भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की 11 सबसे महत्वपूर्ण घटनाएं

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भारत को आजाद हुए 72 साल हो चुके हैं. परन्तु क्या आप जानते हैं कि ऐसे कौन से सबसे महत्वपूर्ण घटनाएं हैं जिनके कारण भारत को आजादी मिली.

इन महत्वपूर्ण घटनाओं से पहले आपको बता दें कि ब्रिटिश, भारत में राजनीतिक सत्ता 1757 में पलासी के युद्ध के बाद जीत गए. यही वो समय था जब अंग्रेज भारत आए और करीब 200 साल तक राज किया.

क्या आप जानते हैं कि 1848 में लॉर्ड डलहौज़ी के कार्यकाल के दौरान ही यहां अंग्रेजों का शासन स्थापित हुआ था.

सबसे पहले उत्तर-पश्चिमी भारत अंग्रेजों के निशाने पर रहा और उन्होंने अपना मजबूत अधिकार 1856 तक स्थापित कर लिया था. इसका नतीजा था 1857 का विद्रोह और यह ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ पहला संगठित आंदोलन कहलाया.

 

  1. 1857 का विद्रोह –

शुरुआत: 10 मई 1857

मुख्य भूमिका: मंगल पांडे, बख़्त खान, बेगम हजरत महल, नाना साहब,रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, इत्यादि.

कारण: लॉर्ड डलहौजी की “राज्य हड़प नीति”, लॉर्ड वेलेजली की “सहायक संधि” और सैनिको को चर्बी युक्त कारतूस का उपयोग करने पर बाध्य करना.

यह विद्रोह, प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है. 1857 की क्रान्ति की शुरूआत ’10 मई 1857′ को मेरठ मे हुई थी. 

34th Bengal Native Infantry कंपनी के सैनिक मंगल पांडे ने एक सिपाही विद्रोह के रूप में इस आंदोलन को मेरठ में शुरू किया गया था, जो नई एनफील्ड राइफल में लगने वाले कारतूस के कारण हुआ था. ये कारतूस गाय और सूअर की चर्बी से बने होते थे जिसे सैनिक को राइफल इस्तेमाल करने के लिए मुंह से हटाना होता था और ऐसा करने से सैनिकों ने मना कर दिया था. यह विद्रोह दो वर्षों तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चला. नाना साहिब, तातिया टोपे और रानी लक्ष्मीबाई इत्यादि इस आंदोलन में शामिल हुए थे.

 

  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना –

स्थापना: 28 दिसम्बर 1885

संस्थापक: Allan Octavian Hume, Dadabhai Naoroji और Dinshaw Wacha

कारण: ब्रिटिश थिंक टैंक की अवधारणा के अनुसार, भारतीय जनता और ब्रिटिश सरकार के बीच, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के नाम से जाना जाने वाला एक बफर संगठन होगा.

Allan Octavian Hume, Dadabhai Naoroji और Theosophical Society के सदस्य Dinshaw Wacha ने मार्च 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन किया था.

हम आपको बता दें कि यह एशिया और अफ्रीका में ब्रिटिश साम्राज्य में उभरने वाला पहला आधुनिक राष्ट्रवादी आंदोलन था.

पार्टी ने ब्रिटिश साम्राज्य के साथ शर्तों को रखना और बातचीत करना शुरू किया और तब से आंदोलनों को व्यवस्थित किया.

यह आंदोलन केवल 72 प्रतिनिधियों के साथ शुरू हुआ था. 1947 में स्वतंत्रता आंदोलन के अंत तक कांग्रेस 15 मिलियन से अधिक सदस्यों के साथ एक मजबूत पार्टी के रूप में उभरी थी.

 

  1. बंगाल का विभाजन –

घोषणा: 19 जुलाई 1905

किसने की: वायसराय लॉर्ड कर्जन

कारण: मुस्लिम और हिंदू यहाँ भाइयों की तरह रहते थे. उनकी एकता ब्रिटिशों के लिए मुख्य खतरा थी. दूसरा प्रशासनिक कारण था.

बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा 19 जुलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वाइसराय लॉर्ड कर्ज़न द्वारा की गयी थी.

विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ था. विभाजन के कारण उत्पन्न उच्च स्तरीय राजनीतिक अशांति के कारण 1911 में दोनो तरफ की भारतीय जनता के दबाव की वजह से बंगाल के पूर्वी एवं पश्चिमी हिस्से पुनः एक हो गए थे.

 

  1. महात्मा गांधी का आगमन –

गांधी जी भारत कब आए: 1915

कारण: गोपाल कृष्ण गोखले के अनुरोध पर गांधी जी भारत लौटे.

दक्षिण अफ्रीका में औपनिवेशिक साम्राज्य के खिलाफ लड़ने के बाद, गांधी जी 1915 में भारत आए थे.

उन्होंने भूमि कर जैसे दमनकारी औपनिवेशिक कानूनों के विरोध में किसानों और मजदूरों का आयोजन करना शुरू किया.

गांधी जी 1921 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलनों (nationwide movements)का नेतृत्व किया.

इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका सर्वोपरि रही है.

उन्होंने अहिंसा, महिलाओं के अधिकारों का प्रचार किया, अस्पृश्यता और विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच कमजोर नीतियों के खिलाफ विरोध किया था.

 

  1. जलियांवाला बाग कांड –

कब हुआ: 13 अप्रैल 1919

किसके कहने पर: ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर

कारण: ब्रिटिश सरकार द्वारा दो राष्ट्रवादी नेताओं, डॉ सैफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल की गिरफ्तारी.

13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने निहत्थे, बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों पर गोलियां चला दी और मार डाला. हज़ारों लोगों घायल हो गए थे. यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकांड ही था.

इसने भारत में स्वतंत्रता आंदोलन के स्वर को बदल दिया, भगत सिंह जैसे विद्रोहियों को जन्म दिया. रवींद्रनाथ टैगोर ने इस नरसंहार के खिलाफ विरोध किया और knighthood की उपाधि को लौटा दिया.

 

  1. खिलाफत आंदोलन –

शुरुआत: 1919

मुख्य भूमिका: शौकत अली, मुहम्मद अली और अबुल कलाम आजाद

कारण: ब्रिटिश सरकार पर तुर्की के खालिफा के अधिकार को संरक्षित करने के लिए दबाव डालना था.

खिलाफत आन्दोलन भारत में मुख्यत: मुसलमानों द्वारा चलाया गया राजनीतिक-धार्मिक आन्दोलन था. इस आन्दोलन का उद्देश्य (सुन्नी) इस्लाम के मुखिया माने जाने वाले तुर्की के खलीफा के पद की पुन:स्थापना कराने के लिये अंग्रेजों पर दबाव बनाना था.

सन् 1924 में मुस्तफ़ा कमाल के खलीफ़ा पद को समाप्त किये जाने के बाद यह अपने-आप समाप्त हो गया था.

इस आंदोलन को एक राजनीतिक स्तर तब प्राप्त हुआ जब मुसलमानों ने कांग्रेस के साथ उपनिवेशवादियों के खिलाफ हाथ मिला लिए थे.

 

  1. दिल्ली विधानसभा बम विस्फोट –

कब हुआ: 1929

मुख्य भूमिका: भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त

कारण: कानूनी मुकदमे के माध्यम से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपने तर्क प्रस्तुत करना.

1929 में, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली केंद्रीय विधानसभा में राजनीतिक कारणों से धुएं वाले बमों को फेंका.

उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि उनको गिरफ्तार किया जाए ताकि वे कानूनी मुकदमे के माध्यम से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपने तर्क प्रस्तुत कर पाए.

 

  1. असहयोग आंदोलन / नमक कानून –

शुरुआत: 1 अगस्त 1920

मुख्य भूमिका: महात्मा गाँधी

कारण: सरकार के साथ सहयोग न करके कार्यवाही में बाधा उपस्थित करना था.

इस आंदोलन के दो चरण थे: 1921-1924  और 1930-1931

ब्रिटिश सरकार द्वारा निष्पक्ष व्यवहार ना होता देख 1920 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरु किया. यह आंदोलन 1922 तक चला और सफल रहा. नमक आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने मार्च 1930 में अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से 388 km समुद्र के किनारे बसे शहर दांडी तक की थी. अंग्रेजों के एकछत्र अधिकार वाला कानून तोड़ा और नमक बनाया था.

रावी अधिवेशन, 1929 के लाहौर में रावी नदी के तट पर हुए कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग की गई थी.

 

  1. चौरी चौरा कांड –

शुरुआत:  फरवरी 1922

मुख्य भूमिका: सत्याग्रहियों द्वारा

ऐतिहासिक महत्व: घटना के कारण ‘असहयोग आंदोलन’ को बंद कर दिया गया था.

चौरी चौरा घटना, 1922 को ब्रिटिश भारत के गोरखपुर जिले में हुई थी और इसको पूर्व स्वतंत्र भारत की सबसे प्रमुख घटनाओं में से एक माना जाता है.

इसी दिन चौरी चौरा थाने के दारोगा गुप्तेश्वर सिंह ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे वालंटियरों की खुलेआम पिटाई शुरू कर दी. इसके बाद सत्याग्रहियों की भीड़ पुलिसवालों पर पथराव करने लगी.

जवाबी कार्यवाही में पुलिस ने गोलियां चलाई. जिसमें लगभग 260 व्यक्तियों की मौत हो गई. पुलिस की गोलियां तब रुकीं जब उनके सभी कारतूस समाप्त हो गए. इसके बाद सत्याग्रहियों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होनें थाने में बंद 23 पुलिसवालों को जिंदा जला दिया.

इस घटना के बाद महात्मा गाँधी ने ‘असहयोग आंदोलन’ वापिस ले लिया था.

 

  1. आजाद हिंद फौज/ इंडियन नेशनल आर्मी का गठन –

स्थापना: 1942

मुख्य भूमिका: नेताजी सुभाषचंद्र बोस

कारण: ब्रिटिश शासन से भारतीय स्वतंत्रता को सुरक्षित करना.

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में भारतीय राष्ट्रवादियों द्वारा राष्ट्रीय सेना या आजाद हिंद फौज का गठन किया गया था.

नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व में, इसका लक्ष्य ब्रिटिश शासन से भारतीय स्वतंत्रता को सुरक्षित करना था, लेकिन समर्थन और अन्न की कमी के कारण आंदोलन फीका पड़ गया था.

साथ ही 1940 में द्वितीय विश्व युद्ध में इंग्लैंड की भागीदारी ने ब्रिटिश साम्राज्य को कमजोर कर दिया था.

 

  1. भारत छोड़ो आंदोलन

शुरुआत: 8 अगस्त 1942

मुख्य भूमिका: महात्मा गाँधी

कारण: भारत को जल्द ही आज़ादी दिलाने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा शुरू किया गया था.

8 अगस्त 1942 में गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन को शुरु किया. इसका लक्ष्य ब्रिटिश शासन से पूरी तरह आज़ादी हासिल करना था और ‘करो या मरो’ का नारा दिया. यह आंदोलन ‘अगस्त क्रान्ति’ के नाम से भी जाना जाता है.

भारत को अगस्त 1947 में शासकों, क्रांतिकारियों और उस समय के नागरिकों की कड़ी मेहनत, त्याग और निस्वार्थता के बाद स्वतंत्रता हासिल हुई.

तो ये थीं वो घटनाएं जिन्होंने भारत को स्वतंत्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.