भूगोल से संबंधित महत्वपूर्ण परीक्षापयोगी शब्दावली

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क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) – मानव निर्मित यह एक ऐसी गैस है जिसका प्रयोग रेफ्रीजरेटर , एसी आदि में किया जाता है। जब इसका सान्द्रण समताप मंडल में बढ़ता है तब यह मुक्त क्लोरीन का उत्सर्जन करता है, जिसके कारण ओजोन परत को काफी नुकसान पहुँचता है।

 

ओजोन (O3) – समताप मंडल में ओजोन 20-50 किमी. के बीच एक परत बनाकर पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती है।

 

मीथेन (CH4) – इस गैस का अधिकांश भाग जैविक स्त्रोतों से उत्पन्न होता है। चावल की खेती, कम्पोस्ट खाद के निर्माण से मीथेन गैस बनती है जो कि ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए उत्तरदायी प्रमुख गैस है।

 

गोखुर झील (Oxbow lack) – नदी की व्रद्धावस्था में जो कि नदी के विसर्प ग्रीवा के कट जाने से बनती है। ये झीले प्रायः- समतल भूमि तथा बाढ़ के मैदान की विशेषताएँ होती है।

 

ग्रीन हाउस गैस – वायुमंडल में गैसे का ऐसा समूह जो कि सूर्य की लौटती किरणों का अवशोषण अत्याधिक मात्रा में करके पृथ्वी को तेजी से गर्म करती है। IPCC तथा UNEP तहत मुख्यतः 6 गैसे उत्तरदायी है।

 

सतत् विकास – विकास की एक ऐसी प्रक्रिया, जिसमें प्राकृतिक संसाध्नों का इस प्रकार दोहन किया जाये जिससे वर्तमान अवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति में कोई कठिनाई न हो।

हिमपात – जब आकाश में वायु का तापमान त्वरित गति से गिरकर हिमांक अर्थात OoC से भी नीचे पहुँच जाता है तो वाष्प सीधे हिमकणों में बदल जाती है तथा इसके नीचे गिरने की प्रक्रिया ही हिमपात कहलाती है।

 

व्यापारिक पवन – एक स्थायी पवन जो उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायु दाब पेटी से भूमध्य रेखीय निम्न वायु दाब पेटी की ओर प्रवाहित होती है। इसकी दिशा उत्तरी गोलार्ध में उत्तर पूर्वी तथा दक्षिणी गोलार्ध में द.पू. रूप होती है।

 

पूर्ववर्ती नदी – ऐसी नदी जो वर्तमान उच्चावचीय स्वरूप के विकास के पूर्व भी विद्यमान थी और अभी भी अपने यथावत मार्ग पर ही प्रवाहित हो रही है। उदाहरण स्वरूप- सिन्धु, सतलुज, ब्रह्मपुत्रा, यमुना आदि।

 

दैनिक तापान्तर – किसी भी स्थान के किसी दिन के न्यूनतम एवं अधिकतम तापमान के अंतर को दैनिक तापान्तर कहते है।

 

ओसांक – ओसांक से तात्पर्य उस बिन्दु से है जिस पर वायु संतृप्त होकर और अधिक जलवाष्प ग्रहण करने की  क्षमता खो देती है तत्पश्चात आर्द्रता छोटी-छोटी बूदों में परिवर्तित हो जाती है।

 

चक्रवात (Cyclone) – चक्रवात अत्याधिक निम्न वायु दाब के केन्द्र होते है जिसमें हवाएँ केन्द्र की ओर गति करती है। इनकी दिशा उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की दिशा के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की दिशा की ओर होती है।.

 

आम्र वर्षा – सम्पूर्ण दक्षिणी पूर्वी एशिया तथा भारत में अप्रैल तथा मई माह में जो मानसून पूर्व वर्षा होती है, उसे आम्र वर्षा कहते है। यह आम के लिए लाभदायक होती है।

अंत-प्रवाह प्रदेश – अंत-प्रवाह प्रदेश से तात्पर्य उन क्षेत्रों से है जिन क्षेत्रों की नदियों का जल किसी खुले समुद्र आदि में न गिरकर विशाल जलाशयों में गिरता है। यूराल, नीपर, नीस्टर, डेन्यूब नदियाँ इसके प्रमुख उदाहरण है।

 

उष्मा द्वीप (Heat Island) – किसी नगर के उपरी भाग का तापमान जो अपने आसपास के अन्य क्षेत्रो से अधिक रहता है उष्मा द्वीप कहलाता है। सामान्य वितरण में यह एक विलग क्षेत्रों के रूप में परिलक्षित होता है।

 

गोडवानालैण्ड – पृथ्वी का समस्त स्थलीय भाग कार्बोनीपफेरस युग में एक पिण्ड के रूप में था। सम्पूर्ण भाग पेंजिया कहा गया है। पेंजिया के टूटने के क्रम में उत्तरी भाग को लारेशिंया जबकि दक्षिणी भाग को गोड़वानालैण्ड कहा गया है।

 

गहन कृषि – यह एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें उत्तम बीज, उर्वरक, कृषि उपकरणों के द्वारा एक ही भूमि पर एक वर्ष में कई फसलों को तैयार किया जाता है। भारत, श्रीलंका, चीन, जापान आदि देशों में गहन खेती कर प्रचलन है।

 

ग्रीनविच रेखा – शून्य अंश देशान्तर रेखा जो ग्रेट ब्रिटेन के ग्रीनविच नामक स्थान पर स्थित रायल वेधशाला से होकर गुजरती है, ग्रीनविच रेखा कहलाती है। अन्य देशान्तर रेखाओं का निर्धारण इसी रेखा से होता है।

 

चन्द्रग्रहण (Luner Eclipe) – जब पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा के मध्य होती है तथा ये तीनों एक सीधी रेखा में होते है तो ऐसी स्थिति में पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है जिससे चन्द्रग्रहण की स्थिति होती है। यह स्थित पूर्णिमा को ही आती है।

 

दोआब – दो नदियों के मध्य स्थित जलोढ़ मैदान को दोआब कहते है। यह शब्द विशेषकर दो नदियों के संगम क्षेत्र की भूमि के लिए प्रयुक्त होता है। रचना, बारी, बिस्ट आदि प्रमुख दोआब क्षेत्र है।

ध्रुवतारा (Pole Star) – ब्रह्मांड में स्थित एक ऐसा तारा जो सदैव उत्तर की ओर इंगित करता है। उत्तरी गोलार्द्ध से यह प्रत्येक स्थान से उत्तर दिशा में दिखाई देता है। यह वास्तविक उत्तर को इंगित करता है।

 

नियतवाही पवनें – नियतवाही पवनों से तात्पर्य है कि ऐसी पवन जो निरन्तर एक ही दिशा में चलें। विषुवतरेखीय पवनें, व्यापारिक पवने तथा धुर्वीय पवनें नियतवाही पवनों के उदाहरण हैं।

 

जेट स्ट्रीम – वायुमंडल में क्षोभ सीमा के आस-पास प्रवाहित होने वाली तीव्र पश्चिमी पवनों को जेट स्ट्रीम कहते है। यह 150 से 500 किमी की चैड़ाई तथा कुछ किमी की मोटाई में 50-60 नाट के वेग से चलती है।

 

भ्रंश दरार घाटी (Rift Valley) – भूतल पर हुये दरारों के कारण दो भ्रंशों के मध्य का भाग धँस जाता है, इन्हें दरार घाटी कहा जाता है। जार्डन नदी घाटी, नर्मदा, ताप्ती नदी घाटियाँ दरार घाटी की उदाहरण है।

 

निहारिका (Nebula) – ब्रह्मांड में धूल , गैस तथा घने तारों के समूह को निहारिका कहते है। हमारी आकाशगंगा में अनेक निहारिकायें है। ये अत्याधिक तापमान लगभग 6000 oC से अधिक की होती है।

 

वर्टीसाल – इस श्रेणी की मृदा वर्षा होने पर फैलती है एवं सूख जाने पर इसमें दरारे पड़ जाती है। इसमें क्ले की बहुलता होती है। उदाहरण:- काली मिट्टी।

 

खादर प्रदेश – यह नवीन जलोढ़ से निर्मित अपेक्षाकृत नीचा प्रदेश है। यहाँ नदियों के बाढ़ का पानी लगभग प्रतिवर्ष पहुँचता रहता है। यह उपजाऊ प्रदेश होता है।

 

मोनोजाइट बालू – भारत में मोनोजाइट का विश्व में सबसे बड़ा संचित भंडार है। यह केरल के तट पर पाया जाता है। मोनाजाइट से थोरियम प्राप्त किया जाता है।

 

टोडा – तमिलनाडू में नीलगिरी की पहाड़ियों पर टोडा जनजाति पायी जाती है। यह जनजाति प्रमुख रूप से पशु चारण का कार्य करती है।

 

कांजीरंगा – यह असम में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। यह उद्यान एक सींग वाले गैंडे एवं हाथियों के लिए प्रसिद्ध है।

 

नार्वेस्टर – गर्मियों में अप्रैल-मई महीने में शुष्क एवं उष्ण स्थानीय पवनों के आर्द्र समुद्री पवनों के मिलने से प्रचंड स्थानीय तूफान जिनसे वर्षा तथा ओले पड़ते है। इन्हें पश्चिम बंगाल में नार्वेस्टर या काल वैशाखी कहते है।

 

अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International date line) – ग्लोब पर 180 देशान्तर के लगभग साथ-साथ काल्पनिक रूप से निर्धरित की गयी एक रेखा जो प्रशान्त महासागर के जलीय भाग से गुजरती है। इस तिथि रेखा के दोनों तरफ 24 घण्टे का अंतर होता है।

 

अश्व अंक्षाश  30 से 35 अंक्षाश वाली उच्च वायुमण्डलीय दबाव की शांत पेटी जो कि सूर्य के साथ खिसकती रहती है, अश्व अंक्षाश कहलाती है। इस भाग में प्रतिचक्रवातीय हवाएँ चलती है।

 

क्षुद्र ग्रह – मंगल तथा वृहस्पति ग्रहों के मध्य पाये जाने वाले असंख्य छोटे-छोटे तारासमूहों को क्षुद्र ग्रह कहते है। ये ग्रहअन्य ग्रहों की तरह ही सूर्य की परिक्रमा करते है।

 

अल नीनो (El Nino) – अल नीनो पूर्वी प्रशांत महासागर में पेरू के तट से उत्तर से दक्षिण की दिशा में प्रवाहित होने वाली गर्म समुद्री धरा है जो हम्बोल्ट धरा को प्रतिस्थापित करके 30 से 36 दक्षिण अंक्षाश के मध्य बहती है। अल नीनो के कारण सागर में स्थित मछलियों के आधरभूत आहार प्लैंकटन की कमी के कारण मछलियाँ मरने लगती है। ये धारा मानसून को भी प्रभावित करती है।

 

अवरोही पवन – ऐसी पवनें जो रात्रि में ठण्डी होकर पर्वतीय ढालों के नीचे घाटी की ओर प्रवाहित होती है अवरोही पवन कहलाती है। इसे पर्वतीय पवन भी कहते है।

 

आग्नेय शैल (Igneous rock) – आग्नेय शैलों का निर्माण तरल मैग्मा के शीतल तथा ठोस होने से होता है। ये शैल कठोर तथा अप्रवेश्य होते हैं तथा इनमें जीवाश्म का भी अभाव रहता है।