वॉएजर-2: सूर्य की सीमा के पार पहुंचने वाला दूसरा यान बना
इससे पहले नासा का ही वॉएजर-1 इस सीमा के पार पहुंचा था. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा के शोधकर्ताओं के मुताबिक, वॉएजर-2 आइएसएम में पहुंच गया है.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का वॉएजर-2 (Voyager 2) सूर्य की सीमा के पार पहुंचने वाला इतिहास का दूसरा अंतिरक्ष यान बन गया है. नासा के नाम एक और बहुत बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है. नासा का वॉएजर-2 यान चार दशक से लंबे सफर के बाद सौरमंडल की परिधि के बाहर पहुंचने वाला दूसरा यान बन गया है.
नासा का ही वॉएजर-1 इससे पहले इस सीमा के पार पहुंचा था. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा के शोधकर्ताओं के अनुसार, वॉएजर-2 इंटरस्टेलर मीडियम (आइएसएम) में पहुंच गया है. विज्ञान पत्रिका नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, वॉएजर-2 ने 05 नवंबर 2018 को आइएसएम में प्रवेश किया था.
आइएसएम क्या है?
सूर्य से बाहर की तरफ बहने वाली हवाओं से सौरमंडल के चारों तरफ एक बुलबुले जैसा घेरा बना हुआ है. इस घेरे को हेलियोस्फेयर तथा इसकी सीमा से बाहर के अंतरिक्ष को इंटरस्टेलर मीडियम (आइएसएम) कहा जाता है.
आइएसएम में वॉएजर-2
यह निष्कर्ष यान पर लगे प्लाज्मा वेव उपकरण से मिली प्लाज्मा घनत्व की रीडिंग के आधार पर निकाला गया है. वैज्ञानिकों ने पाया कि प्लाज्मा की बढ़ी हुई घनत्व अंतरिक्ष यान की ठंडी और उच्च प्लाज्मा घनत्व में मौजूदगी का स्पष्ट प्रमाण है. इंटरस्टेलर स्पेस एक ऐसा स्थान है जहां सौर हवाओं का गर्म और कम घनत्व वाला प्लाज्मा हमेशा बना रहता है.
वॉएजर-2 से जिस तरह के प्लाज्मा घनत्व के डाटा मिले हैं, उसी तरह के डाटा वॉएजर-1 से भी मिले थे, जब उसने आइएसएम में प्रवेश किया था. वॉएजर-1 ने साल 2012 में सूर्य की सीमा को पार किया था.
वॉएजर-2 के बारे में
• वॉएजर-2 एक अमेरिकी मानव रहित अंतरग्रहीय शोध यान है. वॉएजर-2 को 20 अगस्त 1977 को नासा द्वारा प्रक्षेपित किया गया था.
• वॉएजर-2 काफी कुछ अपने पहले वाले संस्करण यान वॉएजर-1 के समान ही था. वॉएजर-2 की चाल 57,890 किलोमीटर प्रतिघंटा है.
• दोनों यान को उद्देश्य और पथ में अंतर के साथ धरती से परे ग्रहों व अंतरिक्ष के अध्ययन के लिए लांच किया गया था. पिछले 42 साल से दोनों यान काम कर रहे हैं.
हेलियोस्फेयर क्या है?
वॉएजर-2 पर लगे उपकरणों से हेलियोस्फेयर को समझने की दिशा में अन्य कई अहम जानकारियां भी मिल रही हैं. वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यान पर लगे भिन्न-भिन्न उपकरणों से प्राप्त डेटा का आकलन कर यह निर्धारित किया कि इस मिशन ने 5 नवंबर को हेलियोस्फेयर के अंतिम छोर को पार किया है.
यह हैलियोपाउज़ नामक एक ऐसा स्थान है जहाँ कमज़ोर, गर्म सौर हवा तारों के बीच के ठंडे तथा घने माध्यम से मिलती है. इसे सौरमंडल का छोर भी कहा जाता है. सूर्य से निकलने वाली चुंबकीय रेंज एक ऐसे गैसीय वातावरण का संरचना करती है जो ग्रहों की कक्षाओं से बहुत दूर तक फैली हुई हो. यह चुंबकीय क्षेत्र ही हेलियोस्फेयर है. हेलियोस्फेयर एक लंबे वात शंकु के आकार का होता है.
भारतीय नौसेना ने मेडागास्कर में ऑपरेशन ‘वनीला’ की शुरूआत की
भारतीय दूतावास और मेडागास्कर सरकार के संयुक्त तत्वाधान में बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है. भारतीय नौसैनिक तूफान के बाद आई बाढ़ से राहत हेतु लोगों के बीच दवाएं और खाद्य सामग्री बांट रहे हैं.
भारतीय नौसेना ने 28 जनवरी 2020 को मेडागास्कर में चक्रवात से प्रभावित लोगों कि मदद हेतु ऑपरेशन वनीला की शुरूआत की है. भारतीय नौसेना ने मेडागास्कर में चक्रवात से प्रभावित लोगों को मानवीय सहायता और राहत उपलब्ध कराने हेतु इस ऑपरेशन की शुरूआत की है.
भारतीय नौसेना का ऐरावत 30 जनवरी 2020 को मेडागास्कर में पहुंच गया है. भारतीय युद्धपोत आपरेशन वनीला के अंतर्गत मेडागास्कर में मानवीय सहायता तथा प्राकृतिक आपदा मिशन चलाएगा. भारतीय नौसेना का विशाल उभयचर जहाज आपदाग्रस्त मेडागास्कर को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेगा.
वनीला ऑपरेशन क्यों शुरू किया गया? |
वनीला ऑपरेशन को चक्रवात डायने द्वारा मचाई गई तबाही के बाद मेडागास्कर के प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने हेतु शुरू किया गया है. भारतीय युद्धपोत तूफान डायने की वजह से अस्तव्यस्त जनजीवन को राहत सामग्री मुहैया करा रहा है. |
ऑपरेशन ‘वनीला’ से संबंधित मुख्य बिंदु
• भारतीय दूतावास और मेडागास्कर सरकार के संयुक्त तत्वाधान में बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है.
• रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारतीय नौसेना के जहाज वहां चिकित्सा शिविर, भोजन और पानी उपलब्ध कराने सहित अन्य राहत सामग्री लेकर रवाना हो गये हैं.
• रक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा कि स्थिति की निगरानी की जा रही है. मंत्रालय के अनुसार, भारतीय नौसेना मेडागास्कर में प्रभावित लोगों को हर आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने हेतु तैयार है.
• भारतीय युद्धपोत वनीला ऑपरेशन के अंतर्गत मेडागास्कर में मानवीय सहायता तथा प्राकृतिक आपदा मिशन चलाएगा.
• भारतीय नौसैनिक तूफान के बाद आई बाढ़ से राहत हेतु लोगों के बीच दवाएं और खाद्य सामग्री बांट रहे हैं.
मेडागास्कर के बारे में
मेडागास्कर हिंद महासागर में अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित एक द्वीपीय देश है. यह पूर्वी अफ्रीका के तट से लगभग 400 किलोमीटर दूर है. मेडागास्कर ग्रीनलैंड के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप देश है. यहाँ विश्व की पाँच प्रतिशत पादप और जीव प्रजातियाँ मौजूद हैं. मेडागास्कर का जलवायु बहुत अधिक परिवर्तनशील है. सरकारी एजेंसियों के अनुसार, भारत राष्ट्रीय आपदा के दौरान मेडागास्कर के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है.
मेडागास्कर आपदा के बारे में
मेडागास्कर में चक्रवात डायने से लगभग एक लाख लोग प्रभावित हैं. यह चक्रवात लगभग एक सप्ताह पहले आया था. इससे बड़े पैमाने भूस्खलन हुए तथा बाढ़ आ गयी है. मेडागास्कर के राष्ट्रपति एंड्री राजोइलिना ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध किये है कि वे देश को हर संभव उपाय करने में मदद करें. वनीला ऑपरेशन के अंतर्गत ऐरावत ने मानवीय सहायता और आपदा राहत मिशन शुरू कर दिया है.