मंडलों का संग्रह है.
- उसके बाद 8वाँ मंडल उसमें जोड़ा गया.
- 2 से 8 तक के मंडलों में आये सोम-सूक्तों को अलग करके उन्हें 9वें मंडल में रखा गया. इसलिए 9वें मंडल को सोम मंडल या पवमान मंडल भी कहा जाता है क्योंकि इसके सभी सूक्त सोम से सम्बंधित हैं.
- सबसे बाद पहले और दसवें मंडल को इस संग्रह में जोड़ दिया गया.
- सबसे नवीन दसवां मंडल है जो अंत में जोड़ा गया.
- संक्षेप में कहा जाए तो ऋग्वेद में 2-7 मंडल सबसे प्राचीन हैं और दशम मंडल सबसे नवीन.