अनुसूचित और गैर-अनुसूचित बैंकों के बीच अंतर

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भारतीय रिजर्व बैंक, देश में सबसे बड़ी मौद्रिक संस्था है. यह भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए नियम और दिशा-निर्देश जारी करती है. भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी.
अनुसूचित बैंकों की परिभाषा (Definition of Scheduled Banks):
भारत के बैंकिंग क्षेत्र को मुख्य रूप से दो प्रमुख समूहों अर्थात अनुसूचित और गैर अनुसूचित बैंकों में विभाजित किया जा सकता है. जिन बैंकों को आरबीआई अधिनियम,1934 की द्वितीय अनुसूची में शामिल किया गया है, उनको अनुसूचित बैंक कहा जाता है. रिजर्व बैंक इस अनुसूची में केवल उन बैंकों को ही शामिल करता है जो, उपर्युक्त अधिनियम की धारा 42(6) (क) के मानदंडों का अक्षरशः पालन करते हों.

अनुसूचित बैंकों की श्रेणी में शामिल बैंकों को दो अन्य शर्तों को भी पूरा करना चाहिए; –
1. अनुसूचित बैंकों की भुगतान पूंजी और एकत्रित पूँजी 5 लाख रुपये से कम नहीं होना चाहिए.
2. अनुसूचित बैंकों की कोई भी गतिविधि जमाकर्ताओं के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगी.
अनुसूचित बैंकों के उदाहरण हैं: भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को उनके स्वामित्व / संचालन की प्रकृति के अनुसार 5 अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत किया गया है.
ये बैंक समूह हैं:
(i)  भारतीय स्टेट बैंक
(ii) राष्ट्रीयकृत बैंक,
(iii) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
(iv) विदेशी बैंक
(v) अन्य भारतीय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (निजी क्षेत्र)
प्रत्येक अनुसूचित बैंक निम्नलिखित सुविधाओं का लाभ उठाते हैं; –

  1. अनुसूचित बैंक, आरबीआई से “बैंक दर” पर ऋण प्राप्त करने के लिए पात्र हैं.
  2. अनुसूचित बैंक, स्वयं ही “समाशोधन घर” (clearing house) की सदस्यता प्राप्त कर लेते हैं.
  3. अनुसूचित बैंकों को रिज़र्व बैंक से प्रथम श्रेणी के बट्टों को भुनाने की सुविधा मिल जाती है. इन बैंकों के यह सुविधा तभी दी जाती है जब अनुसूचित बैंक रोज रिज़र्व बैंक के पास एक तय रकम जमा करते हैं, और कितनी रकम जमा करनी है इसका निर्धारण भी RBI ही करती है.
    गैर- अनुसूचित बैंकों की परिभाषा: (Definition of Non-Scheduled Banks):
    जिन बैंकों को आरबीआई अधिनियम,1934 की द्वितीय अनुसूची में शामिल नही किया गया है, उनको गैर- अनुसूचित बैंक कहा जाता है. वर्तमान में देश में ऐसे केवल तीन बैंक हैं.
    गैर अनुसूचित बैंकों कोनकद आरक्षी अनुपात (CRR) नियमों का पालन करना होगा. इन बैंकों को यह सुविधा दी गयी है कि वे CRR की रकम को RBI के पास जमा ना करके अपने पास रख सकते हैं.
    गैर-अनुसूचित बैंक; RBI से दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के लिए ऋण लेने के योग्य नहीं हैं हालाँकि आपातकालीन स्थितियों के तहत आरबीआई उन्हें ऋण दे सकता है.
    उदाहरण: इसमें को-आपरेटिव बैंकों को शामिल किया जाता है जो कि तीन श्रेणियों (राज्य स्तर पर, जिला स्तर पर और प्राइमरी स्तर) पर फैले होते हैं.

 

अनुसूचित बैंकों और गैर-अनुसूचित बैंकों के बीच महत्वपूर्ण अंतर
1. अनुसूचित बैंक, RBI द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करते हैं, जबकि गैर-अनुसूचित बैंक RBI द्वारा बनाए गए नियमों का पालन नहीं करते हैं.

  1. अनुसूचित बैंक; भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम,1934 की दूसरी अनुसूची में शामिल होने के पात्र हैं, जबकि गैर अनुसूचित बैंक दूसरी अनुसूची में शामिल नहीं किये जाते हैं.
  2. अनुसूचित बैंकों को RBI से दिन प्रति-दिन की बैंकिंग गतिविधियों के लिए धन उधार लेने की अनुमति हैजबकि गैर-अनुसूचित बैंकों को अनुमति नहीं है.
  3. अनुसूचित बैंक “क्लीयरिंग हाउस”का सदस्य बन सकते हैं जबकि गैर-अनुसूचित बैंक सदस्य नहीं बन सकते हैं.
  4. अनुसूचित बैंकों और गैर-अनुसूचित बैंकों दोनों को “नकद आरक्षी अनुपात”के नियमों का पालन करने की जरुरत है. अनुसूचित बैंकों को CRR की रकम को RBI के पास जमा करना जरूरी है जबकि गैर-अनुसूचित बैंकों के लिए ऐसी कोई बाध्यता नही है. गैर-अनुसूचित बैंक इस राशि को अपने पास जमा रख सकते हैं.
  5. अनुसूचित बैंक जमाकर्ताओं के हितों की परवाह करते हैं जबकि गैर-अनुसूचित बैंक ऐसा नहीं करते हैं क्योंकि वे आरबीआई के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं.