दावोस में भी दिखेगा भारत का दबदबा, खास है पीएम मोदी का स्विट्जरलैंड दौरा

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  1. कांग्रेस को तलाश है मजबूत सहयोगी की :- अगले लोकसभा चुनाव में अपने सीटों की संख्या को तीन अंकों तक पहुंचाने का लक्ष्य बना रही कांग्रेस खासतौर पर उन राज्यों में दमदार गठबंधन की साथी तलाश रही है जहां वह तीसरे या चौथे नंबर की पार्टी है। इस लिहाज से 42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल में मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में टीएमसी उसके लिए वाममोर्चा से बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

कांग्रेस के रणनीतिकारों का एक बड़ा वर्ग पहले से ही अगले आम चुनाव में माकपा की जगह ममता के साथ गठबंधन की वकालत कर रहा है। जबकि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और माकपा दोनों ने गठबंधन कर पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस हिसाब से सूबे में अभी उनका गठबंधन कायम है।

 

 

  1. भारत समावेशी विकास में चीन, पाकिस्तान से पीछे :- समावेशी विकास के मामले में तमाम उभरते देशों में भारत को 62वां स्थान मिला है। इस सूचकांक में चीन और पाकिस्तान को भारत से अच्छी रेटिंग दी गई है। चीन 26वें और पाकिस्तान 47वें स्थान पर है। पिछले साल भारत 60वें, चीन 15वें और पाकिस्तान 52वें स्थान पर रहा था। व‌र्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के सालाना सूचकांक के मुताबिक, विकसित अर्थव्यवस्थाओं में समावेशी विकास के मामले में सबसे ऊपर नार्वे को जगह मिली है। वहीं, उभरती अर्थव्यवस्थाओं में लिथुआनिया एक बार फिर टॉप पर रहा। इस सूचकांक में जीवन स्तर, पर्यावरण अनुकूलता और अगली पीढ़ी को कर्ज से बचाने जैसे मानकों को ध्यान में रखा जाता है। डब्ल्यूईएफ ने विभिन्न राष्ट्रों से समावेशी विकास के लिए जल्द से जल्द नए मॉडल अपनाने की अपील की है।

 

  1. भूमिहीन किसानों को भी मिलेगा बैंकों से कृषि ऋण, आवंटित होंगे 11 लाख करोड़ :- बटाईदारी और पट्टेदारी पर खेती करने वाले भूमिहीन किसानों को भी अब बैंकों और सहकारी समितियों से कृषि ऋण मिलने का रास्ता खुल जाएगा। आगामी वित्त वर्ष के आम बजट में यह प्रावधान किया जाएगा। इसके लिए सभी जरूरी वैधानिक कदम उठाये जाएंगे। ऐसे किसानों को फिलहाल खेती के लिए सूदखोरों पर निर्भर रहना पड़ता है। आम बजट में लैंड लाइसेंस्ड कल्टीवेटर एक्ट पारित कराने का प्रस्ताव है।

खेती की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार आम बजट में कुछ पुख्ता प्रबंध करने की तैयारी में है। ज्यादातर किसानों की सबसे बड़ी कठिनाई कृषि ऋण की होती है, जिसके लिए उसे सूदखार साहूकारों के रहमोकरम पर निर्भर रहना पड़ता है

 

 

  1. चालू वित्त वर्ष में 10 लाख करोड़ रुपये का है प्रावधान :- कृषि मंत्रालय के एक आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2016-17 में 46 फीसद किसानों को ही बैंकों व सहकारी समितियों से खेती के लिए ऋण मिल पाया था। इसमें भी प्रति किसान अल्पावधि अथवा फसली ऋण 80 हजार रुपये है। इसके मुताबिक ज्यादातर किसानों को सरकारी अथवा संस्थागत वित्तीय संस्थानों से खेती के लिए ऋण नहीं मिल पाता है।

 

  1. आम बजट के प्रावधानों से किसानों को मिलेगी सहूलियत :- मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सभी तरह के किसानों को उसकी जरूरत के हिसाब से कृषि ऋण मुहैया कराने के लिए कुछ कानूनी प्रावधान करने होंगे। इसके बाबत सभी श्रेणियों के किसानों के कवरेज में सुधार करने के लिए एक मॉडल कानून बनाने की सिफारिश की गई है। इस कानून को हर राज्य सरकार को पारित करना होगा, जिसके तहत भूमिहीन किसानों को भी बैंकों और वित्तीय संस्थानों से कृषि ऋण मिल सकेगा। इसके लिए कुछ राज्यों में पहले से ही बटाईदार व पट्टेदार किसानों के लिए कानून में सुधार कर दिया गया है। लेकिन ज्यादातर राज्यों में इस दिशा में बहुत कुछ करना बाकी है। आम बजट में किये जाने वाले प्रावधानों से कृषि क्षेत्र में परेशानहाल किसानों को बहुत सहूलियत मिल जाएगी।

 

  1. तीसरे टेस्ट में वापसी के लिए चेतेश्वर पुजारा को बनाने होंगे रन :- पहले ही सीरीज गंवा चुकी भारतीय टीम को अगर तीसरे मैच में वापसी करनी है तो उसके ऊपरी क्रम के बल्लेबाजों खासकर तीसरे नंबर पर उतरने वाले चेतेश्वर पुजारा को रन बनाने होंगे। वह पिछले दो मैचों में 00, 19, 26 और 04 रन बनाकर आउट हुए हैं। खासकर सेंचुरियन में वह जिस तरह दोनों पारियों में रनआउट हुए उसने टीम को काफी परेशान किया है।

 

भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री ने इसको लेकर उनसे बातचीत भी की थी। शास्त्री ने कहा कि इस तरह के रनआउट आपको दुख पहुंचाते हैं, लेकिन उससे सीखने की जरूरत है। भारत को बुधवार से वांडरर्स में तीसरा टेस्ट मैच खेलना है।

पुजारा टेस्ट में तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरते हैं। पहले इस क्रम पर राहुल द्रविड़ उतरते थे। वह 2013 से भारतीय टीम का हिस्सा हैं। इस सीरीज से पहले पुजारा का ओवरऑल प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था, लेकिन पिछले दो मैचों में वह कुछ खास नहीं कर सके, इसलिए उन पर दबाव ज्यादा बढ़ गया है। हालांकि, भारत के पास इस क्रम में खेलने के लिए अभी कोई दूसरा बल्लेबाज नहीं है। ऐसे में तीसरे टेस्ट में उनका खेलना लगभग तय है और इसीलिए उन्होंने सोमवार को जमकर अभ्यास भी किया। पुजारा ने 56 टेस्ट मैच में से 37 एशिया में खेले हैं जिनमें उनका औसत 65.55 का रहा है। दक्षिण अफ्रीका में छह टेस्ट में उन्होंने 32 के औसत से 360 रन बनाए हैं। इंग्लैंड में उनका औसत 22.20 और ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में 26.10 का रहा है। भारत को इस साल दक्षिण अफ्रीका के बाद इस साल इंग्लैंड में पांच और ऑस्ट्रेलिया में चार टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है। ऐसे में उन्हें विदेशी सरजमीं पर बेहतर प्रदर्शन करना सीखना ही होगा।

 

  1. बजट 2018: ये चीजें हो सकती हैं सस्ती-महंगी, जीएसटी के बाद भी दिखेगा सस्ते महंगे का असर :- आम जनता की देश के आम बजट से हर बार यही उम्मीद रहती है कि क्या कुछ सस्ता होने वाला है और क्या महंगा। हालांकि 1 जुलाई 2017 से देशभर में जीएसटी के लागू कर दिए जाने के बाद सस्ते और महंगे का फैक्टर इस बार के बजट में कम ही दिखेगा लेकिन यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। हम अपनी इस रिपोर्ट के जरिए आपको बताने की कोशिश करेंगे कि जीएसटी के बाद भी किन वस्तुओं पर सस्ते और महंगे का असर दिखाई दे सकता है।

 

  1. दावोस में भी दिखेगा भारत का दबदबा, खास है पीएम मोदी का स्विट्जरलैंड दौरा :- स्विट्जरलैंड के दावोस शहर में मंगलवारसे विभिन्न क्षेत्रों के तीन हजार से भी अधिक वैश्विक नेता एकत्र होने जा रहे हैं। मौका होगा वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम या विश्व आर्थिक मंच(डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक का। डब्ल्यूईएफकी इस 48वीं बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 130 शीर्ष वैश्विक नेता भी शिरकत करेंगे। 1997 में एचडी देवेगौड़ा के बाद 20 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में बैठक में हिस्सा लेने पहुंच रहे नरेंद्र मोदी इसमें 23 जनवरी को उद्घाटन भाषण देंगे। साथ ही इसमें योग का प्रशिक्षण सत्र भी होगा। इससाल बैठक की थीम हैखंडित या टूटी-फूटी दुनिया में साझा भविष्य तैयार करना

 

  1. महज पांच घंटे के इस ऑपरेशन ने उड़ा दिए थे पाक आतंकियों के होश, बिछा दी थीं लाशें :- रात के अंधेरे में खामोशी के साथ कदम-दर-कदम जवान आगे बढ़ रहे थे। पहाड़ों और जंगल के बीच उनकी आहट भी कोई भांप नहीं सकता था। हर किसी जवान की निगाहें सीधे अपने टार्गेट पर लगी थीं। मकसद था देखो और मारो। हुआ भी यही। जवान जब अपनी टार्गेट वाली जगह पर पहुंचे तो वहां पर उन्‍हें जो आतंकी दिखाई दिया उसको उन्‍होंने ढेर कर दिया। घुप्प अंधियारे के बीच चलती गोलियों और रॉकेट लॉन्‍चर की आवाजों ने इस खामोशी को चीर कर रख दिया था। इन आवाजों के बीच जो आवाज आ रही थी वह आतंकियों के मारे जाने की थी। कुछ देर के बाद आतंकियों के खेमे में हा-हा-कार मच जाता है। इस पूरे ऑपरेशन में कई आतंकी मारे जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ सभी भारतीय जवान तेजी के सा‍थ हैलीकॉप्‍टर पर सवार होकर वापस अपनी सीमा में सुरक्षित लौट जाते हैं।

 

  1. सर्जिकल स्‍ट्राइक के लिए चुने गए बेहतरीन जवान :- इस सर्जिकल स्‍ट्राइक से पहले भारत ने इसको अंजाम देने के लिए अपने बेहतरीन जवानों को चुना। सीमापार जाकर दुश्‍मन को ढेर करने की बाकायदा प्रैक्टिस की गई। इसके बाद इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इस ऑपरेशन में जाने वाला हर जवान स्‍पेशलाइज्‍ड कमांडो फोर्स से ताल्‍लुक रखता था। ऑपरेशन के दौरान सभी जवानों के पास काफी मात्रा में असलाह था। सभी के सिर पर एक स्‍पेशल हैलमेट था जो उनकी हिफाजत के साथ-साथ वहां मौजूद चीजों को रिकॉर्ड भी कर रहा था। सभी जवान एक दूसरे से जुड़े होने के अलावा बेस कमांड से जुड़े हुए थे। कहा तो यहां तक गया था कि इस ऑपरेशन की सीधी निगरानी दिल्‍ली में हो रही थी। हर कोई चाहता था कि इस ऑपरेशन से जुड़ा हर जवान सकुशल वापस आ जाए। इस ऑपरेशन की जानकारी कुछ ही लोगों के पास थी। इस पूरी टीम के कमांडिंग ऑफिसर के मुताबिक इस ऑपरेशन में गए सभी जवानों का मकसद बेहद साफ था कि दुश्‍मन के इलाके में आतंकियों को ज्‍यादा से ज्‍यादा नुकसान पहुंचाया जाए और उन्‍हें खत्‍म कर दिया जाए।