विलफुल डिफॉल्टर

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इन दिनों सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक PNB और IDBI बैंक घोटालों और विल्फुल डिफ़ॉल्टरों की गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं. यह भारत सरकार के साथ-साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के लिए बड़ी चिंता का विषय है.

भारतीय बैंकिंग प्रणाली की कमजोर सरकारी नीतियों और कम पारदर्शिता के कारण, इन चूककर्ताओं को आगाह करना और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है.

 

विलफुल डिफॉल्टर –

RBI यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है कि विल्फुल डिफ़ॉल्ट बैंकिंग प्रणाली के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न डाल पाए. विल्फुल डिफ़ॉल्ट के खिलाफ उपायों की शुरुआत 1999 में शुरू हुई, जब केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने 25 लाख रुपये या उससे अधिक राशि की धांधलेबाजी के बारे में जानकारी एकत्र करने के निर्देश दिए थे.

तब से, RBI ने बैंकों और अधिसूचित वित्तीय संस्थानों को विल्फुल डिफ़ॉल्टरों के बारे में जानकारी एकत्रित करने को कहा है. विल्फुल डिफ़ॉल्टरों की पहचान में और उनके खिलाफ शुरू की जाने वाली प्रक्रियाओं में कई संशोधन किए गए. हाल ही में, बैंकिंग प्रणाली बढ़ते एनपीए के साथ, विल्फुल डिफ़ॉल्टरों का मामले बढ़ रहे है.

 

एक  विल्फुल डिफ़ॉल्टर कौन है? –

आसान शब्दों में एक विल्फुल डिफ़ॉल्टर वह व्यक्ति है जो जान-बुझकर लिया गया ऋण वापस लौटाने नहीं चाहता है. एक  विल्फुल डिफ़ॉल्टर एक इकाई या एक व्यक्ति हो सकता है जो है जो ऋण भरने के योग्य होने के बावजूद भी अपने ऋण का भुगतान नहीं करता.

 

विल्फुल डिफ़ॉल्ट के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र –

भारतीय रिज़र्व बैंक के नियमों के अनुसार, विल्फुल डिफ़ॉल्ट का क्षेत्र व्यापक है: पर्याप्त नकदी प्रवाह और अच्छी नेटवर्थ के बावजूद बकाया राशि का भुगतान न करना, डिफ़ॉल्ट यूनिट की हानि के लिए फंड को बंद करना, संपत्ति, और आय का दुरुपयोग करना; रिकॉर्ड का गलत प्रस्तुतीकरण / मिथ्याकरण; बैंक को जानकारी के बिना प्रतिभूतियों का निपटान/ हटाना; उधारकर्ता द्वारा छलपूर्ण लेनदेन.

 

विल्फुल डिफ़ॉल्ट क्या है? –

यद्यपि विल्फुल डिफ़ॉल्ट में उपरोक्त वर्णित व्यापक क्षेत्रों को शामिल किया गया है, परन्तु इसका प्रमुख उदाहरण ऋण का भुगतान करने की क्षमता के बावजूद ऋण का भुगतान नहीं करना  है. इसलिए, यह ऋण की गैर-चुकौती की भावना को विल्फुल डिफ़ॉल्ट के लिए गंभीरता से परिभाषित किया गया है.

 

निम्नलिखित घटनाओं में से किसी कभी भी उल्लेख किया जाता है, तो एक ‘विलुप्त डिफ़ॉल्ट’ माना जाएगा –

(a) यूनिट ने अपने भुगतान / चुकौती दायित्वों को ऋणदाता को पूरा करने में चूक की हो, भले ही उसमें चुकाने की क्षमता हो.

(b) यूनिट ने ऋणदाता को अपने भुगतान/ चुकौती दायित्वों को पूरा करने में चूक की है और जिस विशिष्ट उद्देश्यों के लिए ऋणदाता से वित्त लिया था, का उपयोग नहीं किया है, उसके बदले में धन का प्रयोग अन्य कार्यो में किया हो.

(c) यूनिट ने ऋणदाता को अपने भुगतान/ चुकौती दायित्वों को पूरा करने में चूक की है और और धन का दुरूपयोग किया है को बंद कर दिया है, इसलिए धन का प्रयोग विशिष्ट प्रयोजन के लिए नहीं हुआ है जिसके लिए धन ऋणदाता से लिया गया था, न ही अन्य संपत्ति के रूप में यूनिट के पास उपलब्ध धनराशि हैं.

(d) यूनिट ने ऋणदाता को अपने भुगतान/ चुकौती दायित्वों को पूरा करने में चूक की है और बैंक/ ऋणदाता की जानकारी के बिना और अचल संपत्ति जोकि टर्म लोन की सिक्यूरिटी के उद्देश्य से दिया गया था,  का निपटारा किया गया है.

 

भारतीय रिज़र्व बैंक के नियमों के अनुसार, उधारकर्ताओं के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए विल्फुल डिफ़ॉल्ट की पहचान की जानी चाहिए और पृथक लेनदेन / घटनाओं के आधार पर निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए. डिफ़ॉल्ट का वर्गीकारण जानबूझकर, इच्छानुरूप और गणना के रूप में की जानी चाहिए.

 

बैंक के विल्फुल डिफ़ॉल्टर से संबंधित हालिया समाचार –

सीबीआई एक घोटाले की जांच कर रही है जिसमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के आदिलाबाद जिले के 360 किसानों और अन्य लोगों ने धोखाधड़ी के दो उदाहरणों में भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) से 540 करोड़ रुपये का ऋण  लिया था.

विल्फुल डिफाल्टर की संख्या, जिन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को ऋण देने की क्षमता के बावजूद ऋण नहीं चुकाया, दिसंबर 2017 के अंत तक 9,063 तक पहुंच गयी थी.

ऐसे समय में जब पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) फरवरी 2015 में फरार विल्फुल डिफाल्टर नीरव मोदी के साथ जूझ रहा है, जिसमे 14,594 करोड़ रुपये के विल्फुल डिफ़ॉल्टर की सूची में शामिल है.

जनवरी के 2018 के अंत  तक इस सूची में 1,085 विल्फुल डिफाल्टर की कुल संख्या 25 लाख से अधिक है. यह एक साल पहले की अवधि से 17 प्रतिशत अधिक है.

देश के सबसे बड़े ऋणदाता एसबीआई, का सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बकाया राशि का 27% से अधिक है. 31 मार्च 2017 तक एसबीआई के 1,762 विल्फुल डिफाल्टर के पास  25,104 करोड़ रुपये बकाया है.