भारत का राष्ट्रीय ध्वजः तथ्यों पर एक नजर

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“राष्ट्रीय ध्वज” किसी भी देश की आज़ादी और संप्रभुता का प्रतीक होता हैं| भारत बहुजनो का देश है जैसे हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई यहूदी, पारसी, और अन्य जाति और जनजाति जिनको ये राष्ट्रीय ध्वज एक सूत्रों में बांधने का काम करता है | भारत का राष्ट्रिय ध्वज भारत के लोगो के साथ-साथ स्वतंत्रता के लिए भारत के लंबे संघर्ष का भी प्रतिनिधित्व करता है| प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था “एक ध्वज/ झंडा न सिर्फ हमारी स्वतंत्रता बल्कि सभी लोगों की स्वतंत्रता का प्रतीक है।” भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पिंगली वेंकय्या द्वारा डिजाइन किया गया था जिसको भारत की संविधान सभा ने 22 जुलाई,1947 को अपनाया था।

लेकिन क्या आप जानते हैं की किस – किस प्रकार की यात्रा के बाद हमारे राष्ट्रिये ध्वज तिरंगे को अंगीकरण किया गया था |

इस ध्वज का ध्वजारोहण 7 अगस्त 1906 में, भारत की एकता और अखंडता के लिए किया गया था|

  • 1907में एक और ध्वज को मैडम भीकाजी कामा, विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) और श्यामजी कृष्णवर्मा द्वारा डिजाइन किया गया था|

यह पहला ध्वज था जिसको विदेशी सरजमीं पर फहराया गया था| यह ध्वज सर्वोच्च ग्रीन होने के नाते बीच में स्वर्ण केसर और नीचे लाल रंग शामिल थे।

  • 1917में बाल गंगाधर तिलक ने एक ध्वज को बनया जिसके शीर्ष पर यूनियन जैक था। ध्वज में पांच लाल और हरे रंग के चार स्ट्रिप्स निहित थी ।

इसमें सप्तऋषि ‘नक्षत्र की आकृति भी थी जो कि हिंदुओं के लिए पवित्र मानी जाती है। पर इस ध्वज को आम जनता के बीच लोकप्रियता हासिल नहीं हुई ।

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  • 1921में गांधीजी के आग्रह से एक और ध्वज को डिज़ाइन किया गया, जिसमे शीर्ष पर तो सफेद, फिर हरा रंग और नीचे में लाल था। सफेद रंग भारत का, हरा मुसलमानों के अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतीक है और लाल हिंदू और सिख समुदायों का प्रतिनिधित्व करता था । चरखा इन समुदायों के एकीकरण का प्रतीक के तौर पर तैयार किया गया था। इस ध्वज की तर्ज पर आयरलैंड का ध्वज भी डिज़ाइन किया गया था क्युकि वह भी अपनी स्वतंत्रता पाने के लिए ब्रिटेन से संघर्ष कर रहा था। कांग्रेस कमेटी इसको आधिकारिक ध्वज के रूप में अपनाने के लिए ही नहीं बल्कि व्यापक रूप से भारत की आजादी की लड़ाई में राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में इसको इस्तेमाल कर रही थी ।
  • 1931में एक और ध्वज को डिज़ाइन किया गया था जिसमे केसरिया का प्रयोग किया गया है जो हिन्दू और मुस्लिम दोनों के प्रतीक है जैसे की हिंदू योगियों के साथ ही मुस्लिम दरवेश के रंग केसरिया|
  • अंततः1947में एक समिति राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में भारत के राष्ट्रीय ध्वज का चयन करने के लिए गठित की गई थी। समिति स्वतंत्र भारत के ध्वज के रूप में , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झंडे को अपनाने का फैसला उपयुक्त संशोधनों के साथ- साथ 1931 के ध्वज को भारतीय ध्वज के रूप में अपनाया गया, लेकिन बीच में चरखाकी जगह चक्र‘ (पहिया)द्वारा बदल दिया गया और इस प्रकार हमारा राष्ट्रीय ध्वज अस्तित्व में आया।

 

राष्ट्रीय ध्वज के तथ्यों पर एक नजर :-

  1. राष्ट्रीय ध्वज, तीन क्षैतिज रंगों का ध्वज है। इसमें सबसे ऊपर गहरा केसरिया रंग, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी है।
  2. ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 है।

III. केसरिया रंग साहस, बलिदान और त्याग को बताता है। सफेद रंग सच्चाई और विचारों की पवित्रता एवं गहरा हरा रंग जीवन की समृद्धि का प्रतीक है।

  1. सफेद पट्टी के मध्य में एक ‘चक्रहै जो की प्रगति और गतिशीलता का प्रतीक है।यह अशोक चक्र से लिया गया है जो कि नीले रंग का पहिया है जिसमे 24 तीलियां हैं। इस चक्र का व्यास, ध्वज की सफेद पट्टी की चौड़ाई के तीन-चौथाई के लगभग है।
  2. कानूनी तौर पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज खादी से बनाया जाना चाहिए।राष्ट्रीय ध्वज, खादी सूत या सिल्क के धागों से बुना विशेष प्रकार का कपड़ा होता है जिसे महात्मा गांधी ने लोकप्रिय बनाया था।
  3. सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में संविधान के अनुच्छेद 19 (i) (ए)के तहत ध्वज फहराने के अधिकार को मौलिक अधिकारके रूप में घोषित किया था।

VII. भारत के राष्ट्रीय ध्वज को बनाने का अधिकार खादी विकास एवं ग्रामोद्योग आयोग को है, जो इस काम को क्षेत्रीय समूहों को आवंटित करता है।

 

  • भारतीय ध्वज को दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी, माउंट एवरेस्ट पर29 मई, 1958को फहराया गया था।
  • भारतीय राष्ट्रीय ध्वज1984में अंतरिक्ष में भी फहराया गया था, जब विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए थे । यह झंडा राकेश शर्मा के अंतरिक्ष सूट पर एक पदक के रूप में भी जुड़ा था

 

जाने राष्ट्रीय ध्वज के आचार संहिता के बारे में :

राष्ट्रीय प्रतीक होने के नाते सभी भारतीय इसका सम्मान करते हैं। भारतीय ध्वज के बारे में आम जनता के लिए कुछ निर्देश जारी किए गए  हैः

  • जब राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जाए तोकेसरिया रंग शीर्ष पर हो।
  • राष्ट्रीय ध्वज के उपर या उसकी दाईं तरफकोई भी अन्य ध्वज या प्रतीक न रखा जाए।
  • सभी अन्य ध्वज, यदि वे एक रेखा में लगाए गए हैं, तो उन्हें राष्ट्रीय ध्वज की बाईं तरफ रखा जाए।
  • राष्ट्रीय ध्वज को जब किसी जुलूस या परेड में शामिल किया जाए और अन्य ध्वज की पंक्ति हो तो यह पंक्ति के मध्य के सामने या दाईं और होगा ।
  • आमतौर पर राष्ट्रीय ध्वज को महत्वपूर्ण सरकारी भवनों जैसे राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय, सचिवालय, आयुक्त के कार्यालय आदि पर फहराया जाना चाहिए।
  • राष्ट्रीय ध्वज या इसकी अनुकृति का प्रयोग व्यापार, व्यवसाय या पेशे के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
  • राष्ट्रीय ध्वज को शाम में सूर्यास्त के समय हमेशा उतार लिया जाना चाहिए।
  • 26 जनवरी 2002,से फ्लैग कोड बदल गया है। अब भारतीयों को कहीं भी किसी भी समय गर्व के साथ झंडा फहराने की आजादी दे दी गयी है।

 

भारत का राष्ट्रीय प्रतीकः मुख्य तथ्य एक नजर में :-

राष्ट्रीय प्रतीक को अशोक की राजधानी सारनाथ के सिंह स्तंभ से लिया गया है। वास्तव में स्तंभ पर चार सिंह हैं, जो एक दूसरे की तरफ पीठ किए खड़े हैं। इसका गोलाकार कंठ चक्र से चार भागों में बंटा है। इसमें क्रमशः हाथी, घोड़ा, बैल और सिंह की सजीव प्रतिकृतियां उकेरी गई हैं। पॉलिश किए गए बलुआ पत्थर के एक बड़े टुकड़े पर इस प्रतीक को उकेरा गया है |

देश के प्रतीक को भारत सरकार ने 26 जनवरी 1950 को अपनाया था। इसमें सिर्फ तीन सिंह ही दिखाई देते हैं, और चौथा इनके पिछे छिपा रहता है। केंद्र में दिखने वाले चक्र की दाईं तरफ बैल और बाईं तरफ घोड़ा है। घंटी के आकार का कमल हटा दिया गया है। मुंडका उपनिषद से लिए गए शब्द सत्यमेव जयते (सत्य की विजय होती है), को देवनागरी लिपि में उकेरा गया है।

 राष्ट्रीय प्रतीक को अशोक के सारनाथ के स्तूप से लिया गया है। :-

  1. सरकार ने इस प्रतीक को 26 जनवरी 1950 को अपनाया, इसी दिन भारत एक गणतंत्र राष्ट्र बना था।

iii. इस प्रतीक में, सिर्फ तीन सिंह ही दिखाई देते हैं, चौथा छिपा रहता है।

  1. केंद्र में दिखाई देने वाले चक्र की दाईं तरफ बैल और बाईं तरफ एक घोड़ा है।
  2. राष्ट्रीय प्रतीक में दिखाए गए सिंह शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गर्व को प्रदशि॔त करते हैं।
  3. हाथी बुद्ध का अवतार है (इनकी माता ने सपना देखा था कि एक सफेद हाथी ने उनके गर्भ में प्रवेश किया है) ।

vii.  बैल, बुद्ध की राशि वृषभ का प्रतीक है। घोड़ा उस घोड़े का प्रतीक है जिस पर बैठ कर वे जीवन का सार ढूंढ़ने के लिए घर से निकल पड़े थे। सिंह आत्मज्ञान की प्राप्ति का प्रतीक है।

viii. सत्यमेव जयते शब्द अबेकस के नीचे देवनागरी लिपि में लिखा है। ये शब्द मुंडकोपनिषद से लिए गए हैं, जिसका अर्थ होता है ‘सत्य की विजय होती है’।

  1. सारनाथ के सिंह स्तंभ जैसी संरचना थाईलैंड में भी मिली थी।
  2. सारनाथ के सिंह स्तंभ का प्रयोग विभिन्न सरकारी पत्रों पर किया जाता है और यह भारतीय मुद्रा पर भी मुद्रित होता है।