राजस्थान की मिट्टियां

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राजस्थान की मिट्टियां

मृदा/ मिट्टी :-

[🌼] भूपृष्ठ की *सबसे ऊपरी परत* जो *पौधों को उगाने व बढ़ने*के लिए *जीवाश्म तथा खनिजांश* प्रदान करती है *मृदा या मिट्टी* कहलाती है

[🌼] यह मिट्टी *खनिजों के टूटने फूटने और कार्बनिक पदार्थों* के सडने से बनती है

[🌼] मृदा गतिशील और *तीन अवस्थाओं (ठोस द्रव गैस)*वाली *3-D* होती है यह सभी *जीवो का आधार* है

[🌼] मृदा या मिट्टी की *रचना प्राकृतिक दशाओं*में होती है

[🌼] इन प्राकृतिक जटिल प्रक्रिया में *प्राकृतिक पर्यावरण का प्रत्येक तत्व (चट्टान तापमान जीव क्रियाएं वनस्पति वायु जल आदि)* अपना योगदान प्रदान करते हैं

[🌼] मिट्टी की विशेषताओं में *विभिंनता का संबंध चट्टान संरचना धरातलीय स्वरूप ढाल के सामान्य प्रतिरूप जलवायु और प्राकृतिक वनस्पति*से है

[🌼] मिट्टी के *उपजाऊ* होने के लिए उसमें पर्याप्त मात्रा में *जीवाश्म खनिजांश तथा वानस्पतिक अंश* होने आवश्यक है

[🌼] यह सभी तत्व मिलकर ही *भूमि को उर्वरा शक्ति*प्रदान करते हैं

[🌼] मृदा क्रष्ट का ऊपरी भाग जो *चट्टानों से के टूटने* से बनता है

[🌼] मृदा निर्माण के कई कारक होते हैं जिसके कारण *मिट्टी की संरचना मे भिन्नता*आ जाती है

[🍁] जैसे *लेटराइट मिट्टी*➖इसमें *चूने और मैग्नीशियम*का अंश कम तथा *लोहे कैल्शियम और एल्युमिनियम की अधिकता* होती है  इसका कारण *उच्च तापमान ,ऊंचाई वाले प्रदेश ,भारी वर्षा और उच्च आर्द्रता*के क्षेत्रों में *मानसूनी जलवायुकी विशिष्ट परिस्थितियों* में तीव्र निकषालन द्वारा होना है

[🍁] बलुई मिट्टी*➖ इसका निर्माण *उच्च तापमान निम्न वर्षा और निम्न आर्द्रता* वाले क्षेत्रों में *ग्रेनाइट और बलुआ पत्थर*के चरण से हुआ है

[🍁] लाल मिट्टी*➖ इसका निर्माण *उचित तापमान निम्न वर्षा मध्य आर्द्रता* वाले क्षेत्रों में *रवेदार और कायांतरित चट्टानों* जैसे *ग्रेनाइट नीस,क्वाँर्टजाइट के अपक्षय* के कारण से हुआ था

[🍁] काली मिट्टी या रेगुर मिट्टी*➖ यह *अधिक आर्द्रता ग्रहण क्षमता* वाले क्षेत्रों में *बेशाल्ट एवं लावा*से निर्मित होती है इसमें लोहे की अधिकता के कारण लाल रंग होता है

[🍁] जलोढ़ मिट्टी*➖यह *अवसादी चट्टानों*के अपक्षय से बनती है इसमें *ह्यूमस की मात्रा सर्वाधिक* होती है

[🍁] अरावली के पूर्वी व दक्षिणी पूर्वी भाग* में *विषम प्रकार की बनावट* होने के कारण यहां पर भी विभिन्न प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं

[🍁] राज्य में मिट्टी की *उर्वरता पश्चिम से पूरब* की ओर बढ़ती है पश्चिमी राजस्थान की मिट्टियां अधिकतर बालू में होती हैं

[🍁] जिनमें *90 से 95% बालू के कण* पाए जाते हैं व *5-7% तक मटियार*पाई जाती है  यह दोनों मिट्टीयों की *कम ऊपजाऊ शक्ति*होने का परिचायक है अरावली पर्वतमाला के *पूर्वी भाग* में *लेटराइट ,लाल ,दोमट, कछारी,काली*मिट्टियां पाई जाती है  राज्य की मिट्टीया मूल रुप से *निर्वासित  व अवशिष्ट* प्रकार की होती हैं  निर्वासित मिट्टीया *मैदानी भागों*में पाई जाती है  अवशिष्ट मिट्टियां *पहाड़ी एवं पठारी भागों* में मिलती है

[🍁] राजस्थान में मिट्टियों का वर्गीकरण *रासायनिक संरचना की दृष्टि से ,रंग व गठन एवं कणाकार की दृष्टि से,कृषि उपयोगिता  से ,लगान वसूली की दृष्टि से, मिट्टियां की प्रधानता, उपलब्धता,* के आधार पर कई भागों में बांटा गया है

 

मृदा उर्वरता :-

♻पौधों की वृद्धि के लिए *मृदा के भौतिक रासायनिक और जैविक पदार्थ* की आवश्यकता होती है

♻मृदा के इन्हीं *भौतिक जैविक और रासायनिक* पदार्थों की *शक्ति के योग* को *मृदा उर्वरता* कहते हैं

♻मृदा उर्वरता *मृदा का आनुवंशिक गुण* है  यह *फसलोत्पादन*के कई कारकों में से *एक प्रमुख कारक* होता है

♻यह सभी कारको की अंत क्रिया का *एकात्मक रूप* है  मृदा उत्पादकता *जलवायु के बदलने या स्थान बदलने* पर बदल जाती है  मृदा उत्पादकता का अभिप्राय *उसकी प्रति हेक्टेयर उपज*देने की क्षमता से है  मृदा का ताप* “”बीजों के अंकुरण, जड़ों के विकास एवं मिट्टी में जीवाणु प्रक्रिया”””को प्रभावित करता है

♻मिट्टी में आमतौर पर *सूर्य, जैविक पदार्थों के विघटन और भूगर्भ से ताप* प्राप्त होता है औसतन मिट्टी की *Specific Heat 0.20-0.23*होती है  शुध्द जल की *Specific Heat 1.0*होती है इस कारण *(Specific Heat)* जल की अपेक्षा *मिट्टी जल्दी गर्म और जल्दी ठंडी*होती है

♻काली कपासी मिट्टी *86%*जलोढ़ मिट्टी *40%* और घास आच्छादित मिट्टी *60% सूर्य किरणों को अवशोषित* करती है

 

मृदा संगठन के प्रमुख अवयव :-

[🎋] मृदा संगठन के *चार प्रमुख अवयव* होते हैं  खनिज पदार्थ , जीवाश्म पदार्थ या कार्बनिक पदार्थ ,जल और वायु* मृदा संगठन के *मुख्य अवयव* है

 

खनिज पदार्थ*➖ खनिज पदार्थ का *परिमाण तथा संघटन परिवर्तनीय*होता है इसमें सामान्यता *चट्टानों के टुकड़े तथा विभिन्न प्रकार के खनिज* होते है कुछ खनिज बड़े आकार के होते है किन्तु अन्य जैसे *मृतिका कण इतने छोटे*होते है कि उन्हें *साधारण सूक्ष्मदर्शी*से भी नहीं देखा जा सकता।मृदा संगठन में खनिज पदार्थों का भाग लगभग *95-98 प्रतिशत अथार्थ 45 प्रतिशत आयतन*होता हैपरिमाण के आधार पर खनिज प्रभाव को *चार वर्गो* में विभाजित किया गया है➖

[💧] बहुत मोटा जैसे *पत्थर तथा बजरी*

[💧] मोटा जैसे *रेत*

[💧]  महीन जैसे *सिल्ट (साद)*

[💧] बहुत महीन जैसे *मृतिका*

 

सूक्ष्म मृतिका कण :-

(0.002* मिलीमीटर से कम व्यास) *कलिल*स्वभाव की होती है इसेे मृदा का *सबसे सक्रिय अंश*कहा जाता है। खेत में *मृदा का गुण एवं व्यवहार*मुख्यतः *खनिज पदार्थ के स्वभाव* पर निर्भर करता है।

[🎋] जीवाश्म पदार्थ या कार्बनिक पदार्थ*➖ मृदा में उपस्थित *जीवाश्म के दो संद्यटक* होते है।

[💧] आंशिक विघटित*पादप तथा *जन्तु अवशेष*।

[💧] स्थिर *ह्यूमस जो काले अथवा भूरे रंग* का तथा कलिल स्वभाव का होता है

 

मृदा की *ऊपरी परत में 3से 5प्रतिशत जीवाश्म*पदार्थ होते हैं मृदा की *निचली परत में 5 से 10% जीवाश्म* पदार्थ पाए जाते हैं कुछ मृदाऐ ऐसी होती हैं जिनमें *जीवाष्म पदार्थों की मात्रा 20%* से भी अधिक होती हैं ऐसी *मृदा को जैविक मृदा* कहते हैं जैविक मृदा *नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश*का प्रमुख स्त्रोत होती है सजीव जीव *जैसे सूक्ष्मजीव, केचुए, कीट* तथा अन्य अपने *निवास तथा भोजन*के लिए जीवाश्म से संवद्ध होते हे।  जीवाश्म *मृदा के रंग, भौतिक गुण, सुलभ पोषक तत्वों की आपूर्ति तथा अधिशोषण क्षमता* को प्रभावित करती है। अधिकांश भारतीय मृदाओं में जैवांश की मात्रा अत्यन्त कम है, *मात्र 0.2 प्रतिशत से 2 प्रतिशत* तक, किन्तु इसका *मृदा गुणों तथा पौधों की वृद्धि* पर प्रभाव बहुत *अधिक* होता है।

[💧] जीवाश्म *खनिज पदार्थ के ”संबंधक*” का कार्य करता है

[💧] जिससे *उत्पादक मृदाओं की भुरभुरी उत्तम दशा*विकसित होती है।

[💧] जीवाश्म दो महत्वपूर्ण पोषक तत्वोः *नाइट्रोजन तथा गंधक*का प्रमुख स्रोत है।

 

मृदा की *उत्तम भौतिक दशा*बनाए रखने में *जीवाश्म* की महत्वपूर्ण भूमिका होता है जिसके द्वारा मृदा की *जल धारण क्षमता तथा वातन* नियंत्रित होते है। मृदा *सूक्ष्म जीवों के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्रोत* जीवाश्म ही है, इनकी सक्रियता से *स्थानीय तथा वैष्विक पारिस्थितिकी प्रणाली* में मृदा एक *सक्रिय अंग* का स्थान प्राप्त करती है।

 

जल :-

पौधों को *अधिकांश पोषक तत्व जल*से प्राप्त होता हैजीव जंतुओं में *90% भाग जल* का होता है भूमी में *पोषक तत्वों का संवहन* जल द्वारा होता है मृदा जल *रंध्राकाश*में रहता है तथा *ठोस कणों (खनिज पदार्थ तथा जैवांश*) द्वारा जल की मात्रा के अनुसार *परिवर्ती बल से धारित* रहता है। मृदा जल में *विलेय लवण* होते है जो तथाकथित *मृदा विलयन” संरचित* करते है ये पौधों को *पोषक तत्व आपूर्ति* करने का *माध्यम* के रूप में महत्वपूर्ण है। मृदा विलयन* से जब *पोषक तत्व अवशोषित* कर लिए जाते है तो उन्हे *ठोस कणों (खनिज तथा जैवांश*) से *पुनर्नवीकृत* किया जाता है। पौधों की वृद्धि के लिए *माध्यम के रूप में मृदा कार्य*करती रहे, इसके लिए उसमें कुछ *जल रहना अनिवार्य*है।

मृदा में *जल के प्रमुख कार्य*है।

[💧] मृदा में अनेक *भौतिक, रासायनिक तथा जैविक* सक्रियाओं को प्रोत्साहित करता है।

[💧] पोषक तत्वों के *विलायक तथा वाहक* के रूप में कार्य करता हैं।

[💧] पौधों की *कोशिकाओं में तनाव* बनाए रखने हेतु *पौधों की जड़े मृदा से जल अवशोषित*करती है।

[💧] प्रकाश संष्लेषण प्रक्रिया में *एक कर्मक* का कार्य करता है।

 

[🎋] वायु :-

मृदा में होने वाली सभी *जैविक अभिक्रियाओं* के लिए *आक्सीजन अनिवार्य* है। इसकी आवश्यकता मृदा *वायु से*पूरी की जाती है। मृदा मे *वायु भी जल के समान छोटे-छोटे रंध्रावकाशो*ं में विद्यमान रहती है मृदा की *गैसीय प्रावस्था आक्सीजन प्रवेश* का मार्ग प्रशस्त करती है  जिसे मृदा में *सूक्ष्म जीव या पौधो की जड़ें* अवशोषित करती है। यह मृदा *सूक्ष्म जीवों तथा पौधों की जड़ों* द्वारा निस्काषित *कार्बन डाईआक्साइड* को मृदा से बाहर निकलने का मार्ग भी प्रदान करता है। इस *द्वि-मार्ग प्रक्रिया को मृदा वातन* कहा जाता है। जब मृदा में *जल की मात्रा अधिक* हो तो *मृदा वातन क्रांतिक* हो जाता है क्योंकि *रंधाकाश से जल द्वारा वायु का विस्थापन* हो जाता है।मृदा वायु का संघटन *वायुमंडलीय वायु* से भिन्न होता है।  इसमें मृदा के ऊपर विद्यमान *वायुमंडल की तुलना में आक्सीजन कम तथा कार्बन डाइआक्साइड**बहुत अधिक होता है। मृदा जल तथा सूक्ष्म जीवों की सक्रियता में परिवर्तन अनुसार *मृदा वायु का संघटन गतिक (परिवर्ती*) होता है। मृदा में वायु का *लगभग 25% आयतन* विद्यमान है

 

मिट्टीयों की विशेषताएं  :-

[🌾] राजस्थान की मिट्टी काफी *प्राचीन व परिपक्व*है

[🌾] अधिकतर मिट्टीयों में *नाइट्रोजन जीवांश और खनिज लवणों* की कमी पाई जाती है

[🌾] राज्य में *पठारी व पहाड़ी भागों*में मिट्टीयो की *परतें हल्की* और *मैदानों में गहरी* होती है

[🌾] शुष्क जलवायु*के कारण मिट्टीयों को *सिंचाई की आवश्यकता*अधिक होती है

[🌾] राजस्थान में मिट्टियों में *नमक क्षार व अम्लीयता*की अधिकता पाई जाती है

[🌾] पश्चिमी राजस्थान में *इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र*में मिट्टियां *सेम समस्या*से ग्रसित है

[🌾] निरंतर कृषि के कारण भारत की *मिट्टियों में उर्वरता में ह्रास*की समस्या गंभीर हो गई है

[🌾] यहां पर *वायु व जल अपरदन* की समस्या है

[🌾] उच्च तापांतर* के कारण *चट्टानों के भौतिक विघटन* के साथ ही उनका *रासायनिक अपघटन*भी शुरू हो जाता है

[🌾] यहां की अधिकांश मिट्टियां *प्राचीन जलोढ़*है

[🌾] इन मिट्टीयो के निर्माण में *पैतृक चट्टानों तथा जलवायु की दशाओं*का विशेष योग है

[🌾]  राजस्थान की मिट्टियों में *एकरूपता* नहीं पाई जाती है

[🌾] इन मिट्टियों में *उर्वरा शक्ति*भी एक समान नहीं होती है

[🌾] मिट्टी की पतली परत*ही मानव मात्र में *भोजन का आधार* है

 

राजस्थान की मिट्टियों के प्रकार :-

उर्वरकता के आधार पर मिट्टिया –

[📍] रेतीली मिट्टी

[📍] रेतीली चूना रहित मिट्टी

[📍] रेतीले धोरे युक्त मिट्टी

[📍] रेतीली जलोढ़ मिट्टी

[📍] सिरोजोन मिट्टी

[📍] जिप्सम व चूनायुक्त मिट्टी

[📍] लावणिक व क्षारीय मिट्टी

[📍] नई जलोढ़ मिट्टी

[📍] लाल दोमट मिट्टी

[📍] गहरी सामान्य काली मिट्टी

[📍] पथरीली मिट्टी

 

कणों के आधार पर मिट्टीया :-

[📍] बुलई मिट्टी

[📍] दोमट मिट्टी

[📍] मटियार मिट्टी

[📍] बलुई दोमट मिट्टी

 

शैलोंके आधार पर मिट्टियां :-

[📍] अति प्राचीन रवेदार व कायांतरित शैलों से निर्मित

[📍] कुडुप्पा व विंध्यन शैलों से निर्मित

[📍] गोडवाना शैलो से निर्मित

[📍] दक्कन ट्रैप से निर्मित

[📍] टरशरी शैलो से निर्मित

[📍] नवीन शैलों से निर्मित

 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के आधार पर मिट्टियां :-

[📍] लाल मिट्टी

[📍] काली मिट्टी

[📍] लेटराइट मिट्टी

[📍] क्षारयुक्त मिट्टी

[📍] कांप मिट्टी

[📍] रेतीली मिट्टी

[📍] वनों वाली मिट्टी

[📍] हल्की काली व दलदली मिट्टी

 

भौगोलिक वितरण के आधार पर मिट्टियां :-

[📍] रेतीली मिट्टी

[🌱] रेतीली बालुका मिट्टी

[🌱] लाल रेतीली मिट्टी

[🌱] गहरी मध्यम पीली व भूरी मिट्टी

[🌱] लवण मिट्टी

[📍] भूरी रेतीली मिट्टी

[📍] लाल व पीली मिट्टी

[🌱] रेतीली मिट्टी

[🌱] सतही मिट्टी

[🌱] गहरी मध्यम व भारी मिट्टी

[📍] लाल लोमी मिट्टी

[📍] मिश्चित लाल व काली मिट्टी

[📍] मध्यम काली मिट्टी

[📍] काँप या कछारी मिट्टी

[📍] भूरी रेतीली कछारी मिट्टी

 

वैज्ञानिक वर्गीकरण के आधार पर मिट्टियां :-

[📍] कैम्बोऑरथिड्स

[📍] केल्सिऑरथड्स

[📍] क्वॉर्टजीसामैन्टस

[📍] टोरीफ्लूवेण्ट्स

[📍] उस्टीफ्येवेण्टस

[📍] टौरीसामैन्ट

[📍] हेप्लूस्ताल्फस

[📍] क्रोमस्टर्ट्स

[📍] पेल्युस्टर्ट्स

 

माथुर व सक्सेना के आधार पर  की मिट्टियां :-

[📍]  रेतीली बलुई मिट्टी

[📍] भूरी रेतीली या लाल पीली रेतीली मिट्टी

[📍] सिरोजम/धूसर मिट्टी

[📍] पर्वतीय मिट्टी

[📍] लाल दोमट मिट्टी

[📍] मध्यम काली मिट्टी

[📍] लाल काली मिट्टी

[📍] भूरी मिट्टी

[📍] कछारी/दोमट/जलोढ़ मिट्टी

[📍] लवणीय मिट्टी

 

राजस्थान में मिट्टियों के प्रकार :-

रेतीली मिट्टी :-

🔷यह मिट्टी सामान्यता उन क्षेत्रों में पाई जाती हैं *जहां वार्षिक वर्षा न्यूनतम*होती है अरावली पर्वतमाला के *उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र*में *थार का मरुस्थल का मुख्य भाग*है यहां पर अधिकतम *मिट्टी रेतीली* है अरावली पर्वत माला के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र*में इस प्रकार की मिट्टी का *अधिक जमाव* पाया जाता है इस क्षेत्र में पाई जाने वाली मिट्टियों में *जीवाश्म तत्वों की कमी*पाई जाती है

🔷श्री गंगानगर हनुमानगढ़ जिले में इस *रेतीली मिट्टी को बागड़ प्रदेश* कहते हैं  यह मिट्टियां *प्राचीन काँप*मिट्टियां होती है  यहां पर *सिंचाई द्वारा राजस्थान का सर्वाधिक उत्पादन* किया जाता है इस कारण *श्री गंगानगर को राजस्थान का अन्न भंडार* कहा गया है इस मिट्टी में *अंत: स्पंदन और पारगम्यता की दर* अधिक होने के कारण इनमे *जल व पादप पोषण तत्वों का ह्मस*अधिक होता है यह संपूर्ण क्षेत्र *वायु द्वारा निक्षेपित मिट्टी*से बना है

🔷इसमें *रेतीली लाल, पीली, पीली भूरी* आदि मिट्टियां की प्रधानता है  यह मिट्टी *पवन अपरदन*के प्रति संवेदनशील है इस मिट्टी की विशेषता *कैल्सियम लवणो*की अधिकता से

 

रेतीली मिट्टी को रंग व उपलब्ध के आधार पर 4 भागों में बाटा गया है :-

रेतीली बलुई/बालू मिट्टी :- इस मिट्टी को *रेतीली मरुस्थलीय बलुई बालू मिट्टी* भी कहते हैं इस मिट्टी का निर्माण *अम्लीय आग्नेय चट्टानों और बालू पत्थर*के अपक्षय से होता है इस मिट्टी में *क्ले की मात्रा 5-7%*होती है यह मिट्टी *रेत के टीलो*ं के रुप में पाई जाती हैं  जो *पश्चिमी राजस्थान के अधिकांश क्षेत्रों*में होती है  यह मिट्टी राजस्थान में *सबसे अधिक क्षेत्रों*में पाई जाने वाली मिट्टी है  जहां पर *10 सेमी*से भी कम वर्षा होती है *वहां पाई* जाती है  यह राजस्थान क्षेत्र के *श्री गंगानगर बीकानेर चूरू जोधपुर जैसलमेर बाड़मेर जालौर क्षेत्र*में पाई जाती है इस मिट्टी में *जल ग्रहण की क्षमता* नहीं पाई जाती है  इस मिट्टी के *कण मोटे* होते हैं  मिट्टी के कण मोटे होने के कारण *पानी शीघ्र ही विलीन* हो जाता है  इस कारण *वर्षा का जल बहुत थोड़े समय के लिए ही नमी* बना पाता है  जिसके कारण *सिंचाई का कोई भी विशेष लाभ* नहीं होता है

इस प्रकार की *मिट्टी में नाइट्रोजन कार्बनिक लवणों सूक्ष्म पोषक तत्व मेग्जीन तांबा व लोहांश* की कमी पाई जाती है लेकिन इसमें *कैल्शियम लवणों* की अधिकता होती है ph मान* की अधिकता व *जैविक पदार्थों की कमी*पाई जाती है इस मिट्टी प्रदेश में *कटीली झाड़ियां*के रूप में वनस्पति मिलती है इस प्रकार के क्षेत्रों में सामान्यता*पशुपालन का कार्य* किया जाता है वर्तमान में *इंदिरा गांधी नहर*के आने से यहां पर *कृषि की संभावनाएं*बड़ी है

बालूका स्तूप स्थिरीकरण* के क्षेत्रों में *कैल्शियम आक्साइड कम*पाया जाता है  जोधपुर और जयपुर* के कुछ भाग इस क्षेत्र में आते हैं इन क्षेत्रों में *कैल्शियम आक्साइड मिट्टी में गहराई की और कम*होते जाते हैं जो *कैल्शियम कार्बोनेट संचयन*का परिणाम है अधिकांश रेतीली मिट्टियों में *नाइट्रोजन की मात्रा कम* होती है ऐसे क्षेत्रों में *बाजरा मोठ मूंग*आदि की फसलें पैदा की जाती है  कुछ *सिंचित भागों में गेहूं*की खेती भी की जाती है  यह मिट्टी *बाजरे की खेती* के लिए उपयुक्त होती है  क्वार्टज* मुख्यतः *बलुई भूमि* में पाया जाता है

 

लाल रेतीली मिट्टी (लाल मिट्टी/लाल बलुई मिट्टी) :-

🔸इस मिट्टी की उत्पत्ति *प्राचीन क्रिस्टलाइन व रूपांतरित चट्टानों*से हुई है

🔸इस मिट्टी का *रंग पीला भूरा अथवा गहरा*होता है

🔸यह मिट्टी *नागौर जोधपुर पाली जालोर चूरु तथा झुंझुनू के कुछ भागों*में पायी जाती है

🔸इस मिट्टी में *जल ग्रहण की क्षमता*अधिक होती है

🔸इस मिट्टी में *बालू की मात्रा*अधिक होती है

🔸इसमें *CaCO3* नहीं पाया जाता है

🔸इस मिट्टी में *अगर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध* हो जाए तो मिट्टी *कृषि योग्य*बन सकती है

🔸इस मिट्टी का *लाल रंग लोहे के विस्तृत विसरण*के कारण है

🔸इस मिट्टी में *नाइट्रोजन और कार्बनिक तत्वों*की मात्रा कम होती है

🔸इस भाग में *सिंचाई करने और रासायनिक खाद*डालने पर रबी की फसलें *गेहूं जौ चना*आदि पैदा किए जा सकते हैं

🔸खरीफ के मौसम में *बारानी खेती*की जाती है जो *पूर्णतः वर्षा* पर निर्भर होती है

🔸इस मिट्टी को *Early Soil*भी कहते है क्योंकि *दक्षिण पश्चिम* मानसून की *शुरूआती हल्की वर्षा* में ही इस मिट्टी में *बुआई संभव* हो जाती है

 

गहरी मध्यम पीली व भूरी रेतीली मिट्टी :-

🔸यह मिट्टी *नागौर में पाली* जिले में पाई जाती है

🔸यह *पीली भूरी रेतीली* से *बालू दोमट*आदि के रुप में पाई जाती है

🔸इसमें *100 से 150*सेमी की गहराई पर *चूना मिश्रित मिट्टी की परत* पाई जाती है

🔸इस मिट्टी में *चने का उत्पादन* अधिक किया जाता है

 

खारी मिट्टी/लवण मिट्टी :-

🔸यह मिट्टी राजस्थान के *पश्चिमी भाग में अंतः प्रवाह क्षेत्र*में पाई जाती है

🔸यह मिट्टी की राजस्थान की *8 आंतरिक बेसिनों* में पाई जाती है

🔸इन्हीं अंतः प्रवाह क्षेत्र में *नमक की प्राप्ति* होती है

*🔸सांभर डीडवाना पचपदरा लूणकरणसर बेसिन*आदि में इस प्रकार की मिट्टियां पाई जाती है

🔸प्रशासनिक दृष्टि से *नागोर (निम्न भूमियो अथवा गर्तो)बिकानेर बाड़मेर और  जैसलमेर* में लवण मिट्टी की अधिकता पाई जाती है

🔸इस मिट्टी में *लवणता की मात्रा*अधिक होती है

 

लाल व पीली मिट्टी :-

🔷इस मिट्टी में *लोहांश और वनस्पति अंश (ह्माूमस व कार्बोनेट तत्वो)* की कमी पाई जाती है

🔷इस कारण इसका *रंग लाल व पीला* होता है

🔷पीला रंग लोहा ऑक्साइड के जलयोजन की उच्च मात्रा*के कारण होता है

🔷इस मिट्टी का *निर्माण ग्रेनाइट शिस्त तथा नीस चट्टानों*से माना जाता है

🔷इस प्रकार की *मिट्टी सवाई माधोपुर भीलवाड़ा करोली टोंक अजमेर सिरोही* जिले में मिलती है

🔷जलवायु और स्थानीय दशाओं* का प्रभाव इस मिट्टी पर अधिक पड़ता है

🔷इन क्षेत्रों में *चीका व दोमट*दोनों प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं

🔷इस मिट्टी का *पीएच मान 5.5 से 8.5* के बीच होता है *

🔷जलवायु और स्थानीय दशाओं*के आधार पर इस *मिट्टी को तीन भागों*में बाटा गया है

 

रेतीली मिट्टी :-

🔸यह मिट्टी *रेतीली से दोमट*रेतीली है

🔸यह मिट्टी *छोटे कण*वाली होती है

🔸इसलिए इसे *दोमट रेतीली मिट्टी*भी करते हैं

🔸इस मिट्टी के क्षेत्र में कहीं-कहीं *बालूका स्तूप* भी दिखाई देते हैं

🔸इसमें रेत की मात्रा *75 से 90%*होती है

🔸यह मिट्टी *खुली मुलायम और भुरभुरी* है

🔸इसके कारण इसमें *जल को सोखने की क्षमता*बहुत अधिक होती है

🔸इस मिट्टी मे *घुलनशील लवण* का प्रतिशत *बहुत कम* पाया जाता है

🔸राज्य के *अजमेर जिले में यह मिट्टी पाई*जाती है

 

छिछली अथवा सतही मिट्टी :-

🔸यह मिट्टी *30 से 120 सेमी की गहराई*में पाई जाती है

🔸यह मिट्टी *चट्टानी क्षेत्रों* में पाई जाती है

🔸इस मिट्टी के नीचे *कठोर चट्टानें (धरातल)*होती है

🔸इसलिए मिट्टी का *जमाव असमतल व उबड- खाबड* होता है

🔸इस मिट्टी में *बालू की मात्रा 65 से 75%*होती है

 

गहरी मध्यम व भारी मिट्टी :-

🔸यह मिट्टी *5 से 10 मीटर की गहराई*लिए होती है

🔸इस मिट्टी के *कण कठोर व सुदृढ* होते हैं

🔸इस कारण इस में *पानी आसानी से नहीं घूस*पाता है

🔸सवाईमाधोपुर* के कुछ क्षेत्रों में यह मिट्टी *गहरी लोमी* के रूप में पाई जाती है

🔸रेतीली दोमट से दोमट और पीली भूरी से गहरे भूरे, हल्के भूरे रंग* में यह मिट्टी मिलती है

 

भूरी व रेतीली मिट्टी :-

🔷अरावली के पश्चिम* में *बाड़मेर जालौर जोधपुर सिरोही पाली नागौर सीकर झुंझुनू*जिले में पाई जाती है

🔷अरावली के पश्चिमी भाग में यह *मिट्टी 36 500 वर्ग किलोमीटर* क्षेत्र में विस्तृत है

🔷इस प्रकार की मिट्टी प्रदेश में *भूमिगत जल की गहराई*अधिक पाई जाती है

🔷सामान्यता *50 से 200 मीटर की गहराई*पर पानी मिलता है फास्फोरस तत्व अधिक पाए जाते हैं

🔷कुछ स्थानों पर *फास्फोरस का प्रतिशत बहुत अधिक*मिलता है

🔷जितना कि *कांप मिट्टी और बालू में पी एच का मान 7.2से9.2* के बीच मिलता है

🔷मिट्टी की उर्वरता नाइट्रेट की उपस्थिति*के कारण और अधिक बढ़ जाती है

🔷पाली जिले के सुमेरपुर* स्थान पर *मिट्टी में विषमताएं*अधिक पाई गई हैं

🔷यह मिट्टी *दलहनी फसलों*हेतु उपयुक्त है

🔷इस क्षेत्र में *90 से 150 सेमी* की गहराई पर *चूने  की सतह*मिलती है

🔷चूने की इस सतह को *हार्ड-पेन*कहते हैं

🔷नाइट्रोजन की अधिकता*इस मिट्टी को उपजाऊ बनाती है

 

लाल लोमी मिट्टी/दोमट मिट्टी :-

🔷इस मिट्टी का निर्माण *प्राचीन स्फटकीय व कायान्तरित चट्टानों*से हुआ है

🔷इस मिट्टी के *कण बारीक* होते हैं

🔷इसलिए *बारीक कणों वाली मिट्टी को लाल दोमट* मिट्टी भी कहते हैं

🔷यह मिट्टी *दक्षिणी राजस्थान के डूंगरपुर बांसवाड़ा उदयपुर प्रतापगढ़ राजसमंद और चित्तौड़ के कुछ भागों*में पाई जाती है

🔷इस प्रकार की *मिट्टी में पानी अधिक समय*तक रहता है

🔷इस कारण *वर्षा के बाद* एक लंबे समय तक इस *मिट्टी में नमी बनी*रहती है

🔷इस मिट्टी का *रंग लाल* होता है

🔷इस मिट्टी *लौहऑक्साइड के लवण व पोटाश के तत्व* अधिक पाए जाते हैं

🔷लोहा ऑक्साइड के लवण*के अधिक होने से कारण *इस मिट्टी का रंग लाल*होता है

🔷इसमें *नाइट्रोजन फास्फोरस और कैल्सियम लवणों* की कमी होती है

🔷इस मिट्टी में *रासायनिक खाद और सिंचाई*करने से *मक्का कपास गेहूं जौ चना चावल गन्ना*आदि की फसलें पैदा की जा सकती है

🔷यह मिट्टी *मक्का व ज्वार*की खेती के लिए *सर्वाधिक उपयुक्त*होती है