नवंबर से चार चरणों में छत्‍तीसगढ़, मध्‍यप्रदेश, राजस्‍थान, तेलंगाना और मिजोरम में होंगे विधानसभा चुनाव

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    राष्ट्रीय न्यूज़

    1.12 नवंबर से चार चरणों में छत्‍तीसगढ़, मध्‍यप्रदेश, राजस्‍थान, तेलंगाना और मिजोरम में होंगे विधानसभा चुनाव:-

    निर्वाचन आयोग ने पांच राज्‍यों – छत्‍तीसगढ़, मध्‍यप्रदेश, राजस्‍थान, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव तिथियों की घोषणा कर दी है। मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त ओ.पी. रावत ने नई दिल्‍ली में यह घोषणा करते हुए बताया कि केवल छत्‍तीसगढ़ में दो चरणों में मतदान होगा, जबकि मध्‍यप्रदेश, मिजोरम, राजस्‍थान और तेलंगाना में एक ही चरण में चुनाव सम्‍पन्‍न कराये जाएंगे।

    सभी राज्‍यों के वोटों की गिनती 11 दिसम्‍बर को होगी। उन्‍होंने कहा कि चुनाव वाले सभी राज्‍यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी है। हालांकि, तेलंगाना में विधानसभा भंग होने के दिन से यह लागू कर दी गयी थी।एक सवाल के जवाब में मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त ने कहा कि चुनाव की तारीख घोषित करने के बारे में सरकार की ओर से किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं डाला गया है।

    90 सीटों वाली छत्‍तीसगढ़ विधानसभा की 18 सीटें नक्‍सल प्रभावित क्षेत्रों में पड़ती है, जहां पर पहले चरण के तहत 12 नवम्‍बर को, जबकि दूसरे चरण में राज्‍य की 72 सीटों के लिए 20 नवम्‍बर को वोट डाले जाएंगे। 230 सीटों वाली मध्‍यप्रदेश विधानसभा और 40 सीटों वाली मिजोरम विधानसभा के लिए मतदान एक ही चरण में 28 नवम्‍बर को होगा। 200 सीटों वाली राजस्‍थान विधानसभा और 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा के लिए सात दिसम्‍बर को एक ही चरण में मतदान कराए जाएंगे।

    2.कोर्ट से बाहर स्वैच्छिक इकबालिया बयान पर भी हो सकती है सजा:-

    अपने एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अदालत से बाहर दिए इकबालिया बयान को लेकर एक अहम व्यवस्था दी है। उसका कहना है कि न्यायालय से बाहर दिया इकबालिया बयान हालांकि एक कमजोर साक्ष्य होता है, लेकिन इसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति को सजा देने के लिए किया जा सकता है बशर्ते अदालत संतुष्ट हो कि उक्त बयान स्वैच्छिक है।

    जस्टिस आर भानुमति और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने एक फैसले में उपरोक्त व्यवस्था दी। पीठ के अनुसार, कोर्ट से बाहर दिए इकबालिया बयान से जुड़े मामलों में अदालत को यह जरूर सुनिश्चित करना होगा कि उक्त बयान विश्वसनीय है और अभियोजन के अन्य साक्ष्य उसकी पुष्टि करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय के मुताबिक, ‘अगर कोर्ट संतुष्ट है कि न्यायालय से बाहर दिया गया इकबालिया बयान स्वैच्छिक है तो इसे सजा देने का आधार बनाया जा सकता है। हालांकि सभी मामलों में आरोपित के इस तरह के इकबालिया बयान की पुष्टि की कोई जरूरत नहीं है।’

    सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, यह स्थापित मान्यता है कि सजा स्वैच्छिक इकबालिया बयान पर आधारित हो, लेकिन कानूनन यह जरूरी है कि जहां तक संभव हो सके, इसकी पुष्टि दूसरे साक्ष्यों से करा लेनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश में निचली अदालतों द्वारा भ्रष्टाचार के दोषी ठहराए गए एक पूर्व बैंककर्मी की सजा को बरकरार रखने वाले अपने फैसले में उपरोक्त टिप्पणी की।निचली अदालत व हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट से भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम व भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धाराओं के तहत सजा पाए बैंककर्मी ने राहत पाने के लिए शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसने शीर्ष अदालत में दायर याचिका में कहा था कि अपने दो वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष दिए उसके इकबालिया बयान के आधार पर उसे सजा दी गई है। उसके उक्त बयान को स्वैच्छिक नहीं कहा जा सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी दलीलें नहीं सुनी और हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। हालांकि शीर्ष अदालत ने पूर्व बैंककर्मी की पांच साल कैद की सजा को घटाकर तीन वर्ष कर दिया।

    3.यूनिसेफ ने की स्‍वास्‍थ्‍य और स्‍वच्‍छता अभियानों के लिए मोदी सरकार की तारीफ:-

    मोदी सरकार ने स्‍वास्‍थ्‍य और स्‍वच्‍छता जैसे मुद्दों पर विशेष ध्‍यान दिया है। केंद्र सरकार की ओर से पिछले दिनों आयुष्‍मान भारत योजना की शुरुआत की गई, जिससे करोड़ों लोगों को लाभ पहुंच रहा है। वहीं स्‍वच्‍छ भारत अभियान से भी स्‍वच्‍छता के क्षेत्र में काफी सकारात्‍मक प्रभाव देखने को मिले हैं। मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रही इन योजनाओं की अब अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी सराहना हो रही है। यूनिसेफ ने मोदी सरकार की स्‍वास्‍थ्‍य और स्‍वच्‍छता से जुड़ी योजनाओं के लिए तारीफ की है।यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फोर ने स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे मुद्दों में ‘राजनीतिक समय और प्रयासों’ का निवेश करने के लिए पीएम मोदी की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि लोग उन चीजों की ओर तब देखना शुरू करते हैं, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता होती है, जब उन्हें लगता है कि उनका समुदाय बेहतर कर रहा है। उन्‍होंने कहा, ‘यदि आप स्वच्छता समाधानों के लिए एक डॉलर का निवेश करते हैं, तो स्वास्थ्य लागत की रोकथाम के मामले में लाभ चार डॉलर होगा। डॉक्टरों के पास लोग कम जाएंगे, दवाइयों पर खर्चा कम होगा।’हेनरीएटा यूनिसेफ और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए यहां आयी थीं। पीएम मोदी की महत्‍वाकांक्षी योजना ‘स्‍वच्‍छ भारत अभियान’ की सराहना करते हुए उन्‍होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक समय और प्रयास का निवेश स्‍वच्‍छता जैसे मुद्दों में किया। उन्‍होंने स्‍वच्‍छ भारत अभियान महात्‍मा गांधी को समर्पित किया, देशवासियों का समर्पित किया और उन्‍हें इसमें गर्व महसूस हुआ।’बता दें कि 2014 में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई प्रमुख स्वच्छता अभियान का उद्देश्य भारत के शहरों, कस्बों और ग्रामीण इलाकों की सड़कों और बुनियादी ढांचे को साफ करना है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की ओर से सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ दिया गया। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटारेस यह सम्मान दिया।

    4.प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने देहरादून में उत्‍तराखंड निवेशक सम्‍मेलन का उद्घाटन किया:-

     

    प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कांग्रेस पर सत्‍ता के लिए वोट बैंक की राजनीति करने और लोगों में फूट डालने का आरोप लगाया है। राजस्‍थान में अजमेर में राजस्‍थान गौरव यात्रा के समापन अवसर पर एक जनसभा को सम्‍बोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि केवल वोट बैंक की राजनीति करने वाले दल सत्‍ता में आने पर नौकरशाही में भी फूट डालते है़, जिससे शासन प्रभावित होता है।

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- “जो वोट बैंक की राजनीति करते हैं। उनको कभी हिंदू-मुस्लिम का खेल करने में मजा आती है। कभी अगड़े-पिछले का खेल करने में मजा आती है जहां मौका मिले टुकड़े करो, जहां मौका मिले दरार पैदा करो। हम जोड़ने वाले हैं, समाज के हर तबके को, समाज के हर वर्ग को, कोई भू-भाग बहुत पीछे रह जाए। यह भी हमें मंजूर नहीं है।”श्री मोदी ने विपक्ष को नि‍शाना बनाते हुए कहा कि इन लोगों ने सर्जिकल स्‍ट्राइक पर सवाल उठाकर सैनिकों का अपमान किया है।

    सर्जिकल स्‍ट्राइक मेरे देश के वीर जवानों का बहुत ही बड़ा पराक्रम था। क्‍या राजनीति ने आपको इतना नीचे धकेल दिया है कि पहले आपने सर्जिकल स्‍ट्राइक की बेइज्‍जती करने की कोशि‍श की। मेरे वीर जवानों के पराक्रम को लांछन लगाने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ा।

     

    अन्तर्राष्ट्रीय न्यूज़

    5.क्या होता है ट्रेड डेफिसिट? चीन के साथ उच्च स्तर पर, अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस:-

    भारत का ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा ) इस साल जुलाई में पांच साल के उच्चतम स्तर (19 अरब डालर) पर पहुंच गया है। यह सिर्फ एक महीने का आंकड़ा है और माना जा रहा है कि पूरे वित्त वर्ष के लिए यह पिछले साल के मुक़ाबले काफ़ी अधिक होगा। व्यापार घाटे का सीधा असर देश की आर्थिक स्थिति ख़ासकर चालू खाते, रोज़गार सृजन, विकास दर और मुद्रा के मूल्य पर पड़ता है। ट्रेड डेफिसिट क्या है? इसे कम करने के लिए सरकार ने क्या उपाय किए हैं?  आयात और निर्यात के अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं। जब कोई देश निर्यात की तुलना में आयात अधिक करता है तो उसे ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) कहते हैं। इसका मतलब यह है कि वह देश अपने यहां ग्राहकों की ज़रूरत को पूरा करने के लिए वस्तुओं और सेवाओं का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पा रहा है इसलिए उसे दूसरे देशों से इनका आयात करना पड़ रहा है। इसके उलट जब कोई देश आयात की तुलना में निर्यात अधिक करता है तो उसे ट्रेड सरप्लस कहते हैं।वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने लगभग 238 देशों और शासनाधिकृत क्षेत्रों के साथ कुल 769 अरब डालर का व्यापार ( 303 अरब डॉलर निर्यात और 465 अरब डॉलर आयात) किया और 162 अरब डालर व्यापार घाटा रहा। इनमें से 130 देशों के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस था जबकि क़रीब 88 देशों के साथ ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) रहा। भारत का सर्वाधिक व्यापार घाटा पड़ोसी देश चीन के साथ 63 अरब डालर है। इसका मतलब यह है कि चीन के साथ व्यापार भारत के हित में कम तथा इस पड़ौसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अधिक फ़ायदेमंद है।

    चीन की तरह स्विट्ज़रलैण्ड, सऊदी अरब, इराक़, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, ईरान, नाइजीरिया, क़तर, रूस, जापान और जर्मनी जैसे देशों के साथ भी भारत का व्यापार घाटा अधिक है। अगर हम ट्रेड सरप्लस की बात करें तो अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस सर्वाधिक (21 अरब डॉलर) है । इसका अर्थ है कि हमारा देश अमेरिका से आयात कम और वहाँ के लिए निर्यात ज्यादा करता है। इस तरह अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार संतुलन का झुकाव भारत की ओर है। सरल शब्दों में कहें तो अमेरिका से व्यापार भारतीय अर्थव्यवस्था के अनुकूल है। बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, हांगकांग, नीदरलैंड, पाकिस्तान, वियतनाम और श्रीलंका जैसे देशों के साथ भी भारत का ट्रेड सरप्लस है।

    6.काटसा के तहत छूट सिर्फ कलपुर्जो पर : अमेरिका:-

    व्हाइट हाउस का कहना है कि काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (काटसा) के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दी जाने वाली छूट बेहद संकुचित है। इसका मकसद भारत जैसे देशों को रूसी उपकरणों से निजात दिलाना और पहले खरीदे जा चुके उपकरणों के लिए अतिरिक्त कलपुर्जो जैसी चीजों की अनुमति प्रदान करना है। मालूम हो कि भारत ने  रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ने  कहा, ‘प्रशासन संकेत दे चुका है कि काटसा की धारा-231 के कार्यान्वयन का फोकस एरिया एस-400 वायु एवं मिसाइल रक्षा प्रणाली समेत नई और क्षमता में गुणात्मक बढ़ोतरी पर ही है।’ बता दें कि रूस से एस-400 की खरीद पर अमेरिका ने पिछले महीने चीन पर भी प्रतिबंध लगा दिए थे। हालांकि, अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं साङोदारी मंच के अध्यक्ष मुकेश अघी का मानना है, हमारे मित्र समझ जाएंगे कि रूस के साथ इसकी बातचीत कई साल पहले शुरू हुई थी, इसलिए उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाएगा।

     

    खेल न्यूज़

    1. भारत के खिलाफ वनडे सीरीज में पोलार्ड सहित इन दिग्गजों को नहीं मिली टीम में जगह!:-

    टी-20 क्रिकेट के अनुभवी खिलाड़ी ड्वेन ब्रावो, कीरोन पोलार्ड और सुनील नरेन के भारत के खिलाफ आगामी वनडे सीरीज में वेस्टइंडीज टीम में नहीं खेलने की संभावना है, क्योंकि भारतीय वीजा हासिल करने के लिए तैयार की गई बोर्ड की 25 खिलाडि़यों की सूची में उनके नाम नदारद हैं।टेस्ट सीरीज के बाद भारत और वेस्टइंडीज के बीच 21 अक्टूबर से वनडे सीरीज खेली जानी है। न्यूजडे डॉट को डॉट टीटी के अनुसार, ‘ड्वेन ब्रावो के भारत जाने वाली टी-20 टीम में भी चुने जाने की संभावना नहीं दिखती है, क्योंकि क्रिकेट वेस्टइंडीज (सीडब्ल्यूआइ) ने भारत का वीजा हासिल करने के लिए जिन खिलाडि़यों से संपर्क किया है, उसमें वह शामिल नहीं है, जबकि उन्होंने त्रिनबागो नाइटराइडर्स की अगुआई करते हुए उसे हाल में कैरेबियाई प्रीमियर लीग खिताब दिलाया था।

    सीडब्ल्यूआइ ने 21 अक्टूबर से शुरू होने वाली सीरीज के लिए संभावित खिलाडि़यों के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। खिलाडि़यों के चयन के लिए तीन अक्टूबर से शुरू हुई घरेलू वेस्टइंडीज सुपर 50 (राष्ट्रीय वनडे प्रतियोगिता) में प्रदर्शन अहम होगा

    सीडब्ल्यूआइ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जॉनी ग्रेव ने कहा, ‘सुपर 50 से पहले वनडे टीम के लिये लंबी सूची चुनने का कारण यही है कि खिलाड़ी 10 अक्टूबर को भारत के लिए रवाना होंगे और 12 अक्टूबर तक पहुंचेंगे। पहले वनडे से पूर्व गुवाहाटी में एक शिविर भी आयोजित होगा।

    8.अर्जुन तेंदुलकर की घातक गेंदबाजी के आगे ढेर हुई गुजरात, लिए इतने विकेट:-

    क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के बाद अब उनके बेटे ने भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना शुरू कर दिया है। अर्जुन लगातार शानदार गेंदबाजी करते हुए अपनी चमक बिखेर रहे हैं। इस बार अर्जुन ने मुंबई की अंडर-19 टीम से खेलते हुए वीनू मांकड़ ट्रॉफी 2018 में गुजरात के खिलाफ जबरदस्त गेंदबाजी करते हुए 5 विकेट झटके। इस मैच में अर्जुन ने 30 रन देकर 5 विकेट लिए, जिसरी बदौलत उनकी टीम को 9 विकेट से आसान जीत मिली। अर्जुन ने अपनी गेंदबाजी में 8.1 ओवर में 1 मेडन डालकर 5 विकेट लिए। अर्जुन ने गुजरात के दत्तेश शाह (0), प्रियेश (1), एलएम कोचर (8), जयमीत पटेल (26) और ध्रुवांग पटेल (6) को अपना शिकार बनाया। उन्हीं की गेंदबाजी की बदौलत गुजरात की टीम 49.2 ओवरों में 149 रन पर ढेर हो गई।

    छोटे स्कोर का पीछा करने उतरी मुंबई ने 38 ओवरों में एक विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। मुंबई के ओपनर ओपनर सुवेन पारकर ने नाबाद 67 और दिव्यांच 45 ने मुंबई के लिए पहले विकेट के लिए 108 की साझेदारी की। इसके बाद प्रग्नेश कानपिल्लेवर (नाबाद 27) और पारकर ने 38 ओवरों में टीम को आसान जीत दिलवा दी

     

    बाजार न्यूज़

    9.चालू खाता घाटा कम करने के लिए सरकार जल्द उठा सकती है कदम: वित्तमंत्री:-

    रुपये की लगातार गिरती कीमत को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चालू खाते का घाटा कम करने और देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ाने के लिए जल्द ही कुछ और कदम उठाये जा सकते हैं। जेटली ने कहा कि सरकार इसे लेकर पहले भी कुछ कदम उठाए हैं।

    अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए बाजार उधारी के लक्ष्य में 70 हजार करोड़ रुपए की कमी की है. साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों का विपणन करने वाले तेल कंपनियों को विदेशों से एक साल में 10 अरब डॉलर तक जुटाने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा मसाला बॉन्ड पर विदहोल्डिंग कर को फिलहाल हटा लिया गया है।

    उन्होंने कहा कि राजकोषीय स्थिति को सुदृढ़ बनाए रखना सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है। वित्त मंत्री ने कहा कि मेरे हिसाब से राजकोषीय अनुशासन को बनाए रखना सबसे जरूरी प्राथमिकताओं में से एक है। आप तभी कुछ सुविधा ले सकते हैं जब आपकी राजकोषीय स्थिति मजबूत होती है।

    जेटली ने कहा कि हम धीरे-धीरे राजकोषीय घाटे को 4.6% से नीचे लाए हैं और इस साल हम इसे जीडीपी के 3.3% पर लाने का लक्ष्य है। मुझे पूरा विश्वास है कि जिस तरह का राजस्व संग्रहण प्रत्यक्ष कर से हो रहा है, हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी से देश के चालू खाते घाटे पर असर पड़ा है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हुई 85 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई वहीं रुपया तेजी से गिरता हुआ 74 रुपए प्रति डॉलर के स्तर को छू गया है. इससे देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह पर दबाव बढ़ गया है।

    10.रुपये की गिरती कीमत को ऐसे थाम सकता है आरबीआई:-

    पिछले कुछ दिन से डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत लगातार गिर रही है। रुपया इतिहास में अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। रुपये की कीमत की तुलना अमेरिका डॉलर के साथ की जाती है। दरअसल, अमेरिका दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था समझी जाती है। इसलिए दुनियाभर में डॉलर की स्वीकार्यता है। डॉलर की मजबूती के साथ दूसरी करेंसी कमजोर होती जाती है। डॉलर के मजबूत होने का नुकसान रुपये का उठाना पड़ रहा है।

    रुपये की कीमत गिरने के कारण भारत को आयात के लिए ज्यादा रकम चुकानी पड़ती है। इसके अलावा महंगाई, ब्याज दर, व्यापार घाटा, आर्थिक नीतियां और शेयर बाजार की हलचल का असर भी रुपये की सेहत पर पड़ता है।

    रिजर्व बैंक की क्या है भूमिका?

    गिरते रुपये की मजबूती देने का काम भारत की केंद्रीय बैंक (आरबीआई) करता है। इसके लिए आरबीआई के पास कई तरीके होते हैं। पहला तरीका प्रत्यक्ष रूप से डॉलर की खरीदारी या बिक्री है। यदि आरबीआई रुपये की कीमत बढ़ाना चाहता है तो वह डॉलर की बिक्री कर सकता है और कीमत घटाने के लिए खरीदारी कर सकता है।

    दूसरा तरीका अपनी नीतियों के जरिए हैं। यदि आरबीआई रेपो रेट और वैधानिक तरलता अनुपात में बदलाव करता है तो इससे रुपये की कीमत नियंत्रित हो सकती है। इसे एलएलआर भी कहा जाता है।आरबीआई महंगाई को काबू में रखने के लिए रेपो रेट का सहारा लेता है। रेपो रेट वह रेट है जिस पर आरबीआई दूसरे कमर्शियल बैंको को कर्ज देता है। वहीं रिवर्स रेपो रेट वह रेट है जिस पर आरबीआई दूसरे बैकों का पैसा अपने पास रखता है।

    अधिक रेपो रेट से विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने, घरेलू करेंसी की कीमत और मांग में इजाफा होता है। रेपो रेट में बढ़ोतरी से ब्याज दरें, बॉन्ड यील्ड और डेट पेपर्स का रिटर्न बढ़ता है। इससे ज्यादा निवेशक आकर्षित होते हैं। इसके अलावा अधिक ब्याज रेट से आरबीआई के पास ज्यादा पैसा आएगा, जिसका इस्तेमाल करेंसी की डिमांड और सप्लाई के लिए किया जा सकता है।

    अगर रुपये की कीमत घटती है तो इससे महंगाई बढ़ेगी क्योंकि आयातित वस्तुओं के लिए ज्यादा कीमत देनी पड़ती है। आरबीआई ब्याज दरें बढ़ाकर चीजों की मांग और कीमतों को कम करने की कोशिश करता है।