‘असतो मा सद्गमय’ धर्मनिरपेक्ष प्रार्थना सांस्कृतिक विरासत की बड़ी थाती संस्कृत परंपरा से आती है

0
431

राष्टीय न्यूज़

1.‘असतो मा सद्गमय’ धर्मनिरपेक्ष प्रार्थना सांस्कृतिक विरासत की बड़ी थाती संस्कृत परंपरा से आती है:-देश भर के 1,125 केंद्रीय विद्यालयों में सभी धर्म के छात्रों के लिए संस्कृत श्लोक ‘असतो मा सद्गमय’ वाली प्रार्थना की अनिवार्यता मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है या नहीं, इसे लेकर जबलपुर के एक वकील ने गत वर्ष सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालयों में प्रार्थना का हिस्सा यह श्लोक एक धर्म विशेष से जुड़ा धार्मिक संदेश है। संविधान के अनुच्छेद 28(1) के अनुसार सरकार द्वारा संचालित किसी भी विद्यालय या संस्थान में किसी भी विशिष्ट धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती, इसलिए इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रार्थना के बजाय बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित की जानी चाहिए जिससे छात्रों में बाधाओं और चुनौतियों के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण की प्रवृत्ति विकसित होती है। बहस के दौरान यह बात भी उठी कि विवादित संस्कृत श्लोक हिंदू धर्म से जुड़े बृहदारण्यक उपनिषद से लिया गया है और इसलिए यह धर्म विशेष से जुड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की पीठ ने मामले को अब संविधान पीठ को सौंप दिया है।प्रसिद्ध अमेरिकी राजनीति विज्ञानी सैमुअल हटिंगटन ने लगभग ढाई दशक पहले ‘क्लैश ऑफ सिविलाइजेशंस’ में कहा था कि शीत युद्ध के बाद लोगों की सांस्कृतिक एवं धार्मिक पहचान ही संसार में संघर्षों का मुख्य कारण होगी। वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हटिंगटन के सिद्धांत की अपनी सीमाएं हैं, लेकिन भारत के संदर्भ में सांस्कृतिक संघर्षों की बात एक हद तक सही है। हालांकि इसकी शुरुआत हटिंगटन की घोषणा के बहुत पहले से हो गई थी। खासतौर से भारत की स्वाधीनता के बाद इसे भलीभांति रेखांकित किया जा सकता है, जिसका साकार रूप हमारे बौद्धिक और शैक्षणिक विमर्शों में स्पष्ट देखा जा सकता है। जिसमें एक तरफ वामपंथी और पश्चिम से प्रभावित तथाकथित उदारवादी बुद्धिजीवी थे तो दूसरी ओर वे लोग जो इस देश की मिट्टी और संस्कृति के माध्यम से अपनी पहचान बनाना चाहते थे। इस दूसरे पक्ष में गांधी जी की परंपरा से जुड़े लोगों के अतिरिक्त विभिन्न अन्य धाराओं के बुद्धिजीवी शामिल थे। दरअसल केंद्रीय विद्यालयों में प्रार्थना पर उठा यह विवाद इसी सांस्कृतिक-बौद्धिक संघर्ष से जुड़ा नया वाकया है। इस विवाद-मुकदमे में संविधानप्रदत्त मूल अधिकार के उल्लंघन का सवाल उठा है। वैसे देखा जाए तो प्रार्थना एवं अध्यात्म और वैज्ञानिक सोच के बीच संबंध के साथ-साथ इस देश के बौद्धिक विमर्श की दिशा सहित कुछ अन्य मुद्दे भी इससे जुड़े हैं।

यह सही है कि अनुच्छेद 28(1) के अनुसार सरकार द्वारा संचालित कोई भी संस्थान किसी भी विशिष्ट धर्म की शिक्षा नहीं दे सकता, लेकिन ‘असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मामृतं गमय’, जिसका अर्थ है, ‘मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो, मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो, मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो’ केवल इसलिए धार्मिक नहीं हो जाता कि यह हिंदुओं के उपनिषद से उद्धृत है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में ठीक ही कहा कि ‘असतो मा सद्गमय’ धर्मनिरपेक्ष है। यह सार्वभौमिक सत्य के वचन हैं जो सभी धर्मावलंबियों पर लागू होते हैं। मेहता ने यह दलील भी दी कि सुप्रीम कोर्ट के प्रतीक चिन्ह पर भी संस्कृत में ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ लिखा है जो श्रीमदभगद्गीता से उद्धृत है। इसका मतलब यह तो नहीं हुआ कि सुप्रीम कोर्ट धार्मिक है।मेहता का तर्क सही है, नहीं तो भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते भी एक धार्मिक वाक्य हो जाएगा, क्योंकि यह मुंडकोपनिषद से लिया गया है। और तो और हमारा राष्ट्रीय प्रतीक-चिन्ह अशोक स्तंभ भी धार्मिक हो जाएगा, क्योंकि सत्यमेव जयते अशोक स्तंभ के नीचे अंकित है। ज्ञातव्य है कि सम्राट अशोक द्वारा बनवाए इस सिंह स्तंभ में यह आदर्श वाक्य मूल रूप से नहीं है। इस वाक्य को राष्ट्रीय प्रतीक-चिन्ह में अलग से जोड़ा गया। इसे पंडित नेहरू, डॉ. आंबेडकर और अन्य नेताओं ने 26 जनवरी, 1950 को स्वीकारा था। फिर जिस श्लोक की प्रार्थना पर विवाद हो रहा है वह कोई धार्मिक शिक्षा नहीं है और उसे कांग्रेस सरकार के समय शुरू किया गया था।

2.ग्राहक को जेब में पैसे के मुताबिक मिलेगी एलपीजी गैस, सरकार ने दिया विकल्‍प:-प्रधानमंत्री उज्जवला योजना ने देश के अधिकांश गरीबों के घर में एलपीजी कनेक्शन तो पहुंचा दिया लेकिन इन गरीबों के लिए एक एलपीजी सिलेंडर के लिए 800-900 रुपये का भुगतान करना एक बड़ी समस्या बनी हुई है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने कई एजेंसियों से बात की है और हाल ही में टाटा इनोवेशन ने इसका एक बेहतरीन विकल्प सरकार के सामने पेश किया है जो आने वाले दिनों में एलपीजी बिजनेस में क्रांति ला सकता है। यह सुझाव यह है कि ग्राहक को उसकी जेब के मुताबिक एलपीजी दिया जाए।

अभी 14.2 किलो का बड़ा या 5 किलो का छोटा सिलेंडर ही ग्राहकों को लेना पड़ता है लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा है तो ग्राहक जितना चाहेगा मतलब अगर वह पांच किलो चाहे तो पांच किलो और सात किलो चाहे तो सात किलो एलपीजी दिया जाएगा।इस बात की जानकारी स्वयं पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को उज्जवला पर एक अध्ययन रिपोर्ट जारी करने के अवसर पर दिया। उन्होंने कहा कि टाटा इनोवेशन के प्रोत्साहन से भुवनेश्वर के आइआइटी में अध्ययनरत एक छात्र ने ऐसी तकनीकी विकसित की है जिससे जो जितना चाहे उतना गैस उसे देने संभव हो सकेगा।अब यह तेल कंपनियों के ऊपर है कि इस तकनीकी को अपनाये और इसके बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की व्यवस्था करे। उन्होंने कहा कि यह उज्जवला योजना का अगला कदम हो सकता है। हालांकि उन्होंने साफ तौर पर यह नहीं बताया कि क्या ग्राहकों के मौजूदा सिलेंडर में ही गैस भरने की व्यवस्था होगी या कोई दूसरी व्यवस्था होगी।

लेकिन उन्होंने यह जरुर कहा कि व्यवस्था ऐसी होगी, जिसमें तेल कंपनियों को नए गैस सिलेंडर तैयार करने की जरुरत न हो। प्रधान की घोषणा के बाद तेल कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि तकनीकी तौर पर इस व्यवस्था को लागू करने के लिए काफी बड़े पैमाने पर तकनीकी का इस्तेमाल करना होगा।

पेट्रोलियम मंत्री प्रधान ने एक दूसरा संकेत यह दिया कि आने वाले दिनों में देश में बायोमास का इस्तेमाल उज्जवला योजना के तहत दिए जाने वाले गैस सिलेंडर में गैस भरने के लिए किया जा सकता है। यह न सिर्फ सस्ता होगा बल्कि यह तेल कंपनियों की लागत भी कम आएगी। दरअसल, प्रधान उज्जवला योजना के अगले चरण को लेकर सरकार की भावी योजनाओं और सोच के बारे में बता रहे थे।उस संदर्भ में उन्होंने बताया कि गांव-गांव व घर घर एलपीजी पहुंचने से बड़ी संख्या में महिलाओं के पास अतिरिक्त समय बच रहा है। तेल कंपनियों को इन महिलाओं की श्रम-शक्ति के इस्तेमाल की बड़ी योजना बनानी चाहिए। इस अवसर पर प्रधान ने आईआईएम (अहमदाबाद) के पूर्व निदेशक एस के बरुआ ने उज्जवला पर अपना अध्ययन प्रधान को भेंट किया।

3.नेपाल के पूर्व विधि मंत्री नीलाम्‍बर आचार्य को भारत में नेपाल का राजदूत किया गया नियुक्‍त:-नेपाल के पूर्व विधि मंत्री नीलाम्‍बर आचार्य को भारत में नेपाल का राजदूत नियुक्‍त किया गया है। राष्‍ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने रविवार शाम काठमांडू में श्री आचार्य को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। भारत में नेपाल के राजदूत का पद अक्‍टूबर 2017 में तत्‍कालीन राजदूत दीपकुमार उपाध्‍याय के इस्‍तीफा देने के बाद से खाली है।

अन्तर्राष्ट्रीय न्यूज़

4.यूएई के नेताओं ने अबू धाबी में “सेंट फ्रांसिस चर्च” और ग्रैंड इमाम अहमद अल-तैयब की मस्जिद के निर्माण की घोषणा की:-यूएई के नेताओं ने सोमवार को दो धार्मिक नेताओं के सम्मान में “चर्च ऑफ सेंट फ्रांसिस” और अबू धाबी में ‘मस्जिद ग्रैंड इमाम अहमद अल-तैयब’ के निर्माण की घोषणा की। शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, अबू धाबी के क्राउन प्रिंस और यूएई सशस्त्र बलों के उप सुप्रीम कमांडर ने मोहम्मद बिन राशिद की घोषणा करने के लिए ट्विटर पर लिया और उन्होंने एक नए ‘चर्च ऑफ सेंट फ्रांसिस’ और ‘के निर्माण के लिए आधारशिला पर हस्ताक्षर किए हैं। अबू धाबी में ग्रैंड इमाम अहमद अल-तैयब की मस्जिद। वे संयुक्त अरब अमीरात में सहिष्णुता, नैतिक अखंडता और मानव बिरादरी के मूल्यों को बनाए रखने के लिए बीकन के रूप में काम करेंगे।यूएई ने अबू धाबी में एक हिंदू मंदिर के निर्माण के लिए 55000 वर्ग मीटर जमीन भी दी थी, जिसका ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2018 में लाइव टेलीकास्ट किया था।

5.पोप फ्रांसिस ने अपने सभी रूप में “युद्ध” शब्द की अस्वीकृति का आह्वान किया:-पोप फ्रांसिस, जो यूएई की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं, ने अपने सभी रूपों में “युद्ध” शब्द की अस्वीकृति का आह्वान किया। वह अबू धाबी में इंटरफेथ सम्मेलन में बोल रहे थे जिसमें विभिन्न धर्मों और विद्वानों के कम से कम 600 धार्मिक और सांस्कृतिक नेताओं ने भाग लिया था। उन्होंने कहा, मानव बिरादरी को दुनिया के धर्मों के प्रतिनिधियों के रूप में हमारी आवश्यकता है, ‘युद्ध’ शब्द से अनुमोदन की प्रत्येक बारीकियों को अस्वीकार करने का कर्तव्य।
पोप ने कहा, वह विशेष रूप से यमन, सीरिया, इराक और लीबिया में सोच रहा है।अबू धाबी में अंतर सभा की बैठक और विभिन्न धर्मों के अन्य धार्मिक नेताओं ने भाग लिया। पोप फ्रांसिस ने कहा, भगवान के नाम पर नफरत और हिंसा को उचित नहीं ठहराया जा सकता, संघर्ष को कम करने में शिक्षा के मूल्य की प्रशंसा करना।दुनिया के शीर्ष सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरु डॉ अहमद अल तैयब ने अपने भाषण में कहा, वह और पोप सहमत थे कि धर्म के नाम पर हिंसा करने वालों के कार्यों से सभी धर्मों को मुक्त होना चाहिए।

खेल न्यूज़

 

6.भारतीय क्रिकेट टीम ICC ODI रैंकिंग में 2 वें स्थान पर है:-ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में भारत का स्टेलर अब डिविडेंड में बदल रहा है।भारतीय क्रिकेट टीम ने अब ICC वन-डे इंटरनेशनल रैंकिंग में दूसरा स्थान हासिल कर लिया है, जिसमें कप्तान विराट कोहली और जसप्रीत बुमराह ने बल्लेबाजों और गेंदबाजों के लिए शीर्ष क्रम जारी रखा है। भारत ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड पर श्रृंखला जीत के लिए 122 अंक जमा किए हैं और 126 अंक के साथ इंग्लैंड से पीछे हैं। आईसीसी ने एक बयान में कहा कि महेंद्र सिंह धोनी भी पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मजबूत प्रदर्शन की वजह से आगे बढ़े, जिससे उन्हें श्रृंखला के खिलाड़ी का पुरस्कार मिला। धोनी एक रन के लिए बल्लेबाजी सूची में तीन स्थान ऊपर 17 वें स्थान पर आ गए, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगातार तीन अर्धशतक शामिल थे।भारत के लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल – पांचवें स्थान पर एक स्थान पर और तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार – छह स्थान ऊपर 17 वें स्थान पर – नवीनतम रैंकिंग में आगे बढ़ने के लिए अन्य लोगों में शामिल हैं। केदार जाधव – आठवें स्थान पर 35 वें स्थान पर – कोहली के नेतृत्व वाली सूची में भारत के लिए आगे बढ़ने के लिए एक और है। टीम रैंकिंग में न्यूजीलैंड दक्षिण अफ्रीका से पीछे चौथे स्थान पर खिसक गया है। नेपाल के पास अब आठ मैचों की दहलीज पार करने के बाद पूरी रैंकिंग है और अब वह यूएई के साथ 15 अंकों के साथ अपनी 2-1 की जीत के साथ बराबरी पर है और मामूली अंतर से पीछे है।

7.दिग्गज क्रिकेटर कपिल देव ने 15 फरवरी को ‘त्रिधातु नवी मुंबई हाफ मैराथन’ को हरी झंडी दिखाई:-दिग्गज क्रिकेटर और भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव 17 फरवरी को नवी मुंबई के वाशी से ‘त्रिधातु नवी मुंबई हाफ मैराथन’ को हरी झंडी दिखाएंगे।
प्रसिद्ध मैराथन कोच और अल्ट्रा-मैराथन एथलीट नॉरी विलियमसन इस आयोजन के लिए दौड़ निदेशक हैं। दौड़ दो श्रेणियों में आयोजित की जाएगी – हाफ मैराथन 21.097 किलोमीटर की दूरी पर चलती है, जहां 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रतिभागी भाग ले सकते हैं, जबकि एक अन्य श्रेणी ‘फ्यूचर जेनरली 10K रन’ है, जिसमें 16 वर्ष से अधिक आयु के प्रतिभागी भाग ले सकते हैं। भाग लेना।

बाजार न्यूज़

8.प्रधानमंत्री ने 220 केवी श्रीनगर- अलस्टेंग द्रास- कारगिल लेह ट्रांसमिशन लाइन राष्ट्र को किया समर्पित:-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 220 केवी श्रीनगर-अलस्टेंग-द्रास-कारगिल–लेह ट्रांसमीशन सिस्टम राष्ट्र को समर्पित किया। इस कदम से पूरे वर्ष के दौरान लद्दाख को गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी। इससे पर्यटन क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा और लद्दाख के सामाजिक-आर्थिक विकास में वृद्धि होगी।

प्रधानमंत्री ने 12 अगस्त, 2014 को इस परियोजना की आधारशिला रखी थी और 4.5 वर्षों के भीतर, यह परियोजना भारत सरकार की एक नवरत्न कंपनी, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पावरग्रिड) द्वारा पूरी कर ली गई है। प्रधानमंत्री ने इस परियोजना का उद्घाटन करते हुए कहा कि हमने विलंब की संस्कृति को पीछे छोड़ दिया है।2266 करोड़ रूपये की इस परियोजना के परिणामस्वरूप सर्दियों के दौरान डीजल पैदा करने वाले सेटों के उपयोग में बड़े पैमाने पर कमी आएगी और इस प्रकार प्राचीन लद्दाख क्षेत्र के सुंदर पर्यावरण की सुरक्षा में मदद मिलेगी