Facebook, WhatsApp down दुनियाभर में ठप पड़ी फेसबुक और वाट्सएप की सेवा:-

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राष्ट्रीय न्यूज़

1.Facebook, WhatsApp down:-दुनियाभर में ठप पड़ी फेसबुक और वाट्सएप की सेवा:-

भारत समेत दुनियाभर में लोग बुधवार शाम उस समय ठिठक गए, जब अचानक फेसबुक, वाट्सएप और इंस्टाग्राम की सेवाएं अटकने लगीं। अपना अनुभव साझा करने के लिए लोगों ने ट्विटर का सहारा लिया। ट्विटर पर कई लोगों ने इस परेशानी पर चुटकी भी ली। जिस तरह से सभी लोग ट्विटर पर अपने विचार रखने जुटे, उसे देखकर एक यूजर ने लिखा, ‘सोशल मीडिया का ब्रेकडाउन होना ही दुनिया को एक करने का तरीका है।’ बुधवार को फेसबुक, वाट्सएप और इंस्टाग्राम की सेवाएं पूरी तरह बंद नहीं हुई थीं, बल्कि उनके कुछ फीचर में दिक्कत आ रही थी।भारत में लोगों को वाट्सएप पर फोटो भेजने में मुश्किल का सामना करना पड़ा। केवल टेक्स्ट मैसेज का आदान-प्रदान हो रहा था। इंस्टाग्राम पर भी लोगों ने फोटो अपलोड करने में परेशानी का सामना किया। उल्लेखनीय है कि वाट्सएप और इंस्टाग्राम भी फेसबुक के ही अधीन हैं।

2.जानें नाटो सहयोगी का दर्जा मिलने से भारत को क्‍या होगा फायदा, क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट:-

अमेरिकी सीनेट में भारत को नाटो सहयोगी का दर्जा देने वाला प्रस्‍ताव पारित होने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। इस प्रस्‍ताव के पास होने से भारत को निश्चित तौर पर फायदा होगा। इसके अलावा दोनों देशों की सामरिक भागीदारी को बढ़ावा देने में भी यह फायदेमंद साबित होगा। आपको बता दें कि ये प्रस्‍ताव पारित होने के बाद भारत का दर्जा इजरायल और दक्षिण कोरिया के समान हो जाएगा। इस बारे में दैनिक जागरण ने विदेश मामलों के जानकार और ऑब्‍जरवर रिसर्च फाउंडेश के प्रोफेसर हर्ष वी पंत से बात की और भारत को इससे होने वाले फायदे को जानने की कोशिश की। इस मसले पर प्रोफेसर पंत ने कहा कि इसका सबसे बड़ा फायदा तो यही होगा कि हम जिस तरह की रक्षा तकनीक की अपेक्षा अमेरिका से मिलने की बात करते हैं वह हमें हासिल हो सकेंगी। इस प्रस्‍ताव के पास होने से पहले जब भारत तकनीक ट्रांसफर की बात करता था तो सबसे बड़ी बाधा यही थी कि हम नाटो के सहयोगी देश नहीं थे। इसलिए अमेरिका को तकनीक देने में हमेशा झिझक बनी रहती थी। इतना ही नहीं वहां के मिलिट्री इंडस्‍ट्रीयल कांप्‍लैक्‍स को भी रक्षा तकनीक भारत को देने में परेशानी बनी रहती थी। लेकिन, अब जबकि नाटो सहयोगी का दर्जा देने का प्रस्‍ताव पास हो गया है तो ऐसी दिक्‍कत नहीं आएगी।

3.Congress President: जानिए- कौन होगा कांग्रेस का नया अध्यक्ष, अगले सप्ताह हो सकती है घोषणा:- राहुल गांधी ने भले ही ऐलान कर दिया है कि इस्तीफा देने के साथ ही वे कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नहीं रहे। मगर पार्टी ने साफ कर दिया है कि जब तक कांग्रेस कार्यसमिति राहुल का इस्तीफा मंजूर नहीं कर लेती तब तक वे अध्यक्ष बने रहेंगे। हालांकि राहुल के इस्तीफे की घोषणा से हतप्रभ पार्टी ने संकेत दिए हैं कि उनके उत्तराधिकारी की तलाश में अब ज्यादा विलंब नहीं होगा। संकेतों के अनुसार कांग्रेस के नये नेतृत्व का फैसला करने के लिए कार्यसमिति की बैठक अगले सप्ताह बुलाए जाने की प्रबल संभावना है।

पार्टी के वरिष्ठ सूत्रों ने कहा कि बेशक राहुल ने सार्वजनिक तौर पर पद छोड़ने का ऐलान कर दिया है मगर कांग्रेस पार्टी के संविधान के अनुसार कार्यसमिति जब तक इस्तीफा मंजूर नहीं कर लेती तब तक राहुल गांधी ही अध्यक्ष हैं। पार्टी संविधान के हिसाब से राहुल का इस्तीफा कार्यसमिति पहले मंजूर करेगी और फिर उसी बैठक में नये अध्यक्ष का चयन करेगी।सूत्रों ने कहा कि कार्यसमिति की बैठक के बिना सबसे वरिष्ठ महासचिव मोतीलाल वोरा को अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने की बातें अफवाह है। फिलहाल अंदरूनी हकीकत यही है कि अभी तक पार्टी का पूरा प्रयास राहुल गांधी को इस्तीफा वापस लेने के लिए राजी करने पर ही था। साथ ही ऐसा नहीं करने पर उत्तराधिकारी तय करने का जिम्मा भी पार्टी नेता राहुल पर ही डाल रहे थे और राहुल ने अपने इस्तीफे की चिठ्ठी में इसका जिक्र भी किया है। उनका कहना था कि चूंकि राहुल ने पार्टी के इन दोनों प्रयासों पर ब्रेक लगा दिया है तो नये अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया आगे बढ़ाने की हलचल अब तेज होगी। कार्यसमिति ही नया अध्यक्ष पूर्णकालिक होगा या अंतरिम इसका फैसला करेगी।

कांग्रेस के नये अध्यक्ष के लिए मजबूत चेहरे की जरूरत का इशारा कर राहुल ने वरिष्ठ नेताओं को यह संदेश दिया है कि संगठन का संचालन पर्दे के पीछे से गांधी परिवार ही कर रहा है, ऐसे चेहरे को नेतृत्व देने के वे हिमायती नहीं हैं। वैसे राहुल के इस संकेत से इतर फिलहाल गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदारों में गिना जा रहा है।साथ ही पिछली लोकसभा में पार्टी संसदीय दल के नेता रहे कर्नाटक के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे दूसरे प्रबल दावेदार हैं। शिंदे और खड़गे पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं और दोनों दलित समुदाय से आते हैं। इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी संभावित नामों में गिना जा रहा है।पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी कांग्रेस अध्यक्ष के लिए मुफीद चेहरों में शामिल हैं मगर उनकी उम्र इसमें आड़े आ रही है। वैसे गांधी परिवार से बाहर के चेहरे को नया अध्यक्ष बनाए जाने की स्थिति में चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के विकल्प पर चर्चा की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा जिन्हें देश के चारों हिस्सों के संगठन की जिम्मेदारी सौंप कांग्रेस को मजबूत करने का लक्ष्य दिया जा सके। बहरहाल राहुल के इस्तीफे पर असमंजस खत्म होने के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की अगले सप्ताह संभावित बैठक ही पार्टी के भविष्य के नेतृत्व की रूपरेखा का फैसला करेगी।

अन्तेराष्ट्रीय न्यूज़

4.जर्मनी के उर्सुला वॉन डेर लेयन ने यूरोपीय संघ आयोग का नेतृत्व करने के लिए नामांकित किया:- यूरोपीय संघ (ईयू) के नेताओं ने ब्लॉक की शीर्ष नौकरियों के लिए अपने नामांकन को आगे रखा है, पहली बार यूरोपीय आयोग प्रमुख के रूप में प्रस्तावित एक महिला के साथ।जर्मन रक्षा मंत्री उर्सुला वॉन डेर लेयन को जीन-क्लाउड जुनकर के स्थान पर पद के लिए नामित किया गया है। मुख्य फ्रंट-रनर खारिज होने के बाद नामांकन आया।उर्सुला को जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल का समर्थन प्राप्त था, लेकिन जर्मन गठबंधन के भीतर उनके नामांकन का विरोध था।अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड को यूरोपीय सेंट्रल बैंक की प्रमुख बनने वाली पहली महिला के रूप में नामित किया गया है।बेल्जियम के प्रधान मंत्री चार्ल्स मिशेल को यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क की जगह नामित किया गया है, जबकि स्पेन के विदेश मंत्री जोसेफ बोरेल को विदेश नीति प्रमुख के रूप में प्रस्तावित किया गया है।
सभी में, यूरोपीय संघ के नेताओं को शीर्ष नौकरियों के लिए पांच लोगों को नामित करने का काम सौंपा गया था। पांचवी प्रमुख भूमिका – यूरोपीय संसद के अध्यक्ष – को कल चुना जाना है। संभावित उम्मीदवारों में जर्मन सेंटर-राइट MEP मैनफ्रेड वेबर और बल्गेरियाई समाजवादी सर्गेई स्टैनिशेव शामिल हैं।
अधिकांश भूमिकाओं को संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।

खेल न्यूज़

5.1992 वर्ल्ड कप के सारे समीकरण और संयोग फेल, पाकिस्तान सेमीफाइनल की रेस से बाहर:-

ICC Cricket World Cup 2019 Semi finals: अभी तक वर्ल्ड कप 2019 पाकिस्तान के लिए 1992 के वर्ल्ड कप की तरह जा रहा था जिसे पाकिस्तान ने जीता था। वर्ल्ड कप 2019 में पाकिस्तान ने खेले अब तक 8 मुकाबलों का नतीजा ठीक वैसा ही था जैसे इमरान खान की कप्तानी में पाकिस्तानी टीम का साल 1992 के वर्ल्ड कप में ऐसा था।1992 के वर्ल्ड कप के समीकरण और संयोग को लेकर पाकिस्तान दम भर रहा था कि वो इस बार वर्ल्ड कप जीत जाएगा लेकिन बुधवार की रात पाकिस्तान के लिए दुखद रही क्योंकि पाकिस्तान की टीम सेमीफाइनल की रेस से बाहर हो गई। पाकिस्तान के पास सेमीफाइनल में पहुंचने का मौका तो है लेकिन पाकिस्तान क्या किसी भी टीम के लिए उस तरह की क्रिकेट खेलना नामुमकिन है।

1992 वर्ल्ड कप का संयोग 

इमरान खान की कप्तानी में पाकिस्तान ने राउंड रोबिन फॉर्मेट में खेले गए वर्ल्ड कप को जीता था। पाकिस्तान ने 27 साल पहले वर्ल्ड कप 1992 के नतीजे जैसे थे वैसे ही नतीजे इस बार थे लेकिन साल 1992 में आखिरी बार सेमीफाइनल खेलने वाली इंग्लैंड की टीम ने इसको ध्वस्त कर पाकिस्तान के सेमीफाइनल में पहुंचने के उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया। हैरान करने वाली बात ये है कि साल 1992 में वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल खेलने वाली इंग्लैंड ने पाकिस्तान के सारे समीकरण बिगाड़ दिए हैं। ऐसे में बांग्लादेश के खिलाफ शुक्रवार को होने वाले मुकाबले के लिए अब पाकिस्तान के हाथ में कुछ भी नहीं है। अब वर्ल्ड कप 2019 पाकिस्तान के संयोग के हिसाब से आगे जाएगा भी नहीं 1992 में बांग्लादेश की टीम ही नहीं थी, जिससे कि संयोग बने कि ऐसे पाकिस्तान सेमीफाइनल में पहुंचेगा।

वर्ल्ड कप 1992 के पहले 7 मैच में पाकिस्तान का हाल- हार, जीत, बेनतीजा, हार, हार, जीत, जीत, जीत

वर्ल्ड कप 2019 के पहले 7 मैच में पाकिस्तान का हाल- हार, जीत, बेनतीजा, हार, हार, जीत, जीत, जीत

बाज़ार न्यूज़

6.मोदी सरकार ने बढ़ाई खरीब की 14 फसलों की MSP, करोड़ों किसानों को होगा फायदा:-

मोदी सरकार 2.0 ने बुधवार को 14 खरीब फसलों का न्यूनतम खरीद मूल्य बढ़ाने का फैसला लिया है। मोदी सरकार के इस फैसले से देश के करोड़ों किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर बताया कि धान की एमएसपी 65 रुपये प्रति क्विंटल और कपास की एमएसपी 105 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाई गई है। हरसिमरत कौर बादल ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने किसानों से वादा निभाते हुए और कृषि संकट से निपटने के लिए धान की एमएसपी में 65 रुपये और कपास की एमएसपी में 105 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की। यह फैसला लागत पर 50% लाभ सुनिश्चित करने के लिए एनडीए के संकल्प के अनुरूप है। इस बढ़ोतरी से 2022 तक कृषि आय को दोगुना करने के पीएम के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।’केंद्रीय कैबिनेट ने जिन 14 खरीब की फसलों की एमएसपी बढ़ाने की घोषणा की है, उनमें धान, कपास, अरहर दाल, तिल, उड़द दाल, सूरजमुखी और सोयाबीन भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार सोयाबीन की कीमत में 311 रुपये प्रति क्विंटल, सूरजमुखी की कीमत में 262 रुपए क्विंटल, तूर दाल की कीमत में 125 रुपए प्रति क्विंटल, उड़द दाल में 100 रुपए प्रति क्विंटल और तिल की कीमत में 236 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है।

7.बजट 2019: जेवर, FD और बैंक डिपॉजिट जैसी पुश्तैनी संपत्तियों पर भी लागू हो सकता है टैक्स:-

केंद्र सरकार इस बार के बजट में एक बड़ा फैसला कर सकती है। इनहेरिटेंस टैक्स के माध्यम से जेवर, सावधि जमा (एफडी) या बैंक डिपॉजिट के रूप में मिली पुश्तैनी संपत्तियों को टैक्स के दायरे में लाया जा सकता है। न्यूज एजेंसी आइएएनएस के सूत्रों के मुताबिक सरकार इसे टैक्स से हासिल आय बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि धन संचय की प्रवृत्ति खत्म करने और कालाधन पर लगाम लगाने की कोशिशों के तौर पर पेश कर सकती है।वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि यह सरकार जनता की भलाई के लिए जानी जाती है। इस समय इनहेरिटेंस टैक्स लगाने का बेहतर मौका है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि लोग सरकार-अनुमोदित संस्थाओं और ट्रस्ट को दान देकर इस टैक्स से मुक्ति पा सकते हैं। ऐसे में संस्थाओं और ट्रस्टों को दिए गए दान से आम जनता का ही भला होगा, क्योंकि यह रकम उनकी भलाई के कामों में लगाई जाएगी। जीएसटी संग्रह के हालिया आंकड़े सरकार के लिए बहुत उत्साहजनक नहीं रहे हैं। ऐसे में सरकार के सामने राजस्व ब़ढ़ाने की कड़ी चुनौती है। इसी से निपटने के लिए नए तरह के टैक्स लगाने पर विचार किया जा रहा है।

क्यों मुश्किल है ऐसा टैक्स लगाना 

यदि सरकार वाकई पैतृक संपत्ति पर टैक्स लगाती है तो हो सकता है कि कुछ लोग इससे बचने के लिए दूसरे देशों का रुख कर लें। इस लिहाज से इनहेरिटेंस टैक्स लागू करना बड़ी चुनौती साबित होगी। कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि भारत जैसे देश में जिनके पास पैतृक संपत्ति है, हो सकता है कि उनके पास टैक्स जमा करने के लिए पैसे ही न हों। ऐसे में टैक्स जमा करने के लिए संपत्ति बेचनी पड़ सकती है। हालांकि, इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि अमीरों पर टैक्स लगाना मुश्किल है, लेकिन इसे लागू करना आसान है। यह भी संभव है कि लोग अपनी संपत्ति पर टैक्स भुगतान से बचने के लिए उसे ट्रस्टों के तहत ले आएं।