ऑस्ट्रिया के डोमेनिकथियेम ने स्विटजरलैंड के रोजर फेडरर को हराकर इंडियन वेल्स मास्टर्स टेनिस का खिताब जीता

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राष्ट्रीय न्यूज़:-

1.आयुर्वेद के डॉक्टर से सीएम तक का सफर, जानिए गोवा के नए सीएम प्रमोद सावंत के बारे में सब कुछ:-

गोवा विधानसभा के स्पीकर प्रमोद सावंत मनोहर पर्रीकर के स्थान पर राज्य के नए मुख्यमंत्री बनाए गए। उन्होंने देर रात 2 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सावंत के अलावा गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के विजय सरदेसाई और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के सुदीन धवलीकर को डिप्टी सीएम बनाया गया है।

आयुर्वेद के डॉक्टर भी हैं प्रमोद सावंत

डॉ. प्रमोद सावंत (45) का जन्म 24 अप्रैल, 1973 को हुआ। सैंकलिम विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आए डॉ. प्रमोद सावंत का पूरा नाम डॉ. प्रमोद पांडुरंग सावंत है। उनकी मां पद्मिनी सावंत और पिता पांडुरंग सावंत हैं। प्रमोद सावंत ने आयुर्वेदिक चिकित्सा में महाराष्ट्र के कोल्हापुर की गंगा एजुकेशन सोसायटी से ग्रेजुएशन किया था। इसके बाद उन्होंने सोशल वर्क में पोस्ट ग्रेजुएशन पुणे की तिलक महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी से किया। 

प्रमोद सावंत किसान और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के प्रेक्टिशनर हैं। प्रमोद सावंत की पत्नी सुलक्षणा केमिस्ट्री की शिक्षिका हैं। वह बीकोलिम के श्री शांतादुर्गा हायर सेकेंडरी स्कूल में अध्यापन करती हैं। इसके साथ ही सुलक्षणा सावंत भाजपा नेत्री हैं। वह भाजपा महिला मोर्चा की गोवा इकाई की अध्यक्ष हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में डॉ. प्रमोद सावंत ने 10,058 वोट हासिल करके कांग्रेस के धर्मेश प्रभुदास सगलानी को मात दी थी। उन्होंने सगलानी से 32 फीसद अधिक वोट हासिल किए थे। 2012 के चुनाव में प्रमोद सावंत ने कांग्रेस के प्रताप गौंस को हराया था। तब सावंत को 14,255 वोट मिले थे।

मुख्यमंत्री पद के लिए चुने जाने के बाद प्रमोद सावंत ने कहा कि पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। जो भी जिम्मेदारी मिली उसे वह अच्छी तरह से निभाएंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें दिवंगत पर्रीकर के साथ काम करने का मौका और उनका आशीर्वाद मिला है।

2.विश्वविद्यालय और कालेजों में खुलेंगे महिलाओं से जुड़े दस हजार अध्ययन केंद्र:-

महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालय और कालेजों में महिलाओं के लिए एक अध्ययन सेंटर खोलने का फैसला लिया है। जहां महिलाओं को आगे बढ़ाने वाले नए- नए कोर्स शुरु होंगे। ताकि वह आगे चलकर आत्मनिर्भर बन सके। ऐसे सेंटरों को स्थापित करने वाले विवि और कालेजों को हर साल अतिरिक्त वित्तीय मदद भी दी जाएगी।

यूजीसी ने इसे लेकर एक गाइड लाइन भी जारी की है, जिसके तहत महिला सेंटर चलाने वाले विवि को हर साल 35 लाख रुपए और कालेज को 25 लाख रुपए की अतिरिक्त मदद दी जाएगी। यूजीसी से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक योजना के तहत फिलहाल देश भर में दस हजार ऐसे महिला अध्ययन केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही ऐसे विवि और कालेजों की पहचान भी की गई है, जो इसे लेकर अच्छा काम कर सकते है।

गाइड लाइन के तहत अध्ययन केंद्रों का मुख्य फोकस वंचित महिलाओं को आगे बढ़ाने का होगा। इनमें दिव्यांग, बेघर, अशिक्षित, बीमार और बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल होंगी। इसके अलावा वह इन सभी के उत्थान को लेकर एक खास कोर्स भी तैयार करेंगे। ऐसी महिलाओं को रोजगार से जुड़ी गतिविधियों से जोड़ने की दिशा में भी काम किया जाएगा। इनमें इन्हें लोन भी दिलाने में मदद दी जाएगी।

इस तरह संचालित होंगे अध्ययन केंद्र

विश्वविद्यालयों में खोले जाने वाले महिला अध्ययन केंद्रों के मुखिया कुलपति होंगे। जबकि इसकी संचालन कमेटी में बतौर सदस्य राज्य सरकार की कोई एक महिला मंत्री, महिलाओं के विकास के लिए काम करने वाली दो प्रमुख संस्थाओं के प्रतिनिधि, दो प्रोफेसर, महिला स्टडी में रुचि रखने वाली दो महिला विशेषज्ञ और एक इंचार्ज अधिकारी भी होगा।

इसी तरह कालेज स्तर पर स्थापित होने वाले केंद्र के मुखिया कालेज के प्रिंसिपल होंगे। जबकि इसके अलावा इस टीम में महिला संस्थानों के दो प्रतिनिधि और कोई दो शिक्षक होंगे। कुल मिलाकर संचालन समिति में आठ से अधिक सदस्य नहीं होंगे। केंद्र का संचालन इसी कमेटी के जिम्मे होगा।

संस्थानों में शोध से जुड़े भी होंगे काम

संस्थानों में इसके अलावा महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर शोध भी होंगे। साथ ही ऐसी योजनाओं की रूपरेखा भी खींची जाएगी, जिससे समाज में विकास की मुख्य धारा से पीछे इन महिलाओं को आगे बढ़ाया जा सके। इस पूरी मुहिम का लक्ष्य जेंडर गैप को भी कम करना है। गाइड लाइन में प्रत्येक सेंटर में शोध के लिए एक खास बजट तय होगा।
बाज़ार न्यूज़:-

3.PPF बनाम सुकन्या समृद्धि अकाउंट, जान लें दोनों के बीच 5 अंतर:-

मार्च महीने के दौरान काफी सारे लोग टैक्स बचाने वाले निवेश विकल्पों की तलाश में जुट जाते हैं। नौकरीपेशा लोगों के लिए अपने ऑफिस में निवेश से जुड़े दस्तावेजों को जमा कराने की आखिरी तारीख 31 मार्च निर्धारित है। इसके बाद जो भी अतिरिक्त टैक्स कटौती होगी उसे वो आईटीआर में ही रिफंड के रुप में वापस पा पाएंगे।

करदाता इस दौरान टैक्स बचाने वाले निवेश विकल्पों का रुख कर सकते हैं जैसे कि पीपीएफ, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस), सुकन्या समृद्धि अकाउंट, नेशनल पेंशन स्कीम, अटल पेंशन योजना, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) और टैक्स सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी)। आप इन निवेश विकल्पों को चुनकर आखिरी मिनटों में टैक्स बचाने के लिए की जाने वाली हड़बड़ाहट से बच सकते हैं। इन निवेश विकल्पों के इस्तेमाल से आप एक वित्त वर्ष के दौरान आयकर की धारा 80C के अंतर्गत 1.50 लाख रुपये तक की टैक्स छूट की बचत कर सकते हैं।

इन सभी में सुकन्या समृद्धि अकाउंट और पीपीएफ दो बेहतर विकल्प हैं जो कि ईईई कैटेगरी में आते हैं। यानी इनमें किया गया निवेश, मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि तीनों करमुक्त होती हैं। हम अपनी इस खबर में इन्हीं दोनों विकल्पों के बीच के कुछ प्रमुख अंतरों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

योग्यता: देश के हर नागरिक को पीपीएफ अकाउंट खुलवाने का अधिकार है। वह खुद के नाम पर भी यह खाता खुलवा सकता है और नाबालिग के नाम पर भी। वहीं सुकन्या समृद्धि अकाउंट सिर्फ योग्य बच्ची के लिए ही खुलवाया जा सकता है। एक व्यक्ति सिर्फ एक ही पीपीएफ खाता खुलवा सकता है जबकि लड़की के अभिभावक अपनी दो बेटियों के नाम पर खाता खुलवा सकते हैं जिनकी उम्र 10 वर्ष से कम हो। सुकन्या में अधिकतम तीन खाते खुलवाए जा सकते हैं। हालांकि यह उसी सूरत में होगा जब फर्स्ट बॉर्न या सेकेंड बॉर्न चाइल्ड ट्विन्स हों।

ब्याज दर: सरकार की ओर से तय दिशानिर्देश के मुताबिक पीपीएफ पर 8 फीसद की ब्याज दर निर्धारित है, जबकि सुकन्या समृद्धि अकाउंट में जमा पर 8.5 फीसद की दर से ब्याज मिलता है।

जमा: पीपीएफ खाते में न्यूनतम 500 रुपये का निवेश किया जा सकता है, जबकि सुकन्या में 250 रुपये का न्यूनतम निवेश किया जा सकता है। इन दोनों में ही किया जाने वाला निवेश 12 किश्तों में किया जा सकता है। इन दोनों में ही एक साल के भीतर अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है।

लॉक इन पीरियड: पीपीएफ का लॉक इन पीरियड 15 वर्षों का होता है, जबकि सुकन्या समृद्धि अकाउंट का लॉक इन पीरियड 21 वर्ष है। सुकन्या समृद्धि अकाउंट को कुछ विशेष सूरतों में बंद कराया जा सकता है जैसे कि शादी या नागरिकता बदलना।

निकासी: सुकन्या अकाउंट के कॉर्पस को 21 वर्ष के बाद और पीपीएफ के कॉर्पस को 15 वर्ष के बाद निकाला जा सकता है। हालांकि पीपीएफ खाते के 6 वर्ष पूरे हो जाने के बाद खाता धारकों को 50 फीसद राशि की निकासी की इजाजत मिलती है। वहीं सुकन्या समृद्धि अकाउंट में गर्ल चाइल्ड को 18 वर्ष का पूरा होने के बाद ही पढ़ाई और शादी के उद्देश्य से निकासी की अनुमति मिलती है।

खेल न्यूज़:-

4.ऑस्ट्रिया के डोमेनिकथियेम ने स्विटजरलैंड के रोजर फेडरर को हराकर इंडियन वेल्स मास्टर्स टेनिस का खिताब जीता।:-

टेनिस में ऑस्ट्रिया के डोमेनिकथियेम ने स्विटजरलैंड के रोजर फेडरर को हराकर इंडियन वेल्स मास्टर्स टेनिस का खिताब जीत लिया है। वे इस प्रतियोगिता में तीसरी बार फाइनल में पहुंचे थे। थिएम ए.टी.पी.मास्टर्स-1000 क्लब में पहुंचने वाले ऑस्ट्रिया के पहले खिलाड़ी भी बन गए हैं।