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*दैनिक समसामयिकी*
24 March 2017(Friday)

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*1.राष्ट्रीय सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग का होगा गठन*

• देश के सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों की आवाज सुनने के लिए अब पहली बार संवैधानिक व्यवस्था होने जा रही है। केंद्र सरकार ने इसके लिए ‘राष्ट्रीय सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग’ के गठन को मंजूरी दे दी है।

• नया आयोग पिछड़े वर्ग की अपने स्तर से पहचान भी करेगा, जिसे मानना सरकार के लिए बाध्यकारी होगा। नाम से लगता है कि सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ापन भी पिछड़े वर्ग में शामिल होने का आधार हो सकता है।

• देश में पिछड़े वर्गो की पहचान और उनकी शिकायतों की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में इस सिलसिले में फैसला लिया गया।

• इसका नाम ‘राष्ट्रीय सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग’ (एनएसईबीसी) होगा। साथ ही इसे संवैधानिक दर्जा हासिल होगा। इसके लिए संसद में जल्दी ही संविधान संशोधन विधेयक लाया जाएगा। इसके साथ ही पहले से चल रहे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को समाप्त कर दिया जाएगा।

• पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं है। यह केंद्र सरकार के सामाजिक कल्याण और अधिकारिता मंत्रलय के तहत चलने वाला वैधानिक आयोग है। 1993 में संसद में पारित कानून के तहत मौजूदा आयोग का गठन किया गया था।

• इस आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे। विभिन्न वर्गो की मांग पर भी विचार यही करेगा। साथ ही पिछड़ा वर्ग की सूची में किसी खास वर्ग के यादा प्रतिनिधित्व या कम प्रतिनिधित्व पर भी यही सुनवाई करेगा।

• पिछड़ा वर्ग की केंद्रीय सूची में किसी भी वर्ग को जोड़ने या हटाने के लिए संसद की स्वीकृति लेने संबंधी अनुछेद 342ए जोड़ा जाएगा। यह भी तय किया गया है कि आयोग की सिफारिश सामान्य तौर पर सरकार को माननी ही होगी।

• सरकार के लिए बाध्यकारी होगी आयोग की सिफारिशद्यसंवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए संसद में पेश होगा बिल

• सरकार के लिए बाध्यकारी होगी आयोग की सिफारिशद्यसंवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए संसद में पेश होगा बिल

• सरकार के लिए बाध्यकारी होगी आयोग की सिफारिशद्यसंवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए संसद में पेश होगा बिल

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*• क्या है मौजूदा पिछड़ा वर्ग आयोग*

• राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 में बना था।

• यह वैधानिक संस्था है। इसके तहत सरकार के स्तर पर ही फैसले होते हैं।

• आयोग का एक अध्यक्ष होता है और चार अन्य सदस्य होते हैं।

• यह कानून एक फरवरी, 1993 से जम्मू-कश्मीर छोड़कर पूरे भारत में लागू है।

• इसका काम किसी वर्ग को पिछड़ों की सूची में शामिल किए जाने के अनुरोधों की जांच करना है।

• आयोग केंद्र सरकार को ऐसे सुझाव देता है, जो उसे उचित लगता है।

• यह किसी व्यक्ति को समन करने और हाजिर कराने का अधिकार रखता है।

• आयोग किसी भी दस्तावेज को प्रस्तुत करने को भी कह सकता है।

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*2. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सरकार ने दिया कड़ा जवाब :* अदालत नहीं, संसद तय करेगी पेंशन

• पूर्व सांसदों को पेंशन देने के मामले में सवरेच अदालत की तीखी टिप्पणी पर सरकार ने भी न्यायपालिका को कड़ा जवाबी संदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को लेकर बिफरे सांसदों से रायसभा में रुबरू होते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सांसदों को कितनी पेंशन मिलना चाहिए यह तय करने का अधिकार केवल संसद का है।

• उन्होंने साफ कहा कि सरकारी धन को कैसे और कहां खर्च करना है, यह तय करना सिर्फ संसद का अधिकार है। वित्तमंत्री ने इस क्रम में साफ संदेश दिया कि न्यायपालिका को अपने अधिकार क्षेत्र की मर्यादा से बाहर जाकर दूसरी संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता में दखल देने से बचना चाहिए।

• सपा के नरेश अग्रवाल ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि पूर्व सांसदों को पेंशन देने पर सवरेच अदालत का सरकार को नोटिस जारी करना उचित नहीं है।

• अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश के एक पूर्व सांसद मणिलाल के बेटे और पोते मजदूरी का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि यहां बहुत सारे सांसद कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से हैं।

• कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर नाराजगी का इजहार करते हुए कहा कि 80 फीसद पूर्व सांसदों के करोड़पति होने की बात कह दी गई।

• उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सुप्रीम कोर्ट बिना किसी सर्वे या अध्ययन के इस आंकड़े पर कैसे पहुंच गया?

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*3. भारत ने अवैध प्रवासियों की अमेरिकी सूची को ठुकराया*

• अमेरिका ने भारत को अवैध रूप से रह रहे भारतीयों की एक सूची सौंपी है। *इसमें 271 लोगों के नाम हैं।*

भारत ने उस सूची को स्वीकार नहीं किया है। यह जानकारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को रायसभा में दी।

वह सदस्यों के सवालों का जवाब दे रही थीं। विदेश मंत्री ने अमेरिका से इस बारे में और जानकारी मांग

• सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत ने सूची को लेने से मना करते हुए और ब्योरा देने को कहा है, ताकि उचित जांच की जा सके।
जांच के बाद ही उनकी वापसी के लिए जरूरी दस्तावेज जारी किए जा सकेंगे। उन्होंने विभिन्न सदस्यों द्वारा जताई गई चिंता को खारिज करते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन के सत्ता में आने के बाद अमेरिका की नीतियों में कोई बदलाव नहीं आया है।

• सुषमा ने कहा कि एच1-वीजा, एल1-वीजा आदि के संबंध में अमेरिकी संसद में चार विधेयक पेश किए गए हैं। हालांकि वे विधेयक अभी तक पारित नहीं हुए हैं।

*📌• होगी भारतीय हितों की रक्षा :*विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार भारतीय नागरिकों और सूचना एवं तकनीकी क्षेत्र के हितों की रक्षा के लिए गंभीर है और इस संबंध में सरकार उचतम स्तर पर अमेरिका से बातचीत कर रही है। भारत सरकार का पहला प्रयास उनकी नौकरियों को बचाने का है।

• विदेश मंत्री ने कहा कि हमने उनसे कहा है कि हमारे आइटी पेशेवर उनकी नौकरियां नहीं ले रहे हैं बल्कि उनकी अर्थव्यवस्था में योगदान कर रहे हैं।

• उन्होंने कहा कि विगत में आंकड़े आए थे कि अमेरिका में 1.14 करोड़ अवैध प्रवासी हैं जिनमें 2.60 लाख भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि हम इस आंकड़े को स्वीकार नहीं करते क्योंकि बिना उचित जांच के इसे प्रामाणिक नहीं माना जा सकता।

*📌• एक और भारतीय को बचाया :* विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विदेश में फंसे एक और भारतीय को बचाया है। राजीव शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने ट्वीट कर अपने भाई विनय महाजन का सर्बिया में अपहरण होने की जानकारी दी थी। विदेश मंत्री ने बताया है कि महाजन को तलाश लिया गया है और वे सर्बिया के अधिकारियों की सुरक्षा में हैं।

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*4. बिटकॉइन है गैरकानूनी, निवेशक सतर्क रहें*

• वित्त मंत्रालय ने निवेशकों को आगाह किया है कि देश में बिटकॉइन गैर कानूनी है। इसमें निवेश से बचना चाहिए। यह एक तरह की पोंजी स्कीम है और इसमें पैसा लगाने पर निवेशकों को चपत लग सकती है।

• खुद वित्त मंत्रलय के अधिकारियों ने संसद की स्थाई समिति को बताया है कि बिटकॉइन गैर कानूनी है। इस मुद्दे पर एक समिति गठित की गयी है। मंत्रालय के अधिकारियों ने कांग्रेस सदस्य वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त मामलों संबंधी संसदीय समिति को यह जानकारी दी है।

• समिति की यह रिपोर्ट हाल में संसद में पेश की गयी है। समिति की बैठक के दौरान कई सदस्यों ने वित्त मंत्रलय और आरबीआइ के अधिकारियों से बिटकॉइन के बारे में सवाल किए थे, जिसके बाद मंत्रलय के आर्थिक कार्य विभाग के अधिकारियों ने समिति को बताया कि बिटकॉइन पूरी तरह गैर-कानूनी है।

• बिटकॉइन के मुद्दे को संसद में उठाने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया का कहना है कि यह एक वैश्विक पोंजी स्कीम है। सरकार और आरबीआइ को इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस योजना में हजारों करोड़ रुपये लगे हैं। इसलिए लोगों को इसके प्रति सावधान करना चाहिए।

• सोमैया का कहना है कि समिति आने वाले समय में बिटकॉइन के मुद्दे पर व्यापक पड़ताल कर सकती है। समिति के सदस्यों ने इस मुद्दे पर आरबीआइ के अधिकारियों से भी सवाल किया है। इस बीच वित्त मंत्रलय के अधिकारियों का कहना है कि लोगों को इसमें निवेश करने से बचना चाहिए। यह योजना पूरी तरह गैर कानूनी है।

*•📌 क्या है बिटकॉइन :*बिटकॉइन एक वचरुअल करेंसी (क्रिप्टो करेंसी) जैसी है जिसे एक ऑनलाइन एक्सचेंज के माध्यम से कोई भी खरीद सकता है। इसकी खरीद-फरोख्त से फायदा लेने के अलावा भुगतान के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। फिलहाल भारत में एक बिटकॉइन की कीमत करीब 65 हजार रुपये है।

*•📌 कैसे है पोंजी स्कीम* : विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक तरह की पोंजी स्कीम है जिसमें निवेशकों के साथ धोखा हो सकता है।

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*5. आरबीआइ की निगरानी में रहेंगे चार बैंक*

• बढ़ते फंसे कर्ज यानी एनपीए की हालत नहीं सुधरते देख रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने चार बैंकों को अपनी निगरानी में रख लिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के इन बैंकों की सूची में आइडीबीआइ, इंडियन ओवरसीज बैंक (आइओबी) और यूको बैंक शामिल हैं। इस सूची के चौथे बैंक का नाम अभी पता नहीं चल पाया है। आरबीआइ ने इन बैंकों को जोखिम वाली संपत्तियों से दूर रहने की हिदायत दी है, ताकि उनकी वित्तीय हालत और खराब नहीं हो।

• सूत्रों के मुताबिक ये बैंक आरबीआइ के राडार पर हैं, क्योंकि इनकी वित्तीय हालत 31 मार्च तक सुधरने के आसार कम हैं। केंद्रीय बैंक की एसेट क्वॉलिटी समीक्षा (एक्यूआर) की अवधि समाप्त होने जा रही है। वित्त मंत्रलय और आरबीआइ दोनों ने इन बैंकों से वित्तीय स्थिति सुधारने, पूंजी लगाने के विकल्प तलाशने और संपत्तियां बेचने का टिकाऊ मॉडल तैयार करने को कहा है।

• रिजर्व बैंक ने दिसंबर, 2015 से एसेट क्वॉलिटी समीक्षा को अमल में लाते हुए बैंकों को अपने चुनींदा सबसे बड़े डिफॉल्ट खातों को एनपीए के रूप में चिह्नित करने कानिर्देषश दिया था।
इसके चलते इन बैंकों की एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की एसेट्स को दिसंबर तिमाही में फंसे कर्ज के रूप में चिह्नित किया गया।

सालाना आधार पर आइओबी का ग्रॉस एनपीए दिंसबर के आखिर तक 52 फीसद बढ़कर 34,502.13 करोड़ रुपये हो गया।

• आइडीबीआइ का सकल एनपीए 80 फीसद उछलकर 35,245 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

तीसरी तिमाही के दौरान यूको बैंक का ग्रॉस एनपीए 49 फीसद बढ़कर 2,181 करोड़ रुपये हो गया।

सरकार ने हाल ही में आइडीबीआइ के सीईओ किशोर कांत को इंडियन बैंक में भेज दिया था। इंडियन बैंक के सीईओ एमके जैन को आइडीबीआइ भेजा गया है।

*• एनपीए के खात्मे को मिलें और अधिकार :*देश में निगरानी कमेटियों और वाइंट लेंडर फोरम (जेएलएफ) जैसे फंसे कर्ज के मौजूदा समाधान तंत्रों को सशक्त बनाया जाए। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा ने इसके लिए इन तंत्रों को और अधिकार दिए जाने की जरूरत बताई है। मूंदड़ा मौजूदा तंत्र के कारगर नहीं होने से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे।

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*📌6. प्रचंड ने किया ‘‘एक चीन’ नीति का समर्थन*

• नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने बृहस्पतिवार को कहा कि नेपाल चीन की ओर से प्रस्तावित ‘‘एक क्षेत्र, एक मार्ग’ परियोजना में शामिल होने को उत्सुक है। उन्होंने ‘‘एक चीन’ नीति का समर्थन भी किया। चीन के रक्षा मंत्री जनरल चांग वांगुआन ने बृहस्पतिवार को प्रचंड से मुलाकात की और रक्षा सहयोग सहित द्विपक्षीय संबंधों के बारे में र्चचा की।

• चांग 19 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ तीन दिवसीय सद्भावना दौरे पर नेपाल पहुंचे हैं। वह नेपाली रक्षा मंत्री बालकृष्ण खंड के निमंतण्रपर आए हैं। पिछले 16 वर्षों में चांग नेपाल की यात्रा करने वाले पहले चीनी रक्षा मंत्री हैं।

• प्रचंड ने कहा कि नेपाल चीन की ओर से प्रस्तावित ‘‘एक क्षेत्र, एक मार्ग’ परियोजना में शामिल होने को उत्सुक है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इस परियोजना की पहल की है। उन्होंने ‘‘एक चीन’ नीति को लेकर नेपाल की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि तिब्बत एवं ताइवान के खिलाफ किसी गतिविधि को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
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