GENERAL KNOWLEDGE

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स्वीडन के 16वें नरेश कार्ल गुस्ताफ पांच दिवसीय भारत दौरे परभारत-स्वीडन के बीच हुए तीन समझौते

स्वीडन के राजा कार्ल गुस्ताफ सोलहवें एयर इंडिया के विमान से हाल ही में भारत दौरे पर पहुंचे. उनके साथ पत्नी सिल्विया भी मौजूद थीं. ऐसा पहली बार हुआ, जब शाही जोड़े ने किसी देश की सरकारी यात्रा हेतु कमर्शियल फ्लाइट का उपयोग किया हो.

स्वीडन के राजा कार्ल गुस्ताफ और राष्ट्रपति कोविंद के बीच वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने ध्रुवीय विज्ञान, नवोन्मेष एवं अनुसंधान तथा समुद्री क्षेत्रों में सहयोग हेतु तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए. प्रधानमंत्री मोदी और स्वीडन के राजा गुस्ताफ ने नवोन्मेष नीति पर भारत-स्वीडन उच्चस्तरीय नीति वार्ता की बैठक की अध्यक्षता की.

संसद ने एसपीजी (संशोधन) विधेयक2019 पारित किया

इस विधेयक में केवल प्रधानमंत्री और उनके परिवार (जो उनके साथ आधिकारिक निवास पर रहते हो) को एसपीजी सुरक्षा देने का प्रावधान है. यह सुविधा प्रधानमंत्री के अतिरिक्त किसी भी विशेष व्यक्ति को नहीं दिया जाएगा. उनसे भी यह सुविधा प्रधानमंत्री पद से हटने के पांच साल बाद वापस ले ली जाएगी.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार, संशोधन शुरू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य प्रधानमंत्री की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एसपीजी अधिनियम को अधिक प्रभावी बनाना था. इससे पहले इस सुरक्षा समूह अधिनियम को साल 1991, साल 1994, साल 1999 और साल 2003 में संशोधित किया जा चुका है.

कैबिनेट ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दीजानें इस विधेयक के बारे में

इस विधेयक के मुताबिक, नागरिकता प्रदान करने से जुड़े नियमों में बदलाव होगा तथा अवैध प्रवासियों को बैगर दस्तावेज के नागरिकता मिलेगी. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में कहा था कि नागरिकता संशोधन बिल सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है.

नागरिकता संशोधन विधेयक में नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन का प्रस्ताव है. इसमें बांग्लादेश, अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाई धर्मों के शरणार्थियों हेतु नागरिकता के नियमों को आसान बनाना है.

Indian Navy Day 2019: जानिए भारतीय नौसेना दिवस का इतिहास और महत्व

भारतीय नौसेना देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा में बहुत ही अहम भूमिका निभाती है. भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने में भी भारतीय नौसेना का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है. भारत की तीन सेनाओं में से एक नौसेना अपने सर्वश्रेष्ठ स्वरूप में है.

भारतीय नौसेना भारतीय सेना का एक सामुद्रिक अंग है. भारतीय नौसेना की अधिकृत शुरुआत 05 सितंबर 1612 को हुई थी. आधुनिक भारतीय नौसेना की नींव 17वीं शताब्दी में रखी गई थी. भारतीय नौसेना तीन क्षेत्रों की कमांडों के तहत तैनात की गई है.

MOSAiC मिशन: उद्देश्य, फीचर्स और मिशन के लाभ

मोजेक मिशन क्या है (What is MOSAiC Mission)

MOSAiC Mission (मोजेक मिशन) को जर्मनी के अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट द्वारा प्रायोजित किया गया है और यह इतिहास के सबसे बड़े आर्कटिक अभियान में से एक है. MOSAiC का फुल फॉर्म, Multidisciplinary Drifting Observatory For the Study of Arctic Climate है.
इस मिशन के लिये एकमात्र भारतीय वैज्ञानिक, विष्णु नंदन को चुना गया है हालाँकि इसमें 17 देशों के कुल 600 लोग भाग ले रहे हैं.

MOSAiC मिशन के क्या उद्देश्य हैं (Objectives of MOSAiC Mission)

MOSAiC Mission को, आर्कटिक में वायुमंडलीय, महासागरीय, भू-भौतिकीय, और अन्य सभी संभावित प्रभावों का अध्ययन और मौसम प्रणालियों में हो रहे बदलावों का अधिक सटीक पूर्वानुमान लगाने के लिए शुरू किया गया है. इसके अलावा यह जलवायु परिवर्तन का दुनिया के अन्य हिस्सों पर हो रहे प्रभावों का भी अध्ययन करेगा.

MOSAiC मिशन में निम्न संस्थान शामिल हैं:

इस मिशन को अंतर्राष्ट्रीय आर्कटिक विज्ञान समिति (IASC) बैनर के नीचे प्रमुख ध्रुवीय अनुसंधान संस्थानों के एक अंतरराष्ट्रीय संघ द्वारा डिजाइन किया गया है. इस मिशन में शामिल अन्य संस्थान हैं;

1. अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट, जर्मनी

2. हेल्महोल्ट्ज सेंटर फॉर पोलर एंड मरीन रिसर्च (AWI), जर्मनी

3. आर्कटिक और अंटार्कटिक रिसर्च इंस्टीट्यूट (AARI), रूस

4. कोलोराडो विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका

5. सहकारी विज्ञान अनुसंधान संस्थान (CIRES), संयुक्त राज्य अमेरिका

MOSAiC मिशन का बजट (Budget of MOSAiC Mission)

मिशन की अनुमानित लागत € 120 मिलियन के आसपास है.

MOSAiC मिशन की विशेषताएं (Features of MOSAiC Mission)

MOSAiC मिशन सितंबर 2019 में शुरू हो चुका और जर्मन अनुसंधान आइसब्रेकर पोलारस्टर्न नॉर्वे के ट्रोम्सो से प्रस्थान कर चुका है. गंतव्य तक पहुंचने के बाद आइसब्रेकर और इसके वैज्ञानिक अगला एक साल आर्कटिक महासागर में बर्फ के बीच चलते हुए जहाज पर बिताएंगे. 

शोधकर्ता, इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए एकत्रित आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे और इन आंकड़ों का उपयोग दुनिया के बाकी हिस्सों में जलवायु परिवर्तन पैटर्न को जानने के लिए भी किया जाएगा.

MOSAiC मिशन के लाभ (Benefits of the MOSAiC Mission)

1. MOSAiC मिशन के द्वारा ‘ध्रुवीय क्षेत्र’ में जलवायु परिवर्तन के कारणों को समझने में मदद मिलेगी.

2. MOSAiC मिशन के परिणाम, जलवायु परिवर्तन के क्षेत्रीय और वैश्विक परिणामों की समझ को बढ़ाने में योगदान करेंगे.

3. इस मिशन के द्वारा, समुद्री-बर्फ के नुकसान के पीछे के कारणों को समझने और मौसम और जलवायु पूर्वानुमान में एक्यूरेसी लाने में मदद मिलेगी.

4. यह खोजी अभियान, सुरक्षित समुद्री और अपतटीय अभियानों (offshore operations) को बढ़ावा देगा, उत्तरी समुद्री मार्गों के साथ भविष्य के यातायात के लिए एक बेहतर वैज्ञानिक और सुरक्षित तरीका विकसित करने में मदद करेगा.

निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि MOSAiC मिशन के परिणाम न केवल जलवायु परिवर्तन के पीछे के कारणों को प्रकट करेंगे बल्कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए मानव और अन्य संस्थानों को भविष्य का रास्ता भी बताएँगे.